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किसानों को समय पर कराएं भुगतान और उपार्जित धान का जल्द करें परिवहन : सीएम डॉ. यादव

भोपाल (एजेंसी)। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि जिन किसानों का धान उपार्जित कर लिया गया है, उन्हें कम से कम समय में भुगतान की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएं। प्रक्रिया को सरल कर तीन से चार दिनों में उपार्जन राशि का भुगतान कर दिया जाए। उन्होंने कहा कि मौसम को देखते हुए खुले में पड़े धान का जल्द से जल्द परिवहन कराएं और इसे बारिश से बचाएं। उन्होंने कहा कि गोडाऊन परिसर में भी यदि उपार्जित धान खुले में रखा है तो उसे जल्द से जल्द अंदर रखवा लिया जाए।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव शुक्रवार को (मुख्यमंत्री निवास) समत्व भवन स्थित में धान उर्पाजन की समीक्षा कर रहे थे। बैठक में सहकारिता मंत्री श्री विश्वास कैलाश सारंग, किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री श्री एदल सिंह कंषाना, अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा, अपर मुख्य सचिव एवं कृ‍षि उत्पादन आयुक्त श्री मोहम्मद सुलेमान, अपर मुख्य सचिव सहकारिता श्री अशोक बर्णवाल, प्रमुख सचिव खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण श्रीमती रश्मि अरूण शमी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

धान को बारिश से बचाने की तुरंत व्यवस्था करें

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि जिन सहकारी समितियों में धान खुले आसमान के नीचे रखा है, खराब मौसम की आशंका को देखते हुए उपार्जित धान को बारिश से बचाने के लिए समितियां तत्काल तिरपाल आदि से खुले में पड़े धान को ढंक लें। उन्होंने विभागीय अधिकारियों से कहा कि वे किसानों से यह आग्रह करें कि मौसम को देखते हुए वे कुछ दिन रूककर या मौसम साफ होने पर ही अपना धान उपार्जन के लिए लेकर आएं। मौसम यदि ज्यादा दिन तक खराब रहता है तो सरकार धान उपार्जन की तय अवधि बढ़ाने पर भी विचार करेगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अधिकारियों से कहा कि वे धान मिलर्स को निर्देशित करें कि वे भी अपने धान का जल्द से जल्द उठाव करा लें। उन्होंने नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों से कहा कि वे उपार्जित धान का तत्काल परिवहन कराकर इन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुंचाएं और आवश्यकतानुसार प्रबन्ध करें।

उपार्जित धान मिलर्स को देने का प्रयास करें

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि उपार्जन प्रक्रिया को सरल बनाया जाएं, ताकि तय समय-सीमा तक अधिकतम किसानों का धान उपार्जन हो सके। किसानों से जो धान उपार्जित किया जा रहा है, उन्हें अधिकाधिक मात्रा में धान मिलर्स को ही देने का प्रयास करें, इससे धान मिलिंग की प्रक्रिया पर लगने वाला समय, धन और श्रम बचेगा।

धान परिवहन हेतु अनुबंधित परिवहनकर्ताओं के माध्यम से अधिक से अधिक वाहन लगाए जाए एवं आवश्यक हो तो अन्य परिवहनकर्ता/वाहनों को अधिग्रहण कर धान का परिवहन कराया जाए। गोदाम स्तरीय उपार्जन केन्द्र पर खुले में भण्डारित धान को सहकारी समितियों के माध्यम से गोदाम में धान की स्टेकिंग कराई जाए। समर्थन मूल्य पर धान विक्रय करने वाले किसानों के शीघ्र भुगतान हेतु स्वीकृति पत्रक शीघ्रता से जारी कराए जाए। भारत सरकार द्वारा एफएक्यू मापदण्ड अनुसार धान का उपार्जन किया जाए जिसकी मॉनिटरिंग हेतु अन्य विभाग के अमले को भी लगाया जाए।

प्रमुख सचिव खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति द्वारा बताया गया कि इस वर्ष 7.72 लाख किसानों ने धान उपार्जन के लिए पंजीयन कराया है, जो गत वर्ष 2023-24 (7.27 लाख) की तुलना में अधिक है। इस वर्ष प्रदेश में 1393 धान उपार्जन केन्द्र बनाए गए हैं, जिसमें अब तक 22.86 लाख मीट्रिक धान का उपार्जन हो चुका है। अब तक 3.48 लाख किसान अपना धान बेच चुके हैं। जिन किसानों से उपार्जन हो चुका है, उन्हें न्यूनतम समय में भुगतान की व्यवस्था की जा रही है। 26 दिसम्बर तक 45 लाख मीट्रिक टन धान कॉमन (ग्रेड ए श्रेणी का) उपार्जित किया जा चुका है। जिन किसानों से धान उपार्जन किया गया है, उन्हें उपार्जन मूल्य के रूप में 1,961 करोड़ रूपए का भुगतान किए जा चुके हैं। प्रदेश में बारदाने की कोई कमी नहीं है। उपार्जित धान का परिवहन और भंडारण भी समुचित तरीके से किया जा रहा है। प्रदेश में कुल 674 अनुबंधित मिलर्स हैं। इनके द्वारा अब तक 3.36 लाख मीट्रिक टन उपार्जित धान का उठाव कर लिया गया है।

किसानों को एसएमएस में माध्यम से सूचित किया जा रहा है कि आगामी30, 31 दिसम्बर और एक जनवरी को धान की खरीदी स्थगित रहेगी। धान खरीदी की अंतिम तिथि 20 जनवरी से बढ़ाकर 23 जनवरी कर दी गयी है। जिन किसानों के स्लॉट धान विक्रय के लिए बुक थे, उसकी अवधि 5 दिन बढ़ा दी गयी है। उन्हें पुन: स्लॉट बुक करने की जरूरत नहीं है।

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