छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में महिला सशक्तिकरण : एक नया अध्याय

रायपुर। छत्तीसगढ़ में हमेशा से महिलाओं और पुरुषों को समानता की नजर से देखा जाता रहा है, पर आर्थिक मामलों में अभी भी पुरुषों का वर्चस्व था। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की सरकार ने इस आर्थिक असमानता को खत्म करने का बीड़ा उठाया है। अब राज्य की हर महिला आत्मनिर्भर बन रही है और अपने छोटे-बड़े फैसले खुद ले रही है। ‘महतारी वंदन योजना’ जैसी पहलें महिलाओं के योगदान का सम्मान करती हैं, जबकि अन्य योजनाओं ने उन्हें उद्यमी बनने के लिए प्रेरित किया है। मुख्यमंत्री ने आधी आबादी को मजबूत कर एक विकसित छत्तीसगढ़ की नींव रखी है।

पिछले 19 महीनों में, छत्तीसगढ़ ने महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में एक नई पहचान बनाई है। राज्य सरकार ने महिलाओं को आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक और स्वास्थ्य के मोर्चे पर मजबूत बनाने के लिए ठोस कदम उठाए हैं। योजनाओं को पारदर्शी तरीके से लागू किया जा रहा है, जिससे महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिल रहा है।

आर्थिक आत्मनिर्भरता की राह: ‘महतारी वंदन योजना’

1 मार्च 2024 से शुरू हुई ‘महतारी वंदन योजना’ ने महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण में क्रांति ला दी है। इस योजना के तहत, हर शादीशुदा महिला को उनके बैंक खाते में हर महीने 1,000 रुपए सीधे मिल रहे हैं। मार्च 2024 से सितंबर 2025 तक, 69.15 लाख से ज्यादा महिलाओं को ₹12,376.19 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है। यह राशि महिलाओं को उनकी रोजमर्रा की जरूरतों और पोषण के लिए मदद कर रही है। मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए इस योजना के लिए ₹5,500 करोड़ का बजट रखा गया है।

साथ ही, 179 ‘महतारी सदन’ बनाने के लिए ₹52.20 करोड़ की मंजूरी दी गई है। हर सदन ₹29.20 लाख की लागत से बनेगा और यह महिलाओं के प्रशिक्षण, बैठक और सामुदायिक गतिविधियों का केंद्र होगा।

स्वरोजगार और उद्यमिता को बढ़ावा

साय सरकार ने महिला श्रमिकों और स्व-सहायता समूहों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए कई नई योजनाएं शुरू की हैं:

मुख्यमंत्री सिलाई मशीन सहायता योजना: 18 से 50 वर्ष की पंजीकृत महिला श्रमिकों को एक सिलाई मशीन खरीदने के लिए ₹7,900 की सहायता मिलती है।

दीदी ई-रिक्शा सहायता योजना: 3 साल से पंजीकृत महिला श्रमिकों को ₹1 लाख का अनुदान मिलता है।

मिनीमाता महतारी जतन योजना: गर्भवती महिला श्रमिकों को पौष्टिक आहार के लिए ₹20,000 की आर्थिक सहायता दी जाती है।

मुख्यमंत्री नोनी सशक्तिकरण योजना: पंजीकृत श्रमिकों की 18-21 साल की अविवाहित बेटियों की पढ़ाई और अन्य खर्चों के लिए ₹20,000 की मदद दी जाती है।

महतारी शक्ति ऋण योजना: महिलाओं को बिना गारंटी के ₹25,000 का कर्ज दिया जाता है ताकि वे अपना स्वरोजगार शुरू कर सकें।

सक्षम योजना: जिन महिलाओं की सालाना आय ₹2 लाख से कम है, उन्हें 3% ब्याज पर ₹2 लाख तक का ऋण दिया जाता है।

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) में ₹800 करोड़ का प्रावधान किया गया है, जिसमें “लखपति महिला” और “ड्रोन दीदी” जैसी खास पहलें शामिल हैं। इन योजनाओं से महिलाओं को न केवल आर्थिक रूप से मजबूत बनाया जा रहा है, बल्कि उन्हें स्थायी रोजगार के मौके भी मिल रहे हैं।

सुरक्षा और स्वास्थ्य की प्राथमिकता

साय सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा को अपनी नीतियों के केंद्र में रखा है।

नवाबिहान योजना के तहत, घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं को कानूनी, चिकित्सा और परामर्श जैसी सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। इसके लिए ₹20 करोड़ का प्रावधान है।

छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य बन गया है जिसने सखी वन-स्टॉप सेंटर में SOP लागू किया है। 27 जिलों में ये सेंटर 24×7 काम कर रहे हैं।

महिला हेल्पलाइन 181 और डायल 112 के जरिए संकट में फंसी महिलाओं को तुरंत सहायता दी जाती है।

शुचिता योजना के तहत 2,000 स्कूलों में नैपकिन वेंडिंग मशीन लगाई गई हैं, जिससे 3 लाख से अधिक किशोरियों को स्वच्छता सामग्री मिल रही है। इस पर ₹13 करोड़ का बजट खर्च किया जा रहा है।

हाई स्कूल की छात्राओं को साइकिल बांटने के लिए ₹50 करोड़ का प्रावधान है।

गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को पौष्टिक आहार और स्वास्थ्य पूरक सामग्री भी दी जा रही है।

नवाचार और ब्रांडिंग

नया रायपुर में ₹200 करोड़ की लागत से एक ‘यूनिटी मॉल’ बनाया जा रहा है, जहाँ महिला समूहों द्वारा बनाए गए उत्पाद बेचे जाएंगे। जशपुर जिले में आदिवासी महिलाओं द्वारा संचालित ‘जशप्योर ब्रांड’ वन-आधारित उत्पादों के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पहचान बना रहा है। यह “वोकल फॉर लोकल” का एक सफल उदाहरण है।

वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग को ₹8,245 करोड़ का बजट दिया गया है, जिसमें महतारी वंदन, पोषण, स्वास्थ्य, ऋण और सुरक्षा योजनाओं का विस्तार शामिल है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय का मानना है कि महिला सशक्तिकरण सिर्फ घोषणाओं से नहीं, बल्कि जमीन पर असली बदलाव लाने से संभव है। वहीं, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े का कहना है कि सरकार का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि हर योजना का लाभ सही समय पर और पारदर्शी तरीके से पात्र महिलाओं तक पहुँचे।

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