छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद उन्मूलन ने रचा नया इतिहास : मुख्यमंत्री साय

रायपुर। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने आज राजनांदगांव में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार के पिछले दो वर्ष राज्य के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ साबित हुए हैं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह द्वारा निर्धारित लक्ष्य—”31 मार्च 2026 तक पूरे देश से नक्सलवाद का पूर्ण उन्मूलन”—की दिशा में छत्तीसगढ़ तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि नक्सलवाद की कमर टूट चुकी है और वह अब अपनी अंतिम साँसें गिन रहा है।
सुरक्षा बलों की अभूतपूर्व सफलता
मुख्यमंत्री श्री साय ने सुरक्षा बलों की उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए कहा कि पिछले दो वर्षों में अभूतपूर्व सफलता मिली है।
500 से अधिक माओवादी मुठभेड़ों में मारे गए या निष्क्रिय (Neutralize) किए गए।
4,000 से अधिक नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया या उन्हें गिरफ्तार किया गया।
उन्होंने कहा कि यह आँकड़े नक्सलवाद के कमजोर पड़ने का स्पष्ट संकेत हैं। उन्होंने सुरक्षा बलों के पराक्रम की सराहना करते हुए कहा कि इसके बल पर बस्तर में दशकों से चली आ रही हिंसा के विरुद्ध एक निर्णायक बढ़त हासिल हुई है।
नई पुनर्वास नीति और सामाजिक परिवर्तन
श्री साय ने राज्य सरकार की नई पुनर्वास नीति के बारे में विस्तार से बताया, जो आत्मसमर्पित नक्सलियों को मुख्यधारा में शामिल करने पर केंद्रित है।
15,000 प्रधानमंत्री आवासों की स्वीकृति।
3 वर्षों तक ₹10,000 की मासिक वित्तीय सहायता।
कौशल विकास प्रशिक्षण और रोजगार से संबंधित कार्यक्रम।
उन्होंने कहा, “गोलीबारी की भाषा छोड़कर मुख्यधारा से जुड़ना” अब बस्तर की हकीकत बन रहा है। उन्होंने पंडुम कैफ़े जैसे नवाचारों का उल्लेख किया, जो सामाजिक परिवर्तन के प्रतीक बन चुके हैं।
विकास की किरणें: पुनर्आबाद गाँव और बुनियादी सुविधाएँ
मुख्यमंत्री ने बताया कि बस्तर में सुरक्षा कैंपों का तेज़ी से खुलना और प्रशासन की पहुँच बढ़ने के कारण 400 से अधिक गाँव फिर से आबाद हो चुके हैं।
‘नियद नेल्ला नार’ योजना के माध्यम से इन क्षेत्रों में सड़क, बिजली, पेयजल, स्वास्थ्य सुविधाएँ और शिक्षा जैसी बुनियादी सेवाएँ पहुँच रही हैं।
उन्होंने भावुकता से कहा—”जहाँ कभी गोलीबारी की आवाज आती थी, आज वहाँ स्कूल की घंटियाँ बज रही हैं।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि कई गाँवों में वर्षों बाद ध्वजारोहण हुआ है, लोग निर्भीक होकर चुनाव में भाग ले रहे हैं, और राशन-कार्ड से लेकर मोबाइल नेटवर्क तक की सुविधाएँ अब आसानी से उपलब्ध हो रही हैं।
बस्तर: भविष्य के विकास का केंद्र
मुख्यमंत्री श्री साय ने बस्तर को भविष्य के विकास का बड़ा केंद्र बताया और यहाँ कृषि, सिंचाई, वन-उत्पाद, पशुपालन और छोटे उद्योगों के लिए अभूतपूर्व संभावनाएँ व्यक्त कीं।
नई औद्योगिक नीति (2024–30) में नक्सल-प्रभावित क्षेत्रों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं।
वनोपज आधारित वैल्यू एडिशन, प्रसंस्करण और ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देकर स्थानीय युवाओं को रोजगार और स्थायी आय से जोड़ा जा रहा है।
उन्होंने यह भी बताया कि पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिए जाने से बस्तर अब वैश्विक नक्शे पर तेज़ी से पहचान बना रहा है।
कुटुमसर गुफा, झरने, अबूझमाड़ के जंगल और जनजातीय सांस्कृतिक धरोहर अब विश्व आकर्षण का केंद्र बन रहे हैं।
होम-स्टे मॉडल तेज़ी से विकसित हो रहा है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रहा है।
अंत में, मुख्यमंत्री ने नक्सलवाद उन्मूलन की इस ऐतिहासिक प्रगति को राज्य के शहीद जवानों, सुरक्षा बलों के अथक परिश्रम और जनता के विश्वास की जीत बताया। उन्होंने विश्वास जताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री श्री अमित शाह के संकल्प के अनुरूप बस्तर शीघ्र ही नक्सलवाद से मुक्त होकर विकास की मुख्यधारा में शामिल होगा।
















