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सर्दी में बच्चों- बुजुर्गों के लिए रहता है रिस्क, जानें निमानिया से बचाव के उपाय

हेल्थ न्युज (एजेंसी)। सर्दियों का मौसम खुशगवार तो होता है, लेकिन स्वास्थ्य के प्रति जरा सी लापरवाही बच्चों और बुजुर्गों के लिए मुसीबत बन सकती है। कड़ाके की ठंड में कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण फेफड़ों में संक्रमण यानी निमोनिया का खतरा काफी बढ़ जाता है।

यहाँ निमोनिया के लक्षण और इससे बचाव के प्रभावी तरीकों के बारे में विस्तार से बताया गया है:

शीतलहर में बढ़ता निमोनिया का खतरा: लक्षण और सुरक्षा के कारगर उपाय

निमोनिया क्या है और इसके लक्षण?

निमोनिया फेफड़ों में होने वाला एक गंभीर संक्रमण है, जो वायरस या बैक्टीरिया के कारण होता है। इसमें फेफड़ों में सूजन आ जाती है और कई बार तरल पदार्थ या मवाद भर जाता है। इसके मुख्य संकेत निम्नलिखित हैं:

लगातार खांसी: बलगम वाली खांसी होना और सांस लेने में तकलीफ।

तेज बुखार: बुखार के साथ शरीर में कंपकंपी छूटना और पसीना आना।

सांसों की आवाज: सांस लेते समय फेफड़ों से ‘घरघराहट’ या सीटी जैसी आवाज आना।

शारीरिक कमजोरी: अत्यधिक थकान, भूख न लगना और सीने में दर्द महसूस होना।

रंग में बदलाव: बच्चों के मामले में ऑक्सीजन की कमी से नाखून या होंठों का रंग हल्का नीला पड़ने लगता है।

बुजुर्गों और बच्चों को अधिक जोखिम क्यों?

बढ़ती उम्र के साथ बुजुर्गों का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। विशेष रूप से वे लोग जो डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों से जूझ रहे हैं, उन्हें संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा होता है। वहीं, छोटे बच्चों का शरीर बाहरी ठंडी हवाओं और कीटाणुओं से लड़ने के लिए पूरी तरह सक्षम नहीं होता, जिससे वे जल्दी इसकी चपेट में आ जाते हैं।

बचाव के लिए अपनाएं ये जरूरी टिप्स
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, बीमारी के इलाज से बेहतर उसका बचाव है। आप इन उपायों से अपने परिवार को सुरक्षित रख सकते हैं:

गर्म कपड़ों का कवच: बच्चों और बुजुर्गों को हमेशा परतों में गर्म कपड़े पहनाएं ताकि शरीर का तापमान स्थिर रहे।

टीकाकरण (Vaccination): बच्चों को निमोनिया से बचाने वाली वैक्सीन समय पर जरूर लगवाएं। यह सुरक्षा का सबसे मजबूत तरीका है।

स्वच्छता का ध्यान: संक्रमण से बचने के लिए आसपास सफाई रखें। भोजन से पहले हाथ धोने की आदत डालें।

धूप का सेवन: सर्दियों में हल्की धूप शरीर को प्राकृतिक गर्माहट देती है और विटामिन-D के स्तर को बढ़ाती है, जो इम्युनिटी के लिए जरूरी है।

बच्चों की विशेष देखभाल: छोटे बच्चों को लंबे समय तक गीला न रहने दें। समय-समय पर डायपर चेक करते रहें ताकि ठंड उनके सीने तक न पहुंचे।

पूरा इलाज: यदि डॉक्टर ने एंटीबायोटिक दवाएं दी हैं, तो लक्षण ठीक होने के बाद भी कोर्स अधूरा न छोड़ें।

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