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वंदे मातरम् : राष्ट्र की आत्मा का गीत : सांसद पांडेय

नई दिल्ली (एजेंसी)। हाल ही में, लोकसभा में वंदे मातरम् गीत के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक विशेष परिचर्चा आयोजित की गई थी, जिसमें सांसद संतोष पांडेय ने अपने विचार दृढ़तापूर्वक प्रस्तुत किए।

सांसद पांडेय ने भारतीय लोकतंत्र के सर्वोच्च सदन में अपनी बात रखते हुए कहा कि वंदे मातरम् महज़ कोई धार्मिक गीत, किसी व्यक्ति, किसी दल या किसी राज्य तक सीमित गीत नहीं है। यह गीत तो राष्ट्र की आत्मा का प्रतीक, भारत के गौरव का गान और हर भारतीय की आशाओं तथा आकांक्षाओं को स्वर देने वाला मधुर गीत है।

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इस गीत ने करोड़ों भारतीयों के मन में स्वतंत्रता का सपना देखने का साहस भरा था। असंख्य वीरों ने कड़ी यातनाएं सहते हुए और फांसी के तख्तों पर चढ़ते हुए भी “वंदे मातरम्” का नारा लगाया और अपनी मातृभूमि के चरणों में अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया।

विकसित भारत और मातृभूमि

सांसद पांडेय ने आगे कहा कि विकसित भारत @2047 की परिकल्पना वंदे मातरम् गीत की भावना के बिना साकार नहीं हो सकती। यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आज पूरा देश इस गीत की 150वीं वर्षगाँठ का उत्सव मना रहा है।

उन्होंने विपक्ष की आलोचना करते हुए कहा कि “इण्डिया इज़ इंदिरा, इंदिरा इज़ इंडिया” (भारत ही इंदिरा है, इंदिरा ही भारत है) जैसे नारे लगाने वाले कांग्रेस पार्टी के नेताओं की मातृभूमि के प्रति क्या भावना होगी, यह पूरा देश जानता है। उन्होंने कहा कि जिसे हम ‘मातृभूमि’ कहते हैं, वह कांग्रेस के लिए महज़ ‘ज़मीन का एक टुकड़ा’ है।

उन्होंने पंडित नेहरू का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने अक्साई चिन के लिए कहा था कि “यह एक बंजर ज़मीन है जहाँ घास तक नहीं उगती।” सांसद पांडेय ने ‘मात्रभूमि’ और ‘मातृभूमि’ के बीच के अंतर को स्पष्ट करते हुए कहा कि हमारे लिए यह केवल मात्रभूमि (सिर्फ एक ज़मीन) नहीं है, बल्कि हमारी मातृभूमि भारत माता है।

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