छत्तीसगढ़

डिजिटल शक्ति से वैश्विक पहचान : बिहान की दीदियों का आत्मनिर्भरता की ओर कदम

रायपुर। महिलाएँ आज जीवन के हर क्षेत्र में सफलता के नए आयाम स्थापित कर रही हैं। तकनीकी प्रगति ने दुनिया भर के उत्पादों को हमारी उँगलियों पर ला दिया है, जिससे डिजिटल माध्यमों के ज़रिए अब वैश्विक बाज़ार तक पहुँचना संभव हो गया है। इसी लक्ष्य को साधने के लिए, छत्तीसगढ़ के उत्पादों को देश और दुनिया के बाज़ारों तक पहुँचाने के उद्देश्य से, बिहान समूह की महिलाओं को डिजिटल प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज रायपुर के शहीद स्मारक भवन में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग और पॉलिसी वॉच द्वारा आयोजित बिहान दीदियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बात कही।

नारी शक्ति का सम्मान और आत्मनिर्भरता

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि नवरात्रि का पर्व हमारी संस्कृति में नारी शक्ति के आदर और पूजा का प्रतीक है। जहाँ नारी का सम्मान होता है, वहीं देवताओं का वास माना जाता है। उन्होंने ज़ोर दिया कि प्रदेश की महिलाएँ इतिहास रच रही हैं, और बिहान की बहनों की सफलता हर किसी को गर्व से भर देती है। छत्तीसगढ़ की ये दीदियाँ अब आत्मनिर्भरता की ब्रांड एंबेसडर बन रही हैं। लखपति दीदियाँ अपने सपनों को नई उड़ान दे रही हैं, और उन्हें अब डिजिटल रूप से सक्षम बनाकर उनके उत्पादों को वैश्विक बाज़ार से जोड़ने का काम किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री श्री साय ने दृढ़ता से कहा कि अगर हम संकल्प लेकर आगे बढ़ें, तो सफलता निश्चित है। केंद्र और राज्य सरकार मिलकर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए लगातार काम कर रही हैं। वर्ष 2027 तक देशभर में 3 करोड़ और छत्तीसगढ़ में 8 लाख महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि जशपुर जैसे ज़िलों में महुआ पर आधारित उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं, जिन्हें ‘जशप्योर’ ब्रांड के तहत राष्ट्रीय पहचान मिली है। कोरोना महामारी के दौरान, महुआ से सैनिटाइज़र बनाकर इन महिलाओं ने अपनी क्षमता और नवाचार का बेहतरीन परिचय दिया था।

श्री साय ने यह भी कहा कि महतारी वंदन योजना ने महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण सहायता दी है। उन्होंने विश्वास दिलाया कि सरकार महिलाओं को और भी अधिक मज़बूत बनाने के लिए हरसंभव सहयोग करेगी। आत्मनिर्भरता का मार्ग केवल दृढ़ संकल्प और निरंतर प्रयास से ही खुलता है, और महिला स्व-सहायता समूहों के नवाचार और अथक परिश्रम से प्रदेश की अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा मिल रही है।

लखपति दीदियों की प्रेरणादायक यात्रा

इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने लखपति दीदी बनने की प्रेरणादायक कहानियाँ भी सुनीं।

बलरामपुर ज़िले के तारकेश्वरपुर की श्रीमती पूनम गुप्ता ने बताया कि सरस्वती महिला स्व-सहायता समूह से जुड़ने के बाद उनके जीवन में बड़ा बदलाव आया। उन्होंने प्रशासन के सहयोग से किराना दुकान और आटा चक्की शुरू की, और अब पिकअप व ट्रैक्टर ख़रीदकर अपने व्यवसाय का विस्तार कर चुकी हैं।

गरियाबंद की श्रीमती हेमिन साहू ने बताया कि एक समय था जब सब्ज़ी ख़रीदने में भी उन्हें मुश्किल होती थी। बिहान से ऋण लेकर उन्होंने आचार-पापड़ का काम शुरू किया, जो अब राजिम में दुकान तक पहुँच चुका है। आज उनकी दैनिक आय लगभग 4 हज़ार रुपए है। हाल ही में दिल्ली के सरस मेले में उन्होंने ₹2 लाख 31 हज़ार की बिक्री की थी।

श्रीमती गीता वैष्णव ने भावुक होकर बताया कि पहले उन्हें ₹10 के लिए भी दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता था। बिहान के माध्यम से माँ वैभवलक्ष्मी स्व-सहायता समूह से जुड़कर आचार-पापड़ का व्यवसाय शुरू किया, और अब अपनी कमाई से बेटे को सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनाने का सपना पूरा कर रही हैं।

रायपुर की श्रीमती गीता वर्मा ने बताया कि वैभव स्व-सहायता समूह से जुड़कर हल्दी-मसाले का व्यवसाय शुरू किया और आज हर महीने ₹15 से ₹20 हज़ार की आय कमा रही हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री के ‘लखपति दीदी’ बनाने के संकल्प की सराहना करते हुए कहा कि इसने लाखों बहनों की ज़िंदगी बदल दी है।

बिहान दीदियों के उत्पादों का निरीक्षण

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने शहीद स्मारक भवन परिसर में पॉलिसी वॉच इंडिया फाउंडेशन द्वारा लगाए गए बिहान दीदियों के स्टॉलों का अवलोकन भी किया। उन्होंने विभिन्न स्व-सहायता समूहों की महिलाओं से बातचीत करके उनके उत्पादों और आजीविका की गतिविधियों के बारे में जानकारी ली।

उन्होंने भारत माता संकुल, डोंगरगांव की महिलाओं से साहीवाल और गिर गाय के A2 दूध से बने घी की ख़रीदारी की। समूह की श्रीमती दिनेश्वरी साहू ने बताया कि उनके पास 25 से 30 गाएँ हैं, जिनसे डेयरी उत्पाद तैयार करके महिलाएँ अच्छी आय अर्जित कर रही हैं।

जालाग्राम संगठन, सेरीखेड़ी की श्रीमती खिलेश्वरी मधुकर ने बताया कि उनके समूह की महिलाएँ फिनायल, धूपबत्ती, मोमबत्ती, कुकीज़ और ग्लिसरीन साबुन बनाकर आत्मनिर्भर बन रही हैं।

वहीं जय माँ भवानी स्व-सहायता समूह, मुंदगांव (डोंगरगढ़) की श्रीमती लक्ष्मी गंधर्व ने मुख्यमंत्री को अगरवुड का पौधा भेंट किया और बताया कि अगरवुड से बनने वाले तेल की कीमत लाखों रुपए होती है, जिसका उपयोग अगरबत्ती, परफ्यूम और एसेंशियल ऑयल बनाने में होता है।

राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों से जुड़ने का प्रशिक्षण

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग और पॉलिसी वॉच के संयुक्त तत्वावधान में बिहान की दीदियों के लिए एक विशेष कार्यशाला आयोजित की गई है। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य स्व-सहायता समूह की महिलाओं को अपने उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर बेचने के लिए सशक्त बनाना है। उन्हें उत्पाद की ब्रांडिंग, लागत निर्धारण (कास्टिंग) और पैकेजिंग जैसी महत्वपूर्ण बारीकियों का भी प्रशिक्षण दिया जाएगा।

इस अवसर पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की प्रमुख सचिव श्रीमती निहारिका बारीक सिंह तथा फ्लिपकार्ट के मुख्य कॉर्पोरेट अधिकारी श्री रजनीश कुमार सहित कई अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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