GST में दो स्लैब का प्रस्ताव ला रही सरकार… आम लोगों को मिलेगी बड़ी राहत

नई दिल्ली (एजेंसी)। जीएसटी के मौजूदा चार स्लैब की जगह पर पांच और 18 फीसदी के दो स्लैब का प्रस्ताव समुचित विश्लेषण तथा मूल्यांकन के बाद लाया गया है। केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि जीएसटी दरों के पुनर्निर्धारण को लेकर बीते तीन वर्ष से काम चल रहा है। इसका मकसद आम लोगों को बड़ी राहत प्रदान करना है। दो स्लैब लागू होने के बाद खाने-पीने और दैनिक जीवन में इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं के दाम कम होंगे और आम लोगों का खर्च कम होगा।
तात्कालिक फैसला नहीं
दो स्लैब के प्रस्ताव को लेकर पहले से मंत्रियों का समूह (जीओएम) गठित है, जिसके बीच में अध्यक्ष बदलते रहे हैं, लेकिन जीओएम द्वारा जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने की दिशा में नियमित तौर पर काम किया जा रहा है, इसलिए जीएसटी स्लैब में बदलाव का प्रस्ताव कोई तात्कालिक फैसले पर आधारित नहीं है। प्रस्ताव देने से पहले राजस्व संग्रह, उसमें आने वाली कमी, कर दरों में बदलाव के बाद आम आदमी को मिलने वाली राहत और अर्थव्यवस्था के नजरिए से आकलन किया गया।
इलाज सस्ता होगा
सरकार का कहना है कि मुख्य तौर पर बदलाव का प्रस्ताव गरीब-मध्यवर्ग और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) को ध्यान में रखकर लाया गया है। इसके तहत दैनिक जीवन में इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं के दाम कम होंगे। इतना ही नहीं, लोगों का इलाज कराना भी सस्ता होगा, क्योंकि कई तरह के मेडिकल उपकरण पहले से सस्ते होंगे, जो अभी तक 28 फीसदी के स्लैब में शामिल हैं। वह भविष्य में 18 फीसदी और पांच फीसदी के स्लैब में जाएंगे। आम आदमी की जरूरत से जुड़ी 99 फीसदी वस्तुएं 12 की जगह पांच फीसदी कर के दायरे में आएंगी। इससे देश में खरीदारी करने की क्षमता भी बढ़ेगी।
छोटे उद्योगों को रफ्तार मिलेगी
जीएसटी रजिस्ट्रेशन, रिटर्न और रिफंड की प्रक्रिया पहले से आसान होने से उद्योग क्षेत्र को लाभ होगा, जिससे अर्थव्यवस्था को गति मिल सकेगी। एमएसएमई की देश की आर्थिक विकास में अहम भूमिका है। मौजूदा जीएसटी प्रक्रिया में कई स्तर पर दिक्कतें है, जिन्हें दूर कर नियम प्रक्रिया को सरलीकरण करने का प्रस्ताव है। इससे देश में कारोबार और उद्यम लगाने का माहौल पहले से बेहतर होगा। खास तौर पर छोटे और मझोले उद्योगों के लिए जीएसटी की पूरी प्रक्रिया आसान होगी।
सभी को रजिस्ट्रेशन के दायरे में लाना लक्ष्य
जीएसटी दरों में कटौती के बाद सालाना राजस्व में होने वाली कमी को लेकर केंद्र सरकार का मानना है कि इससे कोई बड़ा नुकसान नहीं होगा। मौजूदा समय में जीएसटी के अंदर अधिकतर वस्तुएं एवं सेवाएं शामिल है। भविष्य में दो अहम बातों पर ध्यान दिया जाएगा, जिससे जीएसटी कलेक्शन को भी बढ़ावा मिलेगा। नंबर एक, हर कारोबारी को जीएसटी रजिस्ट्रेशन के दायरे में लाया जाएगा। क्योंकि, अब जीएसटी की दरें पूरी तरह से व्यवहारिक होंगी। ऐसे में उन्हें जीएसटी रजिस्ट्रेशन लेने में भी कोई परेशानी नहीं होगी। दूसरा, जब जीएसटी रिटर्न और रिफंड की प्रक्रिया आसान और समयबद्ध होगी तो उससे कारोबारियों को समय पर रिटर्न भरने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इससे जीएसटी चोरी को रोकने में मदद मिलेगी।
बड़े बदलाव का है प्रस्ताव
केंद्र सरकार ने जीएसटी काउंसिल से जुड़ी जीओएम में मौजूदा 5, 12, 18 और 24 प्रतिशत की दरों की जगह दो कर दर (स्लैब) का प्रस्ताव रखा है। विशेष कर दर सिर्फ कुछ चुनिंदा वस्तुओं के लिए होगी, जिसे पान-मसाल, तंबाकू, सिगरेट आदि पांच से सात वस्तुएं शामिल होंगे। विशेष कर 40 फीसदी लगाने का प्रस्ताव है।