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शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने प्रेमानंद महाराज को चुनौती देने वाले रामभद्राचार्य पर किया पलटवार

नई दिल्ली (एजेंसी)। ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने जगद्गुरु रामभद्राचार्य पर पलटवार करते हुए, प्रेमानंद महाराज को संस्कृत न बोलने पर दिए गए उनके बयान की आलोचना की है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने सवाल उठाया कि क्या तुलसीदास भी विद्वान नहीं थे, जिन्होंने संस्कृत के बजाय अवधी में रामायण लिखी थी?

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि प्रेमानंद महाराज तो जगद्गुरु रामभद्राचार्य से ज़्यादा संस्कृत बोल रहे हैं। उन्होंने तर्क दिया कि प्रेमानंद जी दिनभर ‘राधे-राधे, श्याम-श्याम’ का जाप करते हैं, जो संस्कृत के शब्द हैं और संबोधन के रूप में इस्तेमाल होते हैं।

यह विवाद तब शुरू हुआ जब एक पॉडकास्ट में जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने प्रेमानंद महाराज को चुनौती देते हुए कहा था कि वे संस्कृत बोलकर या श्लोकों का अर्थ बताकर दिखाएँ। उन्होंने यह भी कहा था कि वे चमत्कार में विश्वास नहीं करते, जिस पर प्रेमानंद जी के भक्तों ने कड़ी आपत्ति जताई थी।

हालाँकि, इस विवाद के बाद जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने अपनी सफाई में कहा कि उन्होंने प्रेमानंद जी के लिए कोई अभद्र टिप्पणी नहीं की थी। उन्होंने कहा कि एक आचार्य होने के नाते, वह सभी को संस्कृत का अध्ययन करने के लिए प्रेरित करते हैं, क्योंकि हर हिंदू को संस्कृत पढ़नी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अगर प्रेमानंद जी उनसे मिलने आते हैं, तो वे उन्हें आशीर्वाद देंगे और गले लगाएंगे।

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