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आईएमडी ने दे दी चेतावनी, अगले तीन महीने जमकर पड़ेगी गर्मी

नई दिल्ली (एजेंसी)। भारत में अप्रैल से जून तक तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना है। इन तीन महीनों में मध्य और पूर्वी भारत और उत्तर-पश्चिमी मैदानी इलाकों में सामान्य से ज्यादा दिन तक लू चल सकती है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने सोमवार को बताया कि अगले तीन महीने जमकर गर्मी पड़ने के आसार हैं। आईएमडी प्रमुख मृत्युंजय महापात्रा ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पश्चिमी और पूर्वी भारत के कुछ क्षेत्रों को छोड़कर देश के अधिकांश भागों में अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक रहेगा। इन दोनों क्षेत्रों में तापमान के सामान्य रहने की संभावना है। 

आईएमडी प्रमुख ने कहा कि अधिकांश क्षेत्रों में न्यूनतम तापमान भी सामान्य से अधिक रहने की संभावना है। महापात्रा ने कहा, ‘‘अप्रैल से जून तक उत्तर और पूर्वी भारत के अधिकांश हिस्सों, मध्य भारत और उत्तर-पश्चिम भारत के मैदानी इलाकों में सामान्य से दो से चार दिन अधिक लू चलने की संभावना है।’’ आमतौर पर भारत में अप्रैल से जून तक चार से सात दिन तक लू चलती है। 

16 राज्यों में सामान्य से ज्यादा दिन तक चलेगी लू

आईएमडी के एक अधिकारी ने पहले कहा था कि उत्तर-पश्चिम भारत में गर्मियों के दौरान लू के दिनों की संख्या दोगुनी हो सकती है। इस क्षेत्र में गर्मियों के मौसम के दौरान आमतौर पर पांच से छह दिन लू चलती है। जिन राज्यों में सामान्य से अधिक दिन लू चलने की संभावना है उनमें राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश तथा कर्नाटक और तमिलनाडु के उत्तरी हिस्से शामिल हैं। 

दक्षिणी और उत्तर पश्चिमी इलाकों में सामान्य रह सकता है मौसम

अप्रैल में भारत के अधिकांश भागों में अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक रहने की आशंका है। हालांकि, सुदूर दक्षिणी और उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों के कुछ इलाकों में तापमान सामान्य रह सकता है। महापात्रा ने कहा कि देश के अधिकांश हिस्सों में न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक रहेगा, सिवाय उत्तर-पश्चिम और पूर्वोत्तर के कुछ स्थानों के, जहां तापमान सामान्य या सामान्य से थोड़ा कम रह सकता है। 

9-10 फीसदी बढ़ जाएगी बिजली की मांग

विशेषज्ञों ने कहा है भारत को इस साल गर्मियों के मौसम में बिजली की मांग में 9 से 10 प्रतिशत की वृद्धि के लिए तैयार रहना चाहिए। पिछले साल, देशभर में बिजली की अधिकतम मांग 30 मई को 250 गीगावाट को पार कर गई थी, जो पूर्व में किये गए अनुमानों से 6.3 प्रतिशत अधिक थी। जलवायु परिवर्तन, बिजली की मांग में वृद्धि करने वाले प्रमुख कारकों में से एक है।

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