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बिलासपुर में सरकारी जमीन घोटाला : लीजधारक और बिल्डर पर एफआईआर

बिलासपुर। बिलासपुर में सरकारी जमीनों की अफरा-तफरी का एक बड़ा मामला सामने आया है। कुदुदंड स्थित 2.13 एकड़ प्राइम लोकेशन की सरकारी जमीन को पहले लीज नवीनीकरण के माध्यम से निजी स्वामित्व में लिया गया और फिर इसे 54 टुकड़ों में बांटकर अवैध रूप से बेच दिया गया। कलेक्टर के निर्देश पर इस लीज को रद्द कर शासकीय भूखंड को पुनः राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज कर लिया गया है।

लीज का दुरुपयोग और अवैध बिक्री

इस जमीन को भूपेंद्र राव तामस्कर को आवासीय प्रयोजन के लिए लीज पर दिया गया था। लीज 2015 में समाप्त होने के बाद 2045 तक के लिए नवीनीकरण किया गया। लीज की शर्तों का उल्लंघन करते हुए, तामस्कर ने बिना नगर निगम या टाउन एंड कंट्री प्लानिंग की अनुमति के, इस जमीन को 54 हिस्सों में बेच दिया। उप पंजीयक द्वारा सभी 54 टुकड़ों की रजिस्ट्री भी कर दी गई।

जांच में उजागर हुई धांधली

कलेक्टर के निर्देश पर गठित जांच समिति ने पाया कि 30 साल के लिए नवीनीकरण केवल आवासीय प्रयोजन के लिए किया गया था। इसके बावजूद जमीन को टुकड़ों में बेचने के लिए न तो अनुमति ली गई और न ही आवश्यक लेआउट पास कराया गया।

एफआईआर और आगे की कार्रवाई

कलेक्टर के निर्देश पर लीजधारक भूपेंद्र राव तामस्कर और बिल्डर राजेश अग्रवाल के खिलाफ सिविल लाइन थाने में एफआईआर दर्ज की गई है। जांच में यह भी सामने आया कि तामस्कर ने अक्टूबर 2020 में राजेश अग्रवाल को 13 करोड़ रुपये में यह जमीन बेचने का सौदा किया था। अग्रवाल ने जमीन विकसित करने और टुकड़ों में बेचने के लिए शर्तें रखी थीं।

खरीदारों पर संकट

लीज निरस्त होने और रजिस्ट्री शून्य करने की प्रक्रिया शुरू होने के बाद जमीन के 54 खरीदारों पर बड़ा संकट मंडरा रहा है। इन खरीदारों ने अपनी गाढ़ी कमाई इस जमीन में लगाई थी। जिला प्रशासन अब सभी रजिस्ट्री को रद्द करने के लिए सिविल कोर्ट में वाद दायर करने की तैयारी कर रहा है। इस बीच, खरीदार भी अपने हक के लिए कानूनी लड़ाई की योजना बना रहे हैं।

यह मामला सरकारी संपत्तियों के दुरुपयोग और प्रशासनिक लापरवाही की गंभीरता को उजागर करता है, जिससे अब आम जनता को बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है।

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