
लेख: डॉ. ओम डहरिया, सहायक जनसंपर्क अधिकारी
रायपुर।छत्तीसगढ़ के किसान आज खुशहाल हैं, और इसका श्रेय मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय सरकार के नीतिगत फैसलों और कृषि मंत्री श्री रामविचार नेताम के मार्गदर्शन को जाता है। इन दूरगामी नीतियों से प्रदेश के किसान लगातार समृद्धि की राह पर आगे बढ़ रहे हैं। मुख्यमंत्री श्री साय के नेतृत्व में, सरकार बनते ही प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की गारंटी को पूरा करते हुए, प्रदेश के पंजीकृत किसानों से प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान 3100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीदा गया। इस कदम से न सिर्फ किसानों का मान बढ़ा, बल्कि उन्हें उन्नति की ओर ले जाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गई है।
पिछले 18 महीनों में, राज्य सरकार ने विभिन्न योजनाओं के तहत लगभग सवा लाख करोड़ रुपये सीधे किसानों के खातों में हस्तांतरित किए हैं। इन किसान कल्याणकारी निर्णयों और प्रोत्साहन के परिणामस्वरूप, हर साल किसानों की संख्या, कृषि योग्य भूमि का रकबा और उत्पादन में लगातार वृद्धि हो रही है।
कृषि का बढ़ता योगदान और छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था
भारत की जीडीपी में कृषि का एक बड़ा योगदान है, और छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था का मूल आधार भी कृषि ही है। छत्तीसगढ़ को “धान का कटोरा” कहा जाता है, और मुख्यमंत्री श्री साय के नेतृत्व में पिछले डेढ़ साल में लिए गए किसान हितैषी नीतिगत फैसलों ने खेती-किसानी को एक नया संबल प्रदान किया है।
धान खरीदी में नए कीर्तिमान
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार ने पिछले खरीफ विपणन वर्ष 2023-24 में सर्वाधिक 24.75 लाख किसानों से समर्थन मूल्य पर 144.92 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद कर एक नया रिकॉर्ड बनाया है। किसानों को समर्थन मूल्य के रूप में 32 हजार करोड़ रुपये का भुगतान और किसान समृद्धि योजना के माध्यम से मूल्य अंतर की राशि 13,320 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था। इसी तरह, खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 में भी प्रदेश के किसानों से रिकॉर्ड 149.25 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा गया। इसके बदले किसानों को 34,500 करोड़ रुपये का तत्काल भुगतान किया गया और 12 हजार करोड़ रुपये की अंतर की राशि एकमुश्त सीधे उनके खातों में हस्तांतरित की गई।
राज्य सरकार ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के वादे को पूरा कर यह साबित कर दिया है कि छत्तीसगढ़ की खुशहाली और अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का रास्ता खेती-किसानी से ही निकलेगा। राज्य सरकार ने प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान की खरीद के साथ-साथ दो साल के बकाया धान बोनस की राशि 3716 करोड़ रुपये का भुगतान करके अपना संकल्प पूरा किया है, जिससे प्रदेश के किसानों में खुशी की लहर है। किसानों का मानना है कि राज्य सरकार के फैसलों से यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार किसानों की हितैषी है। खेती-किसानी ही छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार है, और कृषि के क्षेत्र में संपन्नता से ही छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और विकसित राज्य बनने का सपना साकार होगा।
किसानों को ब्याज मुक्त कृषि ऋण और सिंचाई सुविधाएं
छत्तीसगढ़ में किसानों को 01 अप्रैल 2014 से शून्य प्रतिशत ब्याज पर अल्पकालीन कृषि ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है, जिसकी अधिकतम सीमा 5 लाख रुपये है। फसल ऋण में नकद और वस्तु का अनुपात 60:40 है। सहकारी एवं ग्रामीण बैंकों से ब्याज मुक्त कृषि ऋण उपलब्ध कराने के लिए खरीफ वर्ष 2024 में 15.21 लाख किसानों को 6912 करोड़ रुपये का अल्पकालीन कृषि ऋण शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर वितरित किया गया था। वर्ष 2025 में किसानों को 7800 करोड़ रुपये कृषि ऋण वितरित करने का लक्ष्य है, और 11 जुलाई की स्थिति तक 5124 करोड़ रुपये कृषि ऋण वितरित किए जा चुके हैं। यह किसानों के हित में एक क्रांतिकारी कदम है।
छत्तीसगढ़ में किसानों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री सिंचाई योजना लागू की गई है। इसके अतिरिक्त, सौर सुजला योजना के माध्यम से सरकार ने दूरस्थ वन क्षेत्रों में, जहां बिजली की सुविधा नहीं है, वहां किसानों के खेतों में भी सौर सुजला सिंचाई पंप स्थापित कर सिंचाई की व्यवस्था की है। छत्तीसगढ़ में किसानों और भूमिहीन मजदूरों की स्थिति में सुधार, कृषि और सहायक गतिविधियों के लिए समन्वित प्रयासों पर राज्य सरकार का विशेष ध्यान है।
कृषि बजट में वृद्धि और कल्याणकारी योजनाएं
कृषि विभाग के बजट में बीते वर्ष की तुलना में वर्ष 2024-25 में 33 प्रतिशत की वृद्धि करते हुए 13 हजार 435 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्वपूर्ण योगदान है, इसलिए राज्य के बजट में भी कृषि के साथ-साथ ग्रामीण विकास को प्राथमिकता दी गई है। यहां धान और किसान एक-दूसरे के पर्याय हैं। पिछले वर्ष 149.25 लाख मीट्रिक टन धान समर्थन मूल्य पर राज्य के 25 लाख 48 हजार 798 किसानों से खरीदा गया है।
राज्य सरकार ने बजट में कृषक उन्नति योजना के लिए 10,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया है, जिसका उद्देश्य कृषि समृद्धि को बढ़ावा देना है। वहीं, किसानों के 5 एचपी तक के कृषि पंपों को मुफ्त बिजली आपूर्ति के लिए 3,500 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है। इसी तरह, भूमिहीन कृषि मजदूर कल्याण योजना के तहत राज्य के 5.65 लाख भूमिहीन मजदूरों को सालाना 10,000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी, जिसके लिए 600 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। साथ ही, दलहन एवं तिलहन फसलों को समर्थन मूल्य पर खरीदने के लिए 80 करोड़ रुपये, फसल बीमा योजना के लिए 750 करोड़ रुपये, और मोटे अनाजों के साथ-साथ दलहन, तिलहन, बीज उत्पादन एवं वितरण के लिए कृषक समग्र विकास योजना के लिए 150 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। यह सरकार की किसान हितैषी नीति को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।
केंद्र सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ के 26 लाख से अधिक किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का लाभ भी मिल रहा है, जो किसानों की आय बढ़ाने में सहायक है।