नेपाल में पीएम और कई मंत्रियों का इस्तीफा, संसद-सुप्रीम कोर्ट तक फूंके

काठमांडू (एजेंसी)। नेपाल में भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ युवाओं का प्रदर्शन लगातार हिंसक होता जा रहा है। मंगलवार को स्थिति तब बेक़ाबू हो गई जब प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, कई मंत्रियों और अन्य शीर्ष नेताओं के सरकारी और निजी आवासों पर हमला कर तोड़फोड़ और आगजनी की। हिंसा की यह आग इतनी तेज़ी से फैली कि संसद भवन, प्रधानमंत्री और मंत्रियों के कार्यालय ‘सिंह दरबार’ और सुप्रीम कोर्ट तक इसकी चपेट में आ गए।
हिंसा में गई जान और नेताओं पर हमले
सरकार के ख़िलाफ़ गुस्सा तब और भड़क उठा जब भीड़ ने गोली चलाने का आदेश देने वाले एक डीएसपी की पीट-पीटकर हत्या कर दी। पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा, उनकी पत्नी व विदेश मंत्री आरजू राणा देउबा और अन्य नेताओं को भी प्रदर्शनकारियों के गुस्से का सामना करना पड़ा।
नेताओं के आवासों पर हमला: भीड़ ने प्रधानमंत्री ओली, राष्ट्रपति पौडेल और कई मंत्रियों के घरों पर हमला किया।
पूर्व पीएम की पत्नी की मौत: पूर्व प्रधानमंत्री झालानाथ खनल की पत्नी राजलक्ष्मी चित्रकार को जिंदा जला दिया गया, जिनकी बाद में अस्पताल में मौत हो गई।
वित्त मंत्री पर हमला: वित्त मंत्री विष्णु पौडेल को सड़कों पर दौड़ा-दौड़ाकर पीटा गया, जिसके वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए।
अन्य नेताओं के घर पर तोड़फोड़: पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल, संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग और कांग्रेस महासचिव गगन थापा के आवासों पर भी हमला हुआ।
सरकारी इमारतों को जलाया गया: राजधानी काठमांडू में संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट और सिंह दरबार को पूरी तरह से जला दिया गया।
संवैधानिक संस्थानों और मीडिया पर भी हमला
प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट, विशेष अदालत और सिंह दरबार में आग लगा दी। कांतिपुर टीवी की इमारत को भी जला दिया गया। कई बैंकों में लूटपाट हुई और जगह-जगह टायर जलाकर सड़कें बंद कर दी गईं।
जेलों पर हमला और क़ैदियों को छुड़ाया गया
प्रदर्शनकारियों ने धनगढ़ी और काठमांडू की जेलों पर हमला किया। नक्खू जेल से लगभग 1,500 और धनगढ़ी जेल से सैकड़ों क़ैदी भाग निकले। नक्खू जेल से भ्रष्टाचार के आरोप में बंद पूर्व उप प्रधानमंत्री और राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के अध्यक्ष रबि लामिछाने को भी छुड़ा लिया गया। जेल प्रशासन द्वारा सुरक्षा देने से इनकार करने के बाद उनकी पत्नी निकिता पौडेल उन्हें बाहर ले गईं। लामिछाने को मौजूदा हालात में प्रधानमंत्री पद के दावेदार के रूप में भी देखा जा रहा है।
सोशल मीडिया बैन से बढ़ी हिंसा
सरकार ने सोमवार को फेसबुक, यूट्यूब और 26 अन्य सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर प्रतिबंध लगा दिया था, हालांकि बाद में इसे हटा लिया गया। लेकिन तब तक स्थिति बिगड़ चुकी थी। आंदोलनकारी “जेन-ज़ी आंदोलन” के नाम से एकजुट होकर और ज़्यादा आक्रामक हो गए।
मेयर बालेन शाह बन सकते हैं नए प्रधानमंत्री
इस बीच, काठमांडू के युवा मेयर बालेंद्र शाह (बालेन) नए प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के तौर पर उभर रहे हैं। उनकी बेदाग छवि और भ्रष्टाचार के प्रति ज़ीरो टॉलरेंस की नीति को देखते हुए जनता उन्हें संकट से उबारने के लिए सबसे उपयुक्त मानती है। बालेन ने युवाओं से शांति बनाए रखने और संसद भंग होने के बाद ही नई सरकार पर चर्चा करने की अपील की है।
नेपाल एक गहरे राजनीतिक और सामाजिक संकट में है। ओली और उनके मंत्रियों के इस्तीफ़े के बाद सत्ता का भविष्य अनिश्चित हो गया है। जनता की मांग है कि सिर्फ़ एक ईमानदार नेतृत्व ही देश को इस मुश्किल दौर से बाहर निकाल सकता है। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या संसद भंग होती है और क्या बालेन शाह जैसे नए चेहरे को जनता का समर्थन राजनीतिक सत्ता में बदल पाएगा।