छत्तीसगढ़ का पहला आदिवासी संग्रहालय 9 करोड़ की लागत से तैयार, मुख्यमंत्री साय ने किया लोकार्पण

रायपुर। छत्तीसगढ़ की समृद्ध आदिवासी संस्कृति को संजोने और भावी पीढ़ियों तक पहुंचाने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल करते हुए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने आज नवा रायपुर में राज्य के पहले आदिवासी संग्रहालय का लोकार्पण किया। लगभग 9 करोड़ रुपए की लागत से तैयार इस संग्रहालय का शुभारंभ एक भव्य समारोह में किया गया, जिसमें उपमुख्यमंत्री अरुण साव, आदिम जाति कल्याण मंत्री राम विचार नेताम और विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह भी उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बताया आदिवासी गौरव का प्रतीक
इस अवसर पर सीएम साय ने कहा, “यह मेरे लिए गर्व की बात है कि मुझे छत्तीसगढ़ के पहले आदिवासी संग्रहालय का उद्घाटन करने का अवसर मिला। यह संग्रहालय राज्य की विविध आदिवासी परंपराओं, अनुष्ठानों और कलाओं को संरक्षित करने का माध्यम बनेगा।” उन्होंने संग्रहालय की तेजी से पूर्णता पर विभागीय अधिकारियों की सराहना करते हुए कहा कि स्वीकृति के मात्र 10 माह के भीतर यह संग्रहालय बनकर तैयार हो जाना एक उल्लेखनीय उपलब्धि है।
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम के दौरान व्यापम से चयनित 300 छात्रावास अधीक्षकों को नियुक्ति पत्र भी सौंपे और उन्हें भावी पीढ़ी के मार्गदर्शक बनने की शुभकामनाएं दीं।
मंत्री नेताम ने कहा– शोध और जानकारी का केंद्र बनेगा संग्रहालय
आदिम जाति कल्याण मंत्री राम विचार नेताम ने अपने वक्तव्य में कहा कि छत्तीसगढ़ आदिवासी बहुल राज्य है और यह संग्रहालय विभिन्न जनजातियों के रीति-रिवाजों, संस्कृति, पहनावे, त्योहारों और कलाओं का दस्तावेज बनकर उभरेगा। उन्होंने कहा कि यह संग्रहालय शोधकर्ताओं और विद्यार्थियों के लिए जानकारी का उत्कृष्ट स्रोत साबित होगा।
उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की भी सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने 15 वर्षों तक राज्य के आदिवासी विकास की नींव रखी और अब मुख्यमंत्री साय उसी दिशा में इसे और मजबूत कर रहे हैं।
डॉ. रमन सिंह बोले– यह केवल संग्रहालय नहीं, जीवंत अनुभव है
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने मुख्यमंत्री साय को बधाई देते हुए कहा कि यह संग्रहालय सिर्फ एक भवन नहीं बल्कि एक जीवंत अनुभव है, जिसमें प्रवेश करते ही आदिवासी जीवनशैली की झलक महसूस होती है। उन्होंने कहा कि यह पहल “सबका साथ, सबका विकास” के मूलमंत्र को साकार करती है।
डॉ. सिंह ने यह भी कहा कि 300 नए अधीक्षकों की नियुक्ति से राज्य के छात्रावासों की व्यवस्था और निगरानी में सुधार आएगा और आदिवासी बच्चों की शिक्षा को नई दिशा मिलेगी।