सस्ता होगा कर्ज : RBI ने घटाई रेपो रेट, कर्जदारों को बड़ी राहत

नई दिल्ली (एजेंसी)। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए अपनी पांचवीं मौद्रिक नीति बैठक के नतीजों की घोषणा कर दी है। गवर्नर संजय मल्होत्रा ने रेपो रेट में कटौती का ऐलान किया, जिसका सीधा फायदा करोड़ों कर्जदारों को मिलने की उम्मीद है। उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था के मौजूदा चरण को ‘गोल्डीलॉक्स’ काल बताया, जिसका अर्थ है कि विकास और महंगाई दोनों ही संतुलित और सही सीमा के भीतर हैं।
ब्याज दर में कमी, घटेगी आपकी EMI
रेपो रेट में हुई इस कटौती के चलते होम लोन, कार लोन, और बिजनेस लोन की मासिक किस्त (EMI) कम हो सकती है।
होम लोन पर बचत: उदाहरण के लिए, 50 लाख रुपये के होम लोन पर यदि ब्याज दर 0.25 प्रतिशत घटती है, तो आपकी EMI में प्रति माह लगभग 788 रुपये की कमी आएगी, जिससे सालाना 9,456 रुपये की बचत होगी।
कार लोन पर बचत: 5 लाख रुपये के कार लोन पर भी प्रति माह करीब 133 रुपये तक की बचत हो सकती है।
अर्थव्यवस्था का ‘गोल्डीलॉक्स’ दौर और विकास अनुमान
गवर्नर ने कहा कि पहली छमाही में 8 प्रतिशत की GDP ग्रोथ दर और घटती महंगाई दर ने भारत को एक आदर्श आर्थिक स्थिति में ला दिया है।
GDP ग्रोथ अनुमान में वृद्धि: RBI ने वित्तीय वर्ष 2026 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि दर का अनुमान 6.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.3 प्रतिशत कर दिया है। इसका मुख्य कारण विनिर्माण (Manufacturing) और सेवा क्षेत्र (Service Sector) में आई मजबूती है।
मुद्रास्फीति (महंगाई) में राहत: महंगाई का अनुमान 2.6 प्रतिशत से घटाकर 2 प्रतिशत किया गया है। इससे आम आदमी के रोजमर्रा के खर्च का बोझ और कम होने की उम्मीद है।
पॉलिसी का रुख ‘तटस्थ’
मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने अपना पॉलिसी रुख ‘न्यूट्रल’ (तटस्थ) रखा है। इसका मतलब है कि RBI अब विकास और महंगाई दोनों को संतुलित रखते हुए आगे बढ़ेगा। इस रुख से भविष्य में ब्याज दरों के स्थिर रहने या आगे और घटने की संभावना बनी रहती है।
मजबूत विनिर्माण, सेवाएं और तरलता की स्थिति
सेक्टरों में सुधार: विनिर्माण और सेवा दोनों क्षेत्रों में लगातार सुधार जारी है, जो रोजगार सृजन और आर्थिक विकास की रीढ़ माने जाते हैं।
गति बरकरार: बिजली की खपत और वाहन की बिक्री जैसे प्रमुख आर्थिक संकेतक इशारा करते हैं कि अक्टूबर से दिसंबर की तीसरी तिमाही में भी आर्थिक गतिविधियां मजबूत बनी रहेंगी।
विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड स्तर पर: भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserve) 686 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। यह अगले 11 महीनों के आयात बिल का भुगतान करने के लिए पर्याप्त है और रुपये को स्थिरता प्रदान करता है।
ग्राहक हित और बाजार में नकदी
बैंकों को सलाह: RBI गवर्नर ने बैंकों को सलाह दी है कि वे मुनाफे से ऊपर ग्राहकों के हितों को प्राथमिकता दें।
तरलता (Liquidity) का भरोसा: त्योहारी सीजन और बढ़ती क्रेडिट मांग को देखते हुए, RBI ने बाजार में पर्याप्त नकदी बनाए रखने का भरोसा दिया है, जिससे धन की कमी नहीं होगी।
कुल मिलाकर, यह मौद्रिक नीति आम लोगों को बड़ी वित्तीय राहत देती है। साथ ही यह भी दर्शाती है कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था एक मजबूत और स्थिर स्थिति में खड़ी है।
















