सरकारी दफ्तरों में कामकाज ठप होने के आसार, 29 दिसंबर से लामबंद होंगे कर्मचारी

रायपुर। छत्तीसगढ़ में सरकारी कामकाज की रफ्तार आने वाले दिनों में थम सकती है। अपनी लंबित 11 सूत्रीय मांगों को लेकर राज्य के शासकीय कर्मचारी और अधिकारी एक बार फिर आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। ‘छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन’ के नेतृत्व में प्रदेश भर के कर्मचारी 29 से 31 दिसंबर तक तीन दिवसीय सामूहिक हड़ताल पर रहेंगे।
आंदोलन की रूपरेखा और तैयारियां
हड़ताल को सफल बनाने के लिए इंद्रावती भवन में 13 दिसंबर को ‘छत्तीसगढ़ संचालनालयीन शासकीय कर्मचारी संघ’ की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में रणनीति तैयार करते हुए विभिन्न टीमों का गठन किया गया है। ये टीमें विभागवार जाकर कर्मचारियों को आंदोलन के उद्देश्यों से अवगत कराएंगी और उन्हें एकजुट करेंगी।
प्रमुख 11 मांगें जिन पर अड़ा है संघ
कर्मचारी संगठनों ने अपनी मांगों की एक लंबी सूची शासन के समक्ष रखी है, जिसमें मुख्य रूप से निम्नलिखित बिंदु शामिल हैं:
महंगाई भत्ता (DA): केंद्र के समान तिथि से ही कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को महंगाई भत्ता प्रदान किया जाए।
DA एरियर्स: पिछले बकाया महंगाई भत्ते की राशि को कर्मचारियों के GPF खाते में जमा किया जाए।
वेतनमान: सभी संवर्गों के लिए 4 स्तरीय समयमान वेतनमान की व्यवस्था लागू हो।
पिंगुआ कमेटी रिपोर्ट: शिक्षकों, लिपिकों, स्वास्थ्य और महिला बाल विकास विभाग की वेतन विसंगतियों पर बनी पिंगुआ कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए।
सेवा गणना: प्रथम नियुक्ति तिथि के आधार पर सेवा लाभ की गणना हो और पंचायत सचिवों का शासकीयकरण किया जाए।
समयमान वेतन: सहायक शिक्षकों और सहायक पशु चिकित्सा अधिकारियों को तीसरा समयमान वेतनमान दिया जाए।
नगरीय निकाय: नगरीय निकायों के कर्मियों को समय पर मासिक वेतन और प्रमोशन सुनिश्चित हो।
अनुकंपा नियुक्ति: अनुकंपा नियुक्ति के नियमों में लगी 10 प्रतिशत की सीमा (सीलिंग) को हटाया जाए।
स्वास्थ्य सुविधा: पूरे प्रदेश में कैशलेस इलाज की सुविधा प्रभावी रूप से लागू की जाए।
अवकाश नगदीकरण: अर्जित अवकाश के नगदीकरण की सीमा को बढ़ाकर 300 दिन किया जाए।
नियमितीकरण व आयु: संविदा और अनियमित कर्मचारियों के नियमितीकरण के लिए ठोस नीति बने और सेवानिवृत्ति की आयु सभी विभागों में एक समान 65 वर्ष की जाए।
प्रभाव: इस तीन दिवसीय आंदोलन के कारण मंत्रालय से लेकर जिला स्तर के कार्यालयों में आम जनता से जुड़े काम प्रभावित होने की पूरी संभावना है।
















