छत्तीसगढ़

मोदी राज में मीडिया, संविधान और संस्थाओं पर अघोषित आपातकाल : भूपेश बघेल

रायपुर । कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 25 जून को ‘आपातकाल विरोध दिवस’ पर मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि बीते 11 वर्षों से देश एक अघोषित आपातकाल की गिरफ्त में है। उन्होंने आरोप लगाया कि मीडिया, न्यायपालिका, संवैधानिक संस्थाएं और शिक्षण संस्थान – सभी पर सत्ता का दबाव है और मोदी शासन में लोकतंत्र केवल नाम का रह गया है।

संविधान बदलने की मंशा, ‘चार सौ पार’ जनादेश का मकसद साफ

भूपेश बघेल ने कहा कि भाजपा ने 2024 के लोकसभा चुनाव में ‘चार सौ पार’ का नारा सिर्फ संविधान बदलने की मंशा से दिया था, लेकिन देश की जनता ने भाजपा को स्पष्ट रूप से नकार दिया। उन्होंने कहा कि बाबा साहब अंबेडकर के संविधान को छेड़ने की साजिश रची जा रही थी, लेकिन भारत की जनता ने संविधान के संरक्षण में विश्वास जताते हुए लोकतांत्रिक मूल्यों को चुना।

“हर तरफ नियंत्रण और दमन – ये लोकतंत्र नहीं, तानाशाही है”

भूपेश बघेल ने कहा कि संसद में अब सवाल उठाना, बहस करना या सरकार से जवाब मांगना तक सजा का कारण बन गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार विधायकों की खरीद-फरोख्त, राज्यपाल के माध्यम से हस्तक्षेप, टैक्स और नियामक एजेंसियों के दुरुपयोग जैसे हथकंडों से विपक्षी सरकारों को गिरा रही है।

“संविधान को चुपचाप तोड़ा जा रहा है”

उन्होंने यह भी कहा कि CAG की भूमिका निष्प्रभावी कर दी गई है। चुनाव आयोग की निष्पक्षता संदिग्ध हो गई है। RTI को लगभग निष्क्रिय बना दिया गया है। EVM की पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं, लेकिन कोई जवाबदेही नहीं है।

मीडिया पर अभूतपूर्व नियंत्रण, भय और दमन

बघेल ने कहा कि मीडिया पर ऐसा दबाव कभी नहीं देखा गया, जहां न्यूज़ एजेंसियों को कर विभाग, ईडी और CBI के छापों से डराया जा रहा है। उन्होंने बीबीसी, दैनिक भास्कर, न्यूज़क्लिक, एनडीटीवी, द वायर और अन्य संस्थानों पर कार्रवाई को ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ करार दिया।

“भाजपा में जाओ, तो सब माफ”

उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, “जो नेता भाजपा में शामिल हो जाते हैं, वे ईडी-मुक्त और सीबीआई-मुक्त हो जाते हैं। लेकिन जो विपक्ष में हैं, उन्हें बंधक बनाकर डराने की कोशिश की जाती है।”

“विभाजनकारी राजनीति को बढ़ावा, सामाजिक सौहार्द पर हमला”

भूपेश बघेल ने कहा कि सरकार विरोधियों को ‘अर्बन नक्सल’ और ‘खालिस्तानी’ कहकर बदनाम कर रही है, और नफरत फैलाने वालों को सरकार में ऊंचे पदों से नवाजा जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि अल्पसंख्यक समुदायों में डर और असुरक्षा का माहौल है, जबकि सत्तारूढ़ दल नफरत फैलाने वालों को खुला संरक्षण दे रही है।

भूपेश बघेल ने कहा कि आज का भारत संविधान के मूल विचारों से दूर होता जा रहा है, और एकजुट विपक्ष ही अब लोकतंत्र की अंतिम उम्मीद बन चुका है। उन्होंने भाजपा से सवाल किया: “जब खुद आप हर लोकतांत्रिक संस्था को तोड़ चुके हैं, तो काला दिवस मनाने का नैतिक अधिकार आपके पास कैसे बचा है?”

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