आयकर विभाग ने पकड़े 700 करोड़ से अधिक के फर्जी टैक्स रिफंड के मामले

नई दिल्ली (एजेंसी)। आयकर रिटर्न (ITR) जमा करने की समय सीमा खत्म होने के बाद, अब आयकर विभाग द्वारा जमा किए गए दस्तावेजों की गहनता से जाँच की जा रही है। इस जाँच के दौरान, विभाग ने ₹700 करोड़ से भी ज़्यादा के फ़र्ज़ी आयकर रिफंड (Fake Income Tax Refunds) के मामलों का पता लगाया है। इन मामलों में, फ़र्ज़ी बिलों और रसीदों का उपयोग करके रिफंड का दावा किया गया था।
शुरुआती जाँच में फ़र्ज़ीवाड़े के कई मामले सामने आने के बाद, अब विभाग ने उन सभी मामलों की जाँच का दायरा बढ़ा दिया है जिनमें ₹20,000 से ज़्यादा के रिफंड का दावा किया गया है। रिफंड पाने के लिए जमा किए गए मेडिकल बिल और दान की रसीदों की जाँच से पता चला है कि इनमें बड़े पैमाने पर हेराफेरी की गई है। कुछ मामलों में तो ऐसे संस्थानों को दान दिखाया गया है, जो या तो पात्र नहीं हैं या जिन्हें कभी दान की रकम मिली ही नहीं है।
रिफंड जारी होने से पहले होगी गहन जाँच
जानकारी के अनुसार, आयकर विभाग इस बार रिफंड जारी करने से पहले सभी दावों की गहराई से जाँच करेगा। इस साल अंतिम दिनों में, खासकर अंतिम पाँच दिनों में, तीन करोड़ से ज़्यादा रिटर्न दाखिल किए गए थे। अंतिम समय में जमा किए गए रिटर्न में फ़र्ज़ी दावे होने की संभावना अधिक होती है।
रिफंड पाने के लिए किए गए झूठे दावे
आयकर रिटर्न भरते समय, लोग फ़र्ज़ी रिफंड पाने के लिए अक्सर झूठे दावे करते हैं। वित्तीय वर्ष 2023-24 और 2024-25 से जुड़े मामलों में, आयकर विभाग ने कई फ़र्ज़ी दस्तावेज पकड़े हैं। जुलाई में, विभाग ने देशभर के 150 से ज़्यादा ठिकानों पर छापेमारी की थी, क्योंकि राजनीतिक चंदे, ट्यूशन फीस, और मेडिकल ख़र्चों जैसे विभिन्न मदों में फ़र्ज़ी कटौतियों का दावा किया गया था। इस कार्रवाई में कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और डिजिटल रिकॉर्ड ज़ब्त किए गए। जिन लोगों पर कार्रवाई हुई, उनमें चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) और रिटर्न भरने वाले अन्य लोग भी शामिल थे।
देशभर में फैला है यह नेटवर्क
आयकर विभाग अब भरे गए रिटर्न की बारीकी से जाँच कर रहा है। इसके लिए AI (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) टूल्स के साथ-साथ, ज़मीनी और तीसरे पक्ष से भी जानकारी और सबूत जुटाए जा रहे हैं। जुलाई में, विभाग ने पाया था कि पूरे देश में ऐसे लोगों का एक नेटवर्क सक्रिय है, जो फ़र्ज़ी रिटर्न दाखिल कर टैक्स चोरी करते हैं। इनमें ख़ासकर महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, दिल्ली, गुजरात, पंजाब और मध्य प्रदेश के अलग-अलग शहरों से भरे गए रिटर्न शामिल हैं, जिनमें टैक्स छूट के झूठे दावे किए जाते हैं।
फ़र्ज़ी ईमेल आईडी का उपयोग
पिछली जाँचों के दौरान, आयकर विभाग ने पाया कि रिटर्न भरने वाले लोग फ़र्ज़ी ईमेल आईडी बनाकर एक साथ कई रिटर्न दाखिल करते थे। रिटर्न जमा करने के बाद इन ईमेल आईडी को हटा दिया जाता था, जिससे विभाग द्वारा भेजे गए नोटिस अक्सर नहीं पहुँच पाते थे और जाँच में दिक्कत आती थी।