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बीजापुर में विकास की नई पहल : अति-माओवाद प्रभावित क्षेत्रों के सात गांवों में पहली बार लगा विशाल स्वास्थ्य शिविर

बीजापुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के भैरमगढ़ ब्लॉक में इंद्रावती नदी के पार बसे गांवों में विकास की नई सुबह हो रही है। ये क्षेत्र कभी माओवाद के प्रभाव में सिमटे थे, लेकिन अब छत्तीसगढ़ सरकार की पुनर्वास नीति 2025 के सकारात्मक परिणाम जमीन पर दिखने लगे हैं।

बड़ी संख्या में माओवादियों के आत्मसमर्पण के बाद, प्रशासन ने इन दुर्गम इलाकों में पहली बार एक साथ सात गांवों में मेगा हेल्थ कैंप का आयोजन किया। इस पहल से ग्रामीणों के जीवन में उम्मीद की नई किरण जगी है।

ग्रामीणों को मिला उपचार का लाभ

इस विशाल अभियान में विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक टीम शामिल हुई, जिसने उसपरी, बेलनार, सतवा, कोसलनार, ताड़पोट, उतला और इतामपार गांवों में स्वास्थ्य शिविर लगाए।

कुल 989 ग्रामीणों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया।

शिविर में सामान्य जांच के 777, रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) के 371, मुख कैंसर (ओरल कैंसर) के 344, स्तन कैंसर (ब्रेस्ट कैंसर) के 112, नेत्र जांच (आई टेस्ट) के 199, दंत जांच (डेंटल चेकअप) के 154, टीकाकरण के 14, संपूर्ण टीकाकरण के 8, मलेरिया के 156, क्षय रोग (टीबी) के 7, तथा उल्टी-दस्त के 24 प्रकरणों की जांच की गई।

इनमें 54 वरिष्ठ नागरिक भी शामिल थे।

विशेषज्ञों ने हृदय रोग से ग्रस्त एक बालक की पहचान की, जिसे ‘चिरायु योजना’ के तहत उच्च-स्तरीय चिकित्सा प्रदान की जाएगी।

बीमार ग्रामीणों का मौके पर ही उपचार किया गया और मुफ्त दवाइयों का वितरण भी हुआ।

शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अनुरूप साहू और डॉ. बी.एस. साहू ने बताया कि अब दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता से मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में महत्वपूर्ण सुधार होने की उम्मीद है।

भय की जगह विश्वास का माहौल

ग्रामीणों में अब डर की जगह विश्वास और आशा का माहौल है। वे शासन-प्रशासन से जुड़कर शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं के प्रति जागरूक हो रहे हैं।

बीजापुर कलेक्टर श्री संबित मिश्रा ने स्वास्थ्य विभाग की टीम को बधाई देते हुए कहा, “शासन के निर्देशों के अनुसार, प्रशासन अंतिम व्यक्ति तक शिक्षा, स्वास्थ्य और मूलभूत सुविधाएं पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है। ‘नियद नेल्लानार योजना’ के तहत अंदरूनी क्षेत्रों में विकास कार्यों में तेज़ी आई है, और प्रशासन की टीमें पूरी तत्परता से काम कर रही हैं, जिससे बीजापुर में सकारात्मक बदलाव दिख रहे हैं।”

यह पहल न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ाने की दिशा में एक मील का पत्थर है, बल्कि यह संदेश भी देती है कि अब मुख्यधारा और विकास ही बीजापुर की नई पहचान बनेगा, माओवाद नहीं।

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