माओवादी संगठन में मतभेद : तेलंगाना कमेटी ने युद्ध विराम से किया इनकार

रायपुर। छत्तीसगढ़ में नक्सल संगठन में युद्ध विराम के मुद्दे पर आंतरिक कलह सामने आई है। तेलंगाना राज्य कमेटी ने एक प्रेस नोट जारी कर कहा है कि केंद्रीय कमेटी के प्रवक्ता अभय की शांति वार्ता और हथियार डालने की बात उनकी निजी राय है, न कि पार्टी का आधिकारिक निर्णय।
तेलंगाना राज्य कमेटी ने युद्ध विराम या आत्मसमर्पण की किसी भी संभावना को खारिज करते हुए बीजेपी को ‘जनविरोधी’ करार दिया है। इस प्रेस नोट से यह साफ हो गया है कि नक्सल संगठन में दो गुट बन गए हैं। ऐसा माना जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों की लगातार कार्रवाई से सक्रिय नक्सलियों के बीच डर का माहौल है, जिसकी वजह से यह मतभेद उभरा है।
बीजेपी सरकार के खिलाफ माओवादियों का रुख
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की तेलंगाना राज्य समिति ने कहा कि केंद्र की बीजेपी सरकार लंबे समय से उनके आंदोलन को खत्म करने की योजना बना रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि जनवरी 2024 से बीजेपी सरकार बड़े पैमाने पर अभियान चलाकर लोगों को खत्म करने की कोशिश कर रही है।
मार्च 2025 में, कुछ बुद्धिजीवियों ने शांति वार्ता का प्रस्ताव रखा था। इसके जवाब में, माओवादी केंद्रीय कमेटी ने स्पष्ट किया था कि वे बातचीत के लिए तैयार हैं, बशर्ते सुरक्षाबलों के नए कैंपों का निर्माण रोका जाए और शांतिपूर्ण माहौल बनाया जाए।
‘बीजेपी ने हमारे खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है’
माओवादियों ने अपने पत्र में लिखा कि केंद्र सरकार बिना किसी रुकावट के अपने सैन्य अभियान जारी रखे हुए है। उन्होंने गृह मंत्री के उस बयान का भी जिक्र किया जिसमें उन्होंने मार्च 2026 तक माओवाद को खत्म करने की समय सीमा तय की है। माओवादियों ने कहा कि तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में जन संगठन ‘ऑपरेशन कगार’ का विरोध कर रहे हैं। हालांकि, बीजेपी सरकार इस अभियान को जारी रखने की घोषणा कर रही है।
नक्सली नेताओं की मौत का जिक्र
पत्र में माओवादियों ने कई बड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं की मौत का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि 21 मई को एक हमले में उनके महासचिव समेत 28 साथी मारे गए। इसके बाद जून, जुलाई, अगस्त और सितंबर में भी कई केंद्रीय और राज्य कमेटी के सदस्यों की मौत हुई। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि कुछ सदस्यों ने स्वास्थ्य कारणों से पार्टी की अनुमति से आत्मसमर्पण कर दिया है।
यह पूरी स्थिति दर्शाती है कि सुरक्षाबलों के बढ़ते दबाव और आंतरिक मतभेदों के कारण नक्सली संगठन कमजोर हो रहा है। वहीं, गृह मंत्री अमित शाह ने मार्च 2026 तक नक्सलवाद को खत्म करने का लक्ष्य रखा है, जबकि छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री विजय शर्मा ने शांति वार्ता के लिए नक्सलियों के हथियार डालने की शर्त रखी है।
















