छत्तीसगढ़

भाजपा के आधार स्तंभ माने जाने वाले बिसे यादव ‘गुरूजी’ का निधन

दुर्ग। दुर्ग की राजनीति के बड़े नाम और भाजपा के आधार स्तंभ माने जाने वाले बिसे यादव ‘गुरूजी’ का निधन हो गया। 73 वर्ष की आयु में उन्होंने आज अंतिम सांस ली। वे लंबे समय से अस्वस्थ थे। उनका अंतिम संस्कार आज दोपहर 12 बजे हरनाबांधा मुक्तिधाम में हुआ।

दुर्ग की राजनीति में बड़ा नाम

बिसे यादव को ‘गुरूजी’ के नाम से जाना जाता था। वे दुर्ग में भाजपा की स्थापना और विस्तार के प्रमुख चेहरे रहे। कहा जाता है कि उन्होंने ही डॉ. रमन सिंह को भाजपा की सदस्यता दिलाई थी। 1986-87 में जब भाजपा की स्थिति कमजोर थी, तब वरिष्ठ नेता गोविंद सारंग के साथ वे कवर्धा पहुंचे और वहां डॉ. रमन सिंह से मुलाकात कर उन्हें भाजपा का प्राथमिक सदस्य बनाया। यही से डॉ. रमन सिंह की राजनीतिक यात्रा भाजपा में शुरू हुई।

कांग्रेस के दिग्गजों को दी चुनौती

बिसे यादव ने उस दौर में राजनीति की जब कांग्रेस का दबदबा था। 1984 में उन्हें भाजपा ने तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और परिवहन मंत्री मोतीलाल वोरा के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा। 1989 में दुर्ग विधानसभा उपचुनाव में उन्होंने शिवसेना प्रत्याशी के रूप में मोतीलाल वोरा को चुनौती दी। हालांकि वे चुनाव हार गए, लेकिन कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को टक्कर देने से उनकी राजनीतिक हैसियत काफी बढ़ गई।

राजनीतिक सफर

1974 से 1979 तक उन्होंने नेशनल हाई स्कूल में शिक्षक के रूप में सेवाएं दीं। 1979 में उन्होंने नौकरी छोड़ राजनीति में कदम रखा और पहली बार दुर्ग नगर पालिका परिषद के पार्षद चुने गए।
इसके बाद वे पांच बार पार्षद बने। भाजपा के शुरुआती दौर में वे भाजयुमो शहर अध्यक्ष और भाजपा शहर अध्यक्ष भी रहे।

सिद्धांतवादी नेता

बिसे गुरूजी सिद्धांतवादी छवि के नेता रहे। भाजपा सत्ता में आने के बाद उन्हें अपेक्षित महत्व नहीं मिला, लेकिन वे संगठन और विचारधारा के प्रति समर्पित बने रहे।

हाल के वर्षों में उन्होंने भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने का अभियान भी शुरू किया था, लेकिन अस्वस्थता के कारण यह आंदोलन आगे नहीं बढ़ पाया।

लोगों की यादों में जिंदा रहेंगे गुरूजी

दुर्ग और आसपास की राजनीति में बिसे यादव का नाम एक ऐसे नेता के रूप में दर्ज है जिन्होंने भाजपा को शून्य से खड़ा किया और दिग्गज नेताओं को चुनौती देने का साहस दिखाया। वे पूर्व मंत्री स्व. हेमचंद यादव के भी राजनीतिक गुरु माने जाते थे।

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