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छत्तीसगढ़ शराब घोटाला : 30 आबकारी अधिकारियों को ED का समन, बड़ी कार्रवाई की तैयारी

रायपुर। छत्तीसगढ़ में पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान हुए चर्चित शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अपनी कार्रवाई तेज कर दी है। ईडी ने उस दौरान राज्य के अलग-अलग जिलों में तैनात रहे लगभग 30 आबकारी अधिकारियों को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की धारा 50 के तहत पूछताछ के लिए नोटिस जारी किया है। नोटिस पाने वालों में एक अतिरिक्त आयुक्त, पाँच उपायुक्त, 14 सहायक आयुक्त (जिनमें तीन सेवानिवृत्त), सात जिला आबकारी अधिकारी (जिनमें चार सेवानिवृत्त) और तीन सहायक जिला आबकारी अधिकारी शामिल हैं।

समन की अनदेखी पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी

सूत्रों के अनुसार, नोटिस मिलने के बावजूद अब तक कोई भी अधिकारी ईडी के सामने पेश नहीं हुआ है। ईडी ने अधिकारियों को चेतावनी दी है कि यदि वे लगातार समन की अवहेलना करते रहे, तो उन्हें अदालत में पेश करने के लिए कड़ी कानूनी कार्रवाई करनी पड़ेगी।

इन अधिकारियों को भेजा गया नोटिस

कुल 30 आबकारी अधिकारियों को समन जारी किया गया है। इनमें 01 अतिरिक्त आयुक्त, 05 उपायुक्त, 14 सहायक आयुक्त (3 सेवानिवृत्त), 07 जिला आबकारी अधिकारी (4 सेवानिवृत्त) और 03 सहायक जिला आबकारी अधिकारी स्तर के अधिकारी शामिल हैं।

बताया जा रहा है कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो/आर्थिक अपराध शाखा (ACB/EOW) द्वारा दायर एक नए आरोपपत्र में नाम आने के बाद, ईडी ने इन अधिकारियों के खिलाफ PMLA की धारा 50 के तहत मामला दर्ज किया है। ईडी के सूत्रों के मुताबिक, EOW और ईडी दोनों द्वारा मजबूत सबूत पेश किए जाने के बावजूद, अधिकारियों ने पिछले सप्ताह जारी समन को नजरअंदाज किया है। अधिकारियों को स्पष्ट किया गया है कि यदि वे आरोपपत्र और जांच की पृष्ठभूमि के बावजूद आनाकानी करते रहे, तो कठोर कार्रवाई की जाएगी और उन्हें अदालत में पेश होने के लिए मजबूर किया जाएगा।

रायपुर की विशेष अदालत में 7 जुलाई को EOW/ACB द्वारा दायर किए गए चौथे पूरक आरोपपत्र में इन सभी तीस अधिकारियों के नाम हैं, जिनमें सात सेवानिवृत्त हो चुके हैं। नामजद अधिकारियों में अतिरिक्त आबकारी आयुक्त आशीष श्रीवास्तव; उपायुक्त अनिमेष नेताम, विजय सेन शर्मा, अरविंद कुमार पटले, नीतू नोतानी ठाकुर, नोबर सिंह ठाकुर; सहायक आयुक्त प्रमोद कुमार नेताम, रामकृष्ण मिश्रा, विकास कुमार गोस्वामी, नवीन प्रताप सिंह तोमर, सौरभ बख्शी, दिनकर वासनिक, सोनल नेताम, प्रकाश पाल, आलेख राम सिदार, आशीष कोसम, राजेश जयसवाल; सेवानिवृत्त सहायक आयुक्त जी.एस. नुरूटी, वेदराम लहरे, एल.एल. ध्रुव; जिला आबकारी अधिकारी (डीईओ) इकबाल खान, मोहित कुमार जयसवाल, गैरीपाल सिंह दर्डा; सेवानिवृत्त डीईओ ए.के. सिंह, जे.आर. मंडावी, देवलाल वैध, ए.के. अनंत; और सहायक जिला आबकारी अधिकारी जनार्दन कौरव, नितिन खंडूजा, मंजूश्री कसार शामिल हैं। जांचकर्ताओं ने पाया है कि 2019 से 2023 के बीच, ये अधिकारी राज्य के पंद्रह जिलों में तैनात थे।

घोटाले का दायरा बढ़ा, अब 3,200 करोड़ का अनुमान

शुरुआत में इस घोटाले का अनुमान 2,161 करोड़ रुपये लगाया गया था, लेकिन गहन विश्लेषण के बाद अब इसका दायरा बढ़कर 3,200 करोड़ रुपये तक आंका गया है। EOW की जांच के अनुसार, घोटाले में पार्ट-ए में 319.32 करोड़ रुपये, पार्ट-बीएटी में 2,174.67 करोड़ रुपये और पार्ट-सी में 70 करोड़ रुपये शामिल हैं, जिनका कुल योग 2,563 करोड़ रुपये है। वहीं, ईडी की मनी लॉन्ड्रिंग जांच इन आंकड़ों को एक व्यापक अनुमान के तहत रखती है।

प्रमुख हस्तियां सलाखों के पीछे

ईडी और EOW की अब तक की संयुक्त कार्रवाई में पाँच आरोपपत्र और तेरह गिरफ्तारियाँ हो चुकी हैं। इस मामले में जेल में बंद प्रमुख आरोपियों में पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, कांग्रेस विधायक और पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, व्यवसायी अनवर ढेबर और विशेष सचिव (आबकारी) अरुणपति त्रिपाठी शामिल हैं।

पूर्व आबकारी आयुक्त भी गिरफ्तार

इस महीने की शुरुआत में पूर्व आबकारी आयुक्त और आईएएस अधिकारी निरंजन दास की गिरफ्तारी से जाँच को एक बड़ा झटका लगा। उन पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगे हैं। दास पर आरोप है कि उन्होंने टुटेजा, त्रिपाठी और ढेबर के साथ मिलकर एक समानांतर अवैध तंत्र स्थापित किया, जिसके माध्यम से आबकारी विभाग की नीतियों में हेरफेर कर अवैध लाभ उठाया गया और सरकारी राजस्व को भारी नुकसान पहुँचाया गया।

झारखंड से भी कनेक्शन

जांच एजेंसियों का यह भी दावा है कि निरंजन दास झारखंड में भी “छत्तीसगढ़ मॉडल” लागू करने की कोशिशों से जुड़े थे। जनवरी 2022 की एक बैठक में उन्होंने वहाँ भी नीतिगत बदलावों पर जोर दिया था, जिससे राज्य के राजस्व को क्षति पहुँची।

जांच का अगला चरण

ईडी और EOW के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि हालिया नोटिस आबकारी विभाग के नेटवर्क पर शिकंजा कसने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। जांचकर्ता यह मानते हैं कि यह घोटाला केवल भ्रष्टाचार नहीं, बल्कि संस्थागत स्तर पर तैयार किया गया एक समानांतर ढाँचा था, जिसने छत्तीसगढ़ की आबकारी व्यवस्था को भीतर से खोखला कर दिया।

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