कांग्रेस राज में आदिवासियों को न्याय नहीं : रामविचार नेताम

रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद रामविचार नेताम ने कहा है कि सरगुजा संभाग के रामानुजगंज में एक पहाड़ी कोरवा नाबालिग किशोरी के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म, साथी युवक के साथ हुई लूट की घटना और गिरफ्तार आरोपियों के फरार होने के बाद प्रदेश सरकार का नाकारापन एक बार फिर जाहिर हुआ है। उन्होंने कहा, यह शर्मनाक वारदात बताती है कि आदिवासियों के प्रति प्रदेश की कांग्रेस सरकार कतई संवेदनशील नहीं है।
भाजपा के पूर्व सांसद नेताम ने कहा कि जबसे कांग्रेस ने प्रदेश की सत्ता सम्हाली है, आदिवासियों पर अत्याचार की पराकाष्ठा हो गई है। सामूहिक दुष्कर्म की घटना को लेकर प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश में चहुँओर कानून-व्यवस्था ध्वस्त हो गई है। मासूम बच्चियों से लेकर वृद्ध महिलाओं की अस्मिता के लुटेरे दरिंदगी की हदें पार करते जा रहे हैं और प्रदेश सरकार सियासी ड्रामेबाजी में मशगूल है। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद भी प्रदेश सरकार कानून-व्यवस्था के राज की दुहाई देती है तो यह प्रदेश को शर्मसार करने वाली बात है। सामूहिक दुष्कर्म की वारदात को लेकर पुलिस प्रशासन का रवैया भी संवेदनहीनता का परिचायक है। दुष्कर्म के मामलों की एफआईआर दर्ज करने में पुलिस की कोताही कई सवाल खड़ा कर रही है। यह स्पष्ट होना चाहिये कि तत्काल घटना की शिकायत दर्ज कराने पहुँची पीड़िता को पहले दिन बैरंग क्यों लौटाया? क्या आरोपियों को राजनीतिक संरक्षण देकर बचाने की कोशिश की जा रही है?
उन्होंने कहा कि इस वारदात के गिरफ्तार आरोपियों के पुलिस हिरासत से भाग जाने से भी पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। क्या पुलिस प्रशासन के स्तर पर आरोपियों का कोई सीधा कनेक्शन है? आरोपियों को भाग जाने का अवसर देकर सत्तावादी राजनीतिक दबाव को अंजाम दिया गया है? शासन-प्रशासन को यह स्पष्ट करना होगा कि आरोपियों को कौन राजनीतिक संरक्षण दे रहा है और पुलिस पर कौन राजनीतिक दबाव बना रहा है? प्रदेश में आदिवासी कन्या छात्रावास में पढ़ने वाली मासूम बच्ची, मंदिर जाने वाली मासूम किशोरियाँ तक अगर हैवानों की दरिंदगी की शिकार हो रही हैं तो प्रदेश की इस कांग्रेस सरकार के राज पर लानत है। अगर बच्चियों की सुरक्षा यह सरकार और उसके कारिंदे सुनिश्चित नहीं कर पा रहे हैं, तो ऐसी बेशर्म और नाकारा सरकार को छत्तीसगढ़ पर असहनीय बोझ बनकर एक क्षण भी सत्ता में बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।