छत्तीसगढ़

प्रेरणादायक अंतिम यात्रा : बेटियों ने निभाई जिम्मेदारी

जांजगीर-चांपा। ज़िले के बलौदा विकासखंड में एक प्रेरणादायक घटना हुई, जिसने समाज को एक नई सोच दी है। यहाँ एक बुजुर्ग के अंतिम संस्कार में उनकी बेटियों और महिला परिजनों ने पारंपरिक रिवाजों को तोड़ते हुए उन्हें कंधा दिया। उन्होंने यह साबित कर दिया कि रिश्तों का सम्मान किसी परंपरा या रूढ़ियों पर निर्भर नहीं करता।

बेटियों और बहुओं ने दिया कंधा

बलौदा विकासखंड के बुड़गहन गाँव के डीहपारा, सिंघरीपारा में रहने वाले स्वर्गीय जीवराखन लाल भारती का निधन 28 अगस्त, 2025 को हो गया। अगले दिन, 29 अगस्त की सुबह, गाँव और समाज के लोगों की मौजूदगी में उनका अंतिम संस्कार किया गया।

इस अंतिम यात्रा को खास बनाने वाली बात यह थी कि उनकी बेटी श्रीमती प्रमिला बंजारे, बहु श्रीमती सीमा भारती, और पोती कुमारी शिक्षा भारती ने नम आँखों से अपने पिता, ससुर और दादा की अर्थी को कंधा दिया। गाजे-बाजे के साथ पूरा गाँव और समाज के लोग इस भावुक यात्रा में शामिल हुए और खेत तक पहुँचकर उन्हें अंतिम विदाई दी।

नई सामाजिक सोच की मिसाल

यह दृश्य सिर्फ भावुक करने वाला ही नहीं था, बल्कि इसने एक नई सामाजिक सोच का संदेश भी दिया। बेटियों, बहु और पोती ने यह दिखाया कि महिलाएँ भी अंतिम संस्कार जैसे पारंपरिक रीति-रिवाजों को निभा सकती हैं और रिश्तों की गरिमा को बनाए रख सकती हैं। इस घटना ने समाज में महिलाओं के प्रति सम्मान और परिवार की जिम्मेदारियों की एक अनूठी और प्रेरणादायक मिसाल पेश की है।

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