‘बिहान’ समूह की महिलाओं के लिए महतारी सदन : आत्मविश्वास और सम्मान का नया केंद्र

रायपुर। ‘बिहान’ स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं के लिए पहले छोटी-सी बैठक करना भी एक बड़ी चुनौती हुआ करती थी। समूह की गतिविधियों, या संकुल की बैठकों के लिए उन्हें अक्सर गाँव के पंचायत भवन या किसी के घर पर जगह माँगनी पड़ती थी। कई बार जगह खाली न होने या दूसरी बैठकें होने के कारण उनकी बैठकें रद्द हो जाती थीं, जिससे उन्हें भटकना पड़ता था। इस कारण उनका प्रशिक्षण भी बाधित होता था, जिससे संगठन की प्रगति धीमी पड़ जाती थी और ‘बिहान’ के काम पर नकारात्मक असर होता था।
बड़ी चिंता हुई दूर
महतारी सदन ने अब इन महिलाओं की इस बड़ी परेशानी को दूर कर दिया है। अब उन्हें अपनी बैठकों और कार्यक्रमों के लिए किसी पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। वे इस सदन में न केवल संगठनात्मक बैठकें कर पाएँगी, बल्कि नियमित प्रशिक्षण से अपने कौशल को और भी बेहतर बना सकेंगी। इस संवेदनशील पहल के लिए महिलाओं ने प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय का आभार व्यक्त किया है।
बिलासपुर जिले के ग्राम सेमरताल की ‘बिहान’ सदस्य सरस्वती धीवर का कहना है, “अब हमें लगता है मानो यह हमारा अपना घर हो, जहाँ हम बैठकर न सिर्फ चर्चा करते हैं, बल्कि अपने सपनों को साकार करने की योजना भी बनाते हैं।” इसी तरह, ग्राम जलसों की श्रीमती लता सूर्यवंशी कहती हैं कि अब समूह की महिलाओं को अपनी गतिविधियों और बैठकों के लिए किसी से जगह नहीं माँगनी पड़ेगी। अपनी जगह मिल जाने से उनमें नए आत्मविश्वास का संचार हुआ है।
सपनों को मिली नई उड़ान
‘बिहान’ समूह की गौरी गौरव, पूनम गौतम, चमेली यादव, वंदना केवट, कृष्णा देवी और पीआरपी सावित्री ने साझा किया कि महतारी सदन का निर्माण केवल एक इमारत नहीं है, बल्कि हजारों महिलाओं के सपनों और आशाओं को पूरा करने वाला सदन है। इस पहल से ग्रामीण महिलाओं के आत्मविश्वास को नई उड़ान मिली है। अब समूह की गतिविधियाँ महतारी सदन में अधिक सुनियोजित और प्रभावी ढंग से संचालित होंगी।
बिलासपुर जिले में कुल 19 महतारी सदन स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से चार पूर्ण हो चुके सदनों का मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने 23 सितंबर को धमतरी से वर्चुअली उद्घाटन किया है। महतारी सदन का निर्माण सिर्फ एक भवन नहीं, बल्कि महिलाओं को मिला सम्मान और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। मुख्यमंत्री की इस पहल ने प्रदेशभर की ‘बिहान’ सदस्यों को नया उत्साह और आत्मविश्वास दिया है। ‘बिहान’ की महिलाएँ कहती हैं, “अब हमारा संगठन और मजबूत होगा क्योंकि हमें अपना घर मिल गया है।”
यह पुनर्रचना मूल लेख के मुख्य विचारों और भावनाओं को बरकरार रखती है, लेकिन वाक्य संरचना और शब्दावली में पर्याप्त परिवर्तन करती है ताकि यह साहित्यिक चोरी से मुक्त रहे।
















