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मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत

नई दिल्ली (एजेंसी)। शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है. फैसला सुनाते हुए जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने सख्त नियम और शर्तें रखी हैं. लेकिन टुटेजा का फिलहाल जेल से बाहर निकला मुश्किल है, क्योंकि उनके खिलाफ ईओडब्ल्यू-एसीबी द्वारा दर्ज केस में हाई कोर्ट जमानत याचिका खारिज कर चुका है.

अनिल टुटेजा को 21 अप्रैल, 2024 को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया था. लंबे वक्त से जेल में रहने के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी है. इसके साथ ही उन्हें पासपोर्ट जमा करने और सुनवाई के दौरान न्यायालय के साथ सहयोग करते हुए सख्त नियमों और शर्तों पर राहत मिली है.

टुटेजा की जमानत याचिका का ईडी की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता एसवी राजू ने विरोध किया. उन्होंने टुटेजा को वरिष्ठ नौकरशाह बताते हुए नागरिक पूर्ति निगम घोटाले में भी शामिल होने के साथ गवाहों को प्रभावित करने का आरोप लगाया. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इन दलीलों को खारिज करते हुए जमानत मंजूर कर लिया.

क्या है शराब घोटाला?

तत्कालीन भूपेश सरकार में पूर्व IAS अनिल टुटेजा, उनके बेटे यश टुटेजा और CM सचिवालय की तत्कालीन उपसचिव सौम्या चौरसिया के खिलाफ आयकर विभाग ने दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में 11 मई, 2022 को याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया कि छत्तीसगढ़ में रिश्वत, अवैध दलाली के बेहिसाब पैसे का खेल चल रहा है.

दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में दायर याचिका के आधार पर ED ने 18 नवंबर, 2022 को पीएमएलए एक्ट के तहत मामला दर्ज किया था. आयकर विभाग से मिले दस्तावेज के आधार पर ED ने जांच के बाद 2161 करोड़ के घोटाले की बात का कोर्ट में पेश चार्जशीट में जिक्र किया था.

ED ने चार्जशीट में कहा था कि साल 2017 में आबकारी नीति में संशोधन कर CSMCL के ज़रिये शराब बेचने का प्रावधान किया गया, लेकिन 2019 के बाद शराब घोटाले के किंगपिन अनवर ढेबर ने अरुणपति त्रिपाठी को CSMCL का MD नियुक्त कराया, उसके बाद अधिकारी, कारोबारी, राजनैतिक रसूख वाले लोगों के सिंडिकेट के ज़रिये भ्रष्टाचार किया गया.

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