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सीजफायर का श्रेय लेने में जुटे ट्रंप, भारत ने कहा : यह आपसी समझौता, तीसरे पक्ष की भूमिका नहीं

नई दिल्ली (एजेंसी)। भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्षविराम समझौते को लेकर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर सुर्खियों में हैं। ट्रंप ने दावा किया है कि इस समझौते में अमेरिका की भूमिका रही है और उन्होंने इसे “ऐतिहासिक और वीरतापूर्ण निर्णय” करार दिया है। हालांकि भारत ने इस दावे को साफ तौर पर खारिज कर दिया है और कहा है कि यह समझौता पूरी तरह दोनों देशों के बीच आपसी स्तर पर हुआ है, जिसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई मध्यस्थता नहीं है।

ट्रंप का दावा: अमेरिका ने निभाई भूमिका

ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रूथ सोशल’ पर पोस्ट करते हुए लिखा: “मुझे भारत और पाकिस्तान के नेतृत्व पर गर्व है… उन्होंने यह समझा कि अब संघर्ष रोकने का समय आ गया है। अमेरिका ने इस निर्णय तक पहुंचने में मदद की है। मैं दोनों देशों के साथ व्यापार बढ़ाने और कश्मीर मसले पर समाधान खोजने के लिए काम करूंगा।”

अमेरिकी विदेश मंत्री ने किया संवाद का जिक्र

ट्रंप के बयान से पहले अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने दावा किया कि बीते 48 घंटों में उन्होंने भारत और पाकिस्तान के शीर्ष नेतृत्व, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों और सेना प्रमुखों से बातचीत की है। इसके बाद दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच तटस्थ स्थान पर बातचीत हुई, जिसके परिणामस्वरूप संघर्षविराम पर सहमति बनी।

भारत की प्रतिक्रिया: किसी तीसरे पक्ष की भूमिका नहीं

भारत के विदेश मंत्रालय ने इस पर स्पष्ट प्रतिक्रिया दी है कि यह समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच सीधे संवाद का नतीजा है। विदेश सचिव ने कहा, “यह एक द्विपक्षीय निर्णय है, जिसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं रही। भारत की नीति स्पष्ट है— सभी मुद्दों का समाधान द्विपक्षीय ढंग से ही होगा।”
पाकिस्तान ने भी की पुष्टि

पाकिस्तान के उपप्रधानमंत्री व विदेश मंत्री इशाक डार ने संघर्षविराम की पुष्टि की और कहा कि दिनभर की कूटनीतिक बातचीत के बाद सैन्य अधिकारियों के बीच सहमति बनी। उन्होंने अमेरिका की भूमिका पर कोई सीधी टिप्पणी नहीं की।

भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण हालात में हुआ यह संघर्षविराम कूटनीतिक रूप से अहम है, लेकिन इसके श्रेय को लेकर अंतरराष्ट्रीय राजनीति में बयानबाज़ी शुरू हो गई है। भारत की ओर से स्पष्ट किया गया है कि संप्रभु निर्णयों में बाहरी दखल की जरूरत नहीं है।

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