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किसी भी राष्ट्र और समाज की आत्मा होती है भाषा : राज्यपाल रमेश बैस

मुंबई (एजेंसी)।  केंद्रीय  गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग द्वारा  मुंबई में मध्य एवं पश्चिमी क्षेत्रों के संयुक्त क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलन का आयोजन किया गया । मुंबई के नाभिकीय उर्जा भवन, अणुशक्ति नगर में आयोजित इस समारोह की अध्यक्षता महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस  ने की तथा केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे।

राजभाषा हिंदी के प्रचार और प्रसार के लिए उत्कृष्ट कार्य करने के लिए केंद्र सरकार विभिन्न कार्यालय तथा सरकारी उपक्रमो और बैंको  का, सरकारी अधिकारी तथा कर्मचारीओं को सन्मानचिन्ह और प्रमाणपत्र देकर सन्मानित किया गया।  इस अवसर पर  राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि  भाषा किसी भी राष्ट्र और समाज की आत्मा होती है जिसमें वह देश संवाद करता है, अपने भावों को अभिव्यक्त करता है।

राष्ट्र की पहचान इस बात से भी होती है कि उसने अपनी भाषाओं को किस सीमा तक मजबूत, व्यापक एवं समृद्ध बनाया हैI उन्होंने कहा कि भाषा हमारे विचारों का परिधान होती है और हिंदी भाषा में भारत के वह विशिष्ट सांस्कृतिक मूल्य हैं, जिनकी वजह से हम पूरे विश्व में अतुलनीय हैं। सच यह है कि हिंदी, विभिन्न भाषा-भाषी भारतीयों के सुख-दुख, आशा-निराशा, उनकी सोच, उनके संघर्ष, अभिलाषाओं और अभिव्यक्ति की भाषा हैI

उन्होंने कहा कि हमारे लोकतंत्र का मूलमंत्र है -‘सर्वजन हिताय’ अर्थात सबकी भलाई । हमारे लिए यह समझना जरूरी है कि देश की जनता की सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक सभी प्रकार की अपेक्षाओं को पूरा करने वाली योजनाओं व कार्यक्रमों को आखिरी व्यक्ति तक पहुंचाना सरकारी तंत्र का अति महत्वपूर्ण कर्तव्य है और उसकी सफलता की कसौटी भी ।

उनका कहना था कि सरकार की कल्याणकारी योजनाएं तभी प्रभावी मानी जाएंगी जब जनता और सरकार के बीच निरंतर संवाद, संपर्क और पारदर्शिता बनी रहे और सरकार की योजनाओं का लाभ देश के सभी नागरिकों को समान रूप से मिले और जन-जन तक उनके हित की बात उनकी ही भाषा में पहुंचाई जाए l

राजपाल महोदयने आगे कहा कि जो भी भाषाएं भारत में बोली जाती हैं वे सभी ‘राष्ट्र की भाषाएं’ हैं । उनमें परस्पर कोई प्रतिद्वंद्विता नहीं है, वे सभी एक दूसरे की पूरक हैं । हिंदी का उदभव एवं विकास भारत की क्षेत्रीय भाषाओं के साथ हुआ है । मूलत: ये सभी भाषाएं भारत की संस्कृति की मिट्टी से ही उत्पन्न हुई हैं ।  हिंदी निर्विवाद रूप से देश की राजभाषा के साथ-साथ संपर्क भाषा भी है, इसलिए हिंदी में विषय सामग्री की समृद्धि से दूसरी भारतीय भाषाओं का भी विकास होगाI

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