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जीएसटी में बड़ा बदलाव : 22 सितंबर से लागू हुआ नया नियम, उपभोक्ता होंगे मालामाल

नई दिल्ली (एजेंसी)। 22 सितंबर, सोमवार से देश में जीएसटी 2.0 लागू हो गया है, जिससे रोजमर्रा की चीजों से लेकर इलेक्ट्रॉनिक सामान और वाहनों तक की कीमतों में बड़ी कमी आने की उम्मीद है। जीएसटी परिषद ने यह फैसला नवरात्रि से ठीक पहले लिया है, जिसका सीधा फायदा उपभोक्ताओं को मिलेगा।

रोजमर्रा की चीजें हुई सस्ती

अब खाने-पीने की कई चीजें जैसे घी, पनीर, मक्खन, नमकीन, केचप, जैम, सूखे मेवे, कॉफी और आइसक्रीम पर कम जीएसटी लगेगा। इसी तरह साबुन, शैम्पू, टूथपेस्ट, बालों के तेल और शेविंग क्रीम जैसे दैनिक उपयोग के सामान भी पहले से सस्ते मिलेंगे।

इलेक्ट्रॉनिक्स और वाहन खरीदने पर बचत

महंगे इलेक्ट्रॉनिक सामान जैसे टीवी, एसी और वॉशिंग मशीन भी अब कम कीमत पर उपलब्ध होंगे। वाहन खरीदारों के लिए यह सबसे बड़ी राहत है, क्योंकि छोटी कारों पर जीएसटी 18% और बड़ी कारों पर 28% कर दिया गया है। कई कार कंपनियों ने पहले ही अपनी गाड़ियों के दाम घटा दिए हैं।

दवाइयां और इलाज पर भी राहत

दवाओं और मेडिकल उपकरणों पर भी जीएसटी घटाकर 5% कर दिया गया है। इससे ग्लूकोमीटर और डायग्नोस्टिक किट भी सस्ती हो जाएंगी। सरकार ने दवा विक्रेताओं को नई कीमतों पर ही सामान बेचने के निर्देश दिए हैं ताकि आम आदमी को इसका सीधा लाभ मिल सके।

घर बनाने का सपना होगा पूरा

सीमेंट पर जीएसटी दर को 28% से घटाकर 18% कर दिया गया है। इस कदम से मकान बनाने की लागत में कमी आएगी, जिससे घर बनाने वाले लोगों को सीधे तौर पर आर्थिक मदद मिलेगी।

सेवाओं पर भी कम हुआ टैक्स

फिटनेस सेंटर, योगा, स्वास्थ्य क्लब, सैलून और ब्यूटी सेवाओं पर जीएसटी 18% से घटाकर 5% कर दिया गया है। हालांकि, इन सेवाओं पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का लाभ नहीं मिलेगा।

जीएसटी के नए दो स्लैब

नए जीएसटी नियम के तहत, अब सिर्फ दो मुख्य टैक्स स्लैब होंगे – 5% और 18%। विलासिता की वस्तुओं पर 40% टैक्स लगेगा, जबकि तंबाकू उत्पादों पर 28% जीएसटी के साथ उपकर (cess) भी लगाया जाएगा। इससे पहले 5, 12, 18, और 28 प्रतिशत के चार स्लैब थे।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि इस बदलाव से भारतीय अर्थव्यवस्था में 2 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी होगी और उपभोक्ताओं के पास खर्च करने के लिए अधिक पैसा बचेगा।

बदलावों का असर

12% जीएसटी स्लैब में आने वाले लगभग 99% सामान अब 5% स्लैब में शामिल हो गए हैं।

28% स्लैब में आने वाले 90% उत्पाद 18% स्लैब में आ गए हैं।

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