छत्तीसगढ़ में डिजिटल क्रांति : 1 जनवरी से पूरी तरह पेपरलेस होंगे सरकारी दफ्तर

रायपुर। छत्तीसगढ़ की प्रशासनिक व्यवस्था नए साल से एक ऐतिहासिक बदलाव की गवाह बनने जा रही है। 1 जनवरी 2026 से प्रदेश के सभी सरकारी कार्यालयों में पारंपरिक कागजी फाइलों का दौर समाप्त हो जाएगा और इसकी जगह पूरी तरह से ‘ई-ऑफिस’ (e-Office) सिस्टम लागू कर दिया जाएगा।
इस महत्वपूर्ण बदलाव के मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:
फिजिकल फाइलों पर पाबंदी: मंत्रालय से लेकर जिला कलेक्टर कार्यालयों तक, अब किसी भी भौतिक (कागजी) फाइल का उपयोग नहीं किया जा सकेगा। विभाग प्रमुख की विशेष अनुमति के बिना कोई भी फाइल टेबल पर मूव नहीं होगी।
व्यापक कार्यक्षेत्र: यह आदेश राज्य के सभी विभागों, राजस्व मंडल (बिलासपुर), विभागाध्यक्षों, संभागायुक्तों और जिला कलेक्टरों पर समान रूप से लागू होगा।
एक साल की तैयारी: राज्य सरकार पिछले एक वर्ष से इस डिजिटल सिस्टम को जमीन पर उतारने की तैयारी कर रही थी, जो अब अंतिम रूप लेने जा रही है।
सुशासन की ओर एक बड़ा कदम
राज्य के मुख्य सचिव द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार, ई-ऑफिस प्रणाली को लागू करने के पीछे का मुख्य उद्देश्य शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना है। इस डिजिटल व्यवस्था से सरकारी कामकाज में निम्नलिखित सुधार होने की उम्मीद है:
गति और प्रभावशीलता: फाइलों के डिजिटल होने से उनके निपटारे में लगने वाला समय कम होगा।
सरलीकरण: जटिल कागजी प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया है ताकि काम आसानी से ट्रैक हो सके।
भ्रष्टाचार पर रोक: फाइलों की ऑनलाइन ट्रैकिंग से काम में पारदर्शिता आएगी और देरी के कारणों का आसानी से पता चल सकेगा।
नए साल के पहले दिन से राज्य के सभी कार्यालयों में डाक और दस्तावेजों का आदान-प्रदान पूरी तरह डिजिटल माध्यम से ही किया जाएगा। यह कदम छत्तीसगढ़ को देश के अग्रणी डिजिटल राज्यों की श्रेणी में खड़ा करने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।
















