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अनुच्छेद 370, 35ए जम्मू-कश्मीर, लद्दाख के लोगों के साथ विश्वासघात था : पीएम मोदी

नई  दिल्ली (एजेंसी)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख को लेकर संविधान के अनुच्छेद 370 एवं 35 ए वहां के लोगों के साथ एक ‘विश्वासघात’ था और इन अनुच्छेदों के हटने से कश्मीरियों के साथ अन्याय और देश के माथे पर कलंक मिट गया है।

प्रधानमंत्री ने उच्चतम न्यायालय के कल अनुच्छेद 370 एवं 35 ए को लेकर दिए गए फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि इस ऐतिहासिक निर्णय से ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना मजबूत हुई है तथा केन्द्र शासित प्रदेशों में सामाजिक आर्थिक विकास को गति मिली है।

श्री मोदी ने उच्चतम न्यायालय के फैसले पर आज एक लेख लिखा है जिसमें उन्होंने फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि आज जम्मू कश्मीर और लद्दाख में जन्म लेने वाले प्रत्येक बच्चे को साफ-सुथरा माहौल मिल रहा है जिसमें वह अपने भविष्य को साकार कर सकता है। लोगों के सपने बीते समय के मोहताज नहीं, बल्कि भविष्य की संभावनाएं बन गए हैं। जम्मू कश्मीर में मोहभंग, निराशा और हताशा की जगह अब विकास, लोकतंत्र और गरिमा ने ले ली है।

श्री मोदी ने लेख में कहा कि उच्चतम न्यायालय ने अनुच्छेद 370 और 35 (ए) को निरस्त करने पर 11 दिसंबर को ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। न्यायालय ने अपने फैसले में भारत की संप्रभुता और अखंडता को बरकरार रखा है, जिसे प्रत्येक भारतीय द्वारा सदैव संजोया जाता रहा है। न्यायालय का यह कहना पूरी तरह से उचित है कि 05 अगस्त 2019 को हुआ निर्णय संवैधानिक एकीकरण को बढ़ाने के उद्देश्य से लिया गया था, न कि इसका उद्देश्य विघटन था। उच्चतम न्यायालय ने इस तथ्य को भी भलीभांति माना है कि अनुच्छेद 370 का स्‍वरूप स्थायी नहीं था।

उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर और लद्दाख की खूबसूरत और शांत वादियां, बर्फ से ढके पहाड़, पीढ़ियों से कवियों, कलाकारों और हर भारतीय के दिल को मंत्रमुग्ध करते रहे हैं। यह एक ऐसा अद्भुत क्षेत्र है जो हर दृष्टि से अभूतपूर्व है, जहां हिमालय आकाश को स्पर्श करता हुआ नजर आता है, और जहां इसकी झीलों एवं नदियों का निर्मल जल स्वर्ग का दर्पण प्रतीत होता है। पिछले कई दशकों से जम्मू-कश्मीर के अनेक स्थानो पर ऐसी हिंसा और अस्थिरता देखी गई, जिसकी कल्‍पना तक नहीं की जा सकती। वहां के हालात कुछ ऐसे थे, जिससे जम्मू-कश्मीर के परिश्रमी, प्रकृति प्रेमी और स्नेह से भरे लोगों को कभी भी रू-ब-रू नहीं होना चाहिए था।

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