टॉप न्यूज़देश-विदेश

धंसते हुए बाजार में निवेशकों के डूब गए ₹81.82 लाख करोड़

नई दिल्ली (एजेंसी)। आज महाशिवरात्रि के पावन मौके पर भारतीय शेयर बाजार की छुट्टी है। एक आम निवेशक के लिए आज राहत का दिन है क्योंकि वो ये सोच रहा है कि कम से कम आज उसे नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा। 27 सितंबर, 2024 को भारतीय शेयर बाजार ने अपना लाइफटाइम हाई टच किया था। 27 सितंबर को बीएसई सेंसेक्स 85,978.25 अंकों पर पहुंच गया था और निफ्टी 50 भी 26,277.35 अंकों के स्तर पर पहुंच गया था। लेकिन अब परिस्थितियों काफी बदल चुकी हैं। लाइफटाइम हाई पर पहुंचने के बाद 28 सितंबर को बाजार में गिरावट का सिलसिला शुरू हुआ था, जो अभी भी जारी है।

सेंसेक्स अपने लाइफटाइम से 11,376.13 अंक और निफ्टी अपने लाइफटाइम हाई से 3729.80 अंक नीचे आ चुका है। बाजार में चल रही इस गिरावट की वजह से शेयर बाजार निवेशकों की सारी कमाई डूब चुकी है। 27 सितंबर, 2024 को बीएसई पर लिस्ट सभी कंपनियों का कुल मार्केट कैप 4,79,10,402.02 करोड़ रुपये था, जो गिरते-गिरते 25 फरवरी, 2025 को 3,97,21,225.36 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इसका सीधा मतलब ये हुआ कि लाइफटाइन हाई पर पहुंचने के बाद से भारतीय शेयर बाजार में निवेश करने वाले लोगों को अभी तक कुल 81,89,176.66 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है।

भारतीय मार्केट लगातार इतना क्यों गिर रहा है

भारतीय शेयर बाजार में गिरावट के कई प्रमुख कारण हैं। बाजार में 5 महीनों से चल रही गिरावट के प्रमुख कारणों की लिस्ट में विदेशी निवेशकों द्वारा की जा रही बिकवाली पहले स्थान पर है। इस साल जनवरी और फरवरी में विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार से  1,01,737 करोड़ रुपये के शेयर बेचकर पैसे निकाल चुके हैं। विदेशी निवेशकों द्वारा की जा रही ताबड़तोड़ बिकवाली की वजह से भारतीय बाजार बैकफुट पर आ गया है।

रुपये के मुकाबले डॉलर की मजबूती भी शेयर बाजार में गिरावट का एक बड़ा कारण है। रुपये की वैल्यू में जारी गिरावट की वजह से विदेशी निवेशक अंधाधुंध बिकवाली कर रहे हैं और भारतीय बाजार से पैसा निकालकर दूसरी जगहों पर लगा रहे हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति का पद संभालने के बाद से ही डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ को लेकर आक्रामक नजर आ रहे हैं। टैरिफ को लेकर ट्रंप के फैसलों के कारण दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी और अन्य प्रमुख इकोनॉमी के बीच टकराव जैसी परिस्थितियों उत्पन्न हो गई हैं। इससे पूरी दुनिया ट्रेड वॉर के मुंहाने पर आकर खड़ी हो गई है, जिससे ग्लोबल लेवल पर बड़ा आर्थिक नुकसान होने का डर है।

चीन की सरकार अपनी अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए कई बड़े कदम उठा रही है, जो देश के लिए पॉजिटिव नजर आ रहे हैं। चीन के शेयर, भारतीय शेयरों की तुलना में अच्छी वैल्यूएशन पर उपलब्ध हैं, जिसकी वजह से विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से पैसे निकालकर चीनी बाजार में पैसे लगा रहे हैं।

आने वाले समय में बाजार कैसा रहेगा

शेयर बाजार निवेशकों के मन में अभी कई तरह के सवाल उठ रहे हैं और इनमें एक सवाल सबसे अहम है कि बाजार में अभी आगे और क्या-क्या होना बाकी है। इस मुद्दे पर घरेलू ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल ने अभी हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की थी। ब्रोकरेज फर्म ने अपनी इस रिपोर्ट में कहा था कि भारतीय शेयर बाजार अगले 3 से 4 महीनों तक “corrective to consolidation” फेज में रहेगा।

पिछले साल बाजार में इतनी तेजी क्यों थी

पिछले साल 27 सितंबर तक भारतीय शेयर बाजार में रॉकेट जैसी तेजी देखने को मिल रही थी। बाजार में उस तेजी के पीछे भी कई वजहें थीं। अमेरिकी फेडरल द्वारा उस समय ब्याज दरों में 0.50 प्रतिशत की कटौती के बाद ग्लोबल मार्केट में शानदार तेजी देखने को मिली थी और इसका असर भारतीय बाजार में भी दिख रहा था। फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरें घटाए जाने के बाद ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि RBI भी ब्याज दरों में कटौती का फैसला ले सकता है।

फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती किए जाने के बाद ग्लोबल मार्केट में लिक्विडिटी बढ़ने की उम्मीदें थी। ऐसा माना जा रहा था कि विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार में बढ़-चढ़कर खरीदारी करेंगे और वे ऐसा कर भी रहे थे। इनके अलावा, उस समय बैंकिंग शेयरों समेत मिड कैप और स्मॉल कैप शेयरों में जमकर खरीदारी देखने को मिल रही थी, जिसने भारतीय शेयर बाजार को एक सकारात्मक दिशा दी थी। 

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button