शिक्षा के बिना जीवन अधूरा : मुख्यमंत्री साय

रायपुर। छत्तीसगढ़ के राज्यपाल, श्री रमेन डेका, और मुख्यमंत्री, श्री विष्णु देव साय ने, शिक्षक दिवस के अवसर पर आयोजित एक समारोह में वर्ष 2024 के उत्कृष्ट शिक्षकों को राज्य स्तरीय पुरस्कार से सम्मानित किया। यह समारोह राजभवन के छत्तीसगढ़ मंडपम् में आयोजित हुआ था।
समारोह में, राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने सभी सम्मानित शिक्षकों को बधाई और शुभकामनाएं दीं। इस वर्ष 64 शिक्षकों को राज्यपाल पुरस्कार मिला। इसी दौरान, स्कूल शिक्षा मंत्री, श्री गजेन्द्र यादव ने वर्ष 2025 के राज्य शिक्षक सम्मान के लिए चयनित 64 शिक्षकों के नामों की भी घोषणा की।
राज्यपाल श्री रमेन डेका का संबोधन
मुख्य अतिथि के रूप में, राज्यपाल श्री रमेन डेका ने डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, जो भारत के पहले उपराष्ट्रपति और एक महान दार्शनिक और शिक्षाविद थे, को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने अपने भाषण में कहा कि शिक्षा मानव के सर्वांगीण विकास का सबसे सशक्त माध्यम है। उनके अनुसार, शिक्षक अपने छात्रों के लिए रोल मॉडल की तरह होते हैं और एक जिम्मेदार नागरिक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
उन्होंने शिक्षकों को छात्रों के जीवन का प्रेरणास्रोत बताते हुए कहा कि आज का जीवन सरल नहीं है और शिक्षकों को यह सिखाना चाहिए कि जीवन की चुनौतियों का सामना कैसे करें और हार मानकर फिर से कैसे खड़े हों।
श्री डेका ने यह भी कहा कि शिक्षकों को इस तरह से पढ़ाना चाहिए कि बच्चे स्कूल आने के लिए आकर्षित हों, क्योंकि स्कूल का भवन नहीं, बल्कि उसके अंदर की शिक्षा महत्वपूर्ण है। उन्होंने प्राचीन भारत की गुरुकुल परंपरा को सर्वश्रेष्ठ बताया।
उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को एक ‘गेम चेंजर’ बताते हुए कहा कि इसे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में लागू किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य शिक्षा को अधिक व्यावहारिक, कौशल-आधारित और सर्वांगीण बनाना है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इस नीति में मातृभाषा में शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया है, क्योंकि इससे बच्चे आसानी और रुचि के साथ सीख पाते हैं।
श्री डेका ने नवाचारी शिक्षा की सराहना करते हुए कहा कि आज के शिक्षक अध्यापन के लिए नए-नए शिक्षण सहायक सामग्रियों का उपयोग कर रहे हैं, जिससे बच्चों के लिए सीखना दिलचस्प और आसान हो गया है। उन्होंने कहा कि बदलते समय के अनुसार बच्चों को शिक्षा देना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए, जिसके लिए नए प्रयासों की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय का संबोधन
समारोह की अध्यक्षता कर रहे मुख्यमंत्री, श्री विष्णु देव साय ने शिक्षकों को सच्चे राष्ट्र निर्माता बताया। उन्होंने कहा कि शिक्षक देश को ऐसे राष्ट्रभक्त नागरिक देते हैं, जो आगे चलकर समाज और राष्ट्र की उन्नति में योगदान करते हैं। उन्होंने शिक्षकों की तुलना दीपक से करते हुए कहा कि जिस तरह दीपक खुद जलकर दूसरों को रोशनी देता है, उसी तरह शिक्षक भी अनेक कठिनाइयों के बावजूद ज्ञान का प्रकाश फैलाते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य अपनी स्थापना के 25 साल पूरे कर रहा है और इस रजत जयंती वर्ष में प्रदेश ने हर क्षेत्र में प्रगति की है। उन्होंने शिक्षा को विकास का मूलमंत्र बताते हुए कहा कि इसके बिना जीवन अधूरा है। उन्होंने राज्य में शिक्षा के क्षेत्र में हुए विस्तार का उल्लेख करते हुए बताया कि आज प्रदेश में 20 से अधिक विश्वविद्यालय, 15 से ज्यादा मेडिकल कॉलेज और राष्ट्रीय स्तर के संस्थान जैसे IIT, IIM, AIIMS और लॉ विश्वविद्यालय स्थापित हैं।
श्री साय ने कहा कि सरकार का लक्ष्य हर बच्चे तक शिक्षा को सुलभ बनाना है। इसी उद्देश्य से, हर 1 किलोमीटर पर प्राथमिक विद्यालय, 3 से 4 किलोमीटर पर माध्यमिक विद्यालय, 6 से 7 किलोमीटर पर हाई स्कूल, 8 से 10 किलोमीटर पर हायर सेकेंडरी विद्यालय और हर विकासखंड में कॉलेज खोले जा रहे हैं।
अन्य प्रमुख बिंदु
समारोह में विशिष्ट अतिथि स्कूल शिक्षा मंत्री, श्री गजेन्द्र यादव ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लागू होने से प्रदेश में शिक्षा का स्तर और भी बेहतर होगा।
इस समारोह में, चार शिक्षकों को विशेष स्मृति पुरस्कारों से सम्मानित किया गया:
सूरजपुर के श्री अजय कुमार चतुर्वेदी को डॉ. पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी स्मृति पुरस्कार।
कबीरधाम के श्री रमेश कुमार चंद्रवंशी को श्री गजानन माधव मुक्तिबोध स्मृति पुरस्कार।
सारंगढ़-बिलाईगढ़ की श्रीमती सुनीता यादव को डॉ. मुकुटधर पाण्डेय स्मृति पुरस्कार।
रायगढ़ के श्री भोजराम पटेल को डॉ. बलदेव प्रसाद मिश्र स्मृति पुरस्कार।
इसके अलावा, प्रधान पाठक, व्याख्याता, और सहायक शिक्षक जैसे विभिन्न श्रेणियों के 64 उत्कृष्ट शिक्षकों को भी सम्मानित किया गया।
समारोह में राज्यपाल की पत्नी, श्रीमती रानी डेका काकोटी, विधायक श्री पुरन्दर मिश्रा, राज्यपाल के सचिव डॉ. सी.आर. प्रसन्ना, और अन्य अधिकारी तथा शिक्षक भी उपस्थित थे।
















