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मोदी ने पूर्वोत्तर राज्यों में कृषि के विकास की कमियों को दूर कर उन्हें मुख्यधारा में लाने का काम किया है : मंत्री अर्जुन मुंडा

नई दिल्ली (एजेंसी)। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने सोमवार को आईएआरआई, दिरपई चापोरी, गोगामुख, असम में प्रशासनिक-सह-शैक्षणिक भवन, मानस गेस्ट हाउस, सुबनसिरी गर्ल्स हॉस्टल और ब्रह्मपुत्र बॉयज हॉस्टल का वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन किया। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री   कैलाश चौधरी उद्घाटन समारोह में उपस्थित थे और उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, असम में प्रदर्शनी स्टाल का दौरा किया।

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास पर विशेष बल है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने पूर्वोत्तर राज्यों में कृषि के विकास की कमियों को दूर कर उन्हें मुख्यधारा में लाने का काम किया है। इस क्रम में  प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास को एक नया आयाम दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार 2047 तक देश को विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प के साथ काम कर रही है, जिसमें कृषि की भूमिका बेहद अहम है। अर्जुन मुंडा ने कहा कि खाद्य तेल आयात का बोझ कम करने और तिलहन में आत्मनिर्भर बनने के लिए 11 हजार करोड़ रुपये का मिशन चलाया जा रहा है। हमें इस सोच के साथ काम करना है कि आने वाले दिनों में हम आयात नहीं बल्कि निर्यात करेंगे। उन्होंने कहा कि जब हम एक विजन के साथ काम करते हैं, तो हमें सफलता जरूर मिलती है।

अर्जुन मुंडा ने जलवायु अनुकूल फसल किस्मों के विकास पर भी बल दिया और कहा कि कृषि शिक्षा को आजीविका व रोजगार के अवसरों से जोड़ा जाना चाहिए। श्री मुंडा ने कहा कि जैव विविधता अध्ययन पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि एक साल में यह संस्थान शोध के लिए सबसे पसंदीदा विकल्प होगा। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि प्रौद्योगिकियों को जलवायु और लैंगिक स्तर पर तटस्थ होना चाहिए।

राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने वैज्ञानिकों से उत्तर पूर्व क्षेत्र में मौजूद प्राकृतिक विविधता का दोहन करने का आग्रह किया। उन्होंने प्रकृति के करीब प्रौद्योगिकियों के विकास पर भी बल दिया और कहा कि हमें जैविक और प्राकृतिक खेती से जुड़ना चाहिए। उन्होंने दलहन और तिलहन से संबंधित अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करने पर बल दिया, ताकि देश को दालों के निर्यात पर बहुत अधिक पैसा खर्च न करना पड़े। उन्होंने कहा कि कृषि अनुसंधान को उद्यमिता से जोड़ना होगा; और यह सब तभी संभव है जब विभिन्न संगठनों के बीच विचारों का मुक्त आदान-प्रदान हो।

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