छत्तीसगढ़

जनभागीदारी से जल संचयन कर सुरक्षित होगा हमारा भविष्य : मुख्यमंत्री साय

रायपुर। जल है तो कल है, और जल से ही हमारा भविष्य उज्जवल होगा। जल संरक्षण के लिए हम सभी को मिलकर काम करना होगा, तभी हम अपनी आगामी पीढ़ियों के लिए सुरक्षित कल सुनिश्चित कर पाएंगे।” मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने यह बात रायपुर के ओमाया गार्डन में ‘सुजलाम भारत’ कार्यक्रम के अंतर्गत आयोजित जल संरक्षण एवं जल संवर्धन कार्यशाला को संबोधित करते हुए कही। इस अवसर पर उन्होंने जल कलश पर जल अर्पित कर जल संचयन का संदेश दिया।

मुख्यमंत्री श्री साय ने इस बात पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कई मौकों पर जल संकट के संबंध में अपनी गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण के प्रति जनता में जागरूकता की कमी इस संकट को और बढ़ा सकती है। उन्होंने बताया कि प्रदेशभर में लोग अपने स्तर पर जल संचयन के प्रयास कर रहे हैं और ऐसे मंचों से वे अपने अनुभव साझा कर सकेंगे। ये अनुभव नीति निर्माण में भी महत्वपूर्ण साबित होंगे।

अभिनव प्रयासों को प्रोत्साहन

मुख्यमंत्री श्री साय ने राजनांदगांव के अपने प्रवास का जिक्र करते हुए एक महिला सरपंच के उदाहरण को साझा किया, जिन्होंने स्वप्रेरणा से सूख चुके हैंडपंपों को फिर से चालू करने का कार्य किया। उनके इस अभिनव प्रयास की केंद्र सरकार ने भी सराहना की और इस पहल को आगे बढ़ाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे उदाहरण हमें प्रेरित करते हैं। हमें मिलकर जल संरक्षण को जन आंदोलन का रूप देना होगा, जिससे हमारा भविष्य सुरक्षित हो सके। उन्होंने यह भी कहा कि इस संगोष्ठी से प्राप्त सुझाव और इनपुट भविष्य की कार्ययोजनाओं को बनाने में अत्यंत सहायक सिद्ध होंगे।

केलो नदी का जल अर्पण: सम्मान और संचयन का प्रतीक

कार्यक्रम की शुरुआत में मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने पृथ्वी के प्रतीक के रूप में स्थापित कलश में केलो नदी का पवित्र जल अर्पित किया, जो जल संरक्षण एवं संचयन का संदेश था। उन्होंने कहा, “जल ही जीवन है” और हमारी पवित्र नदियाँ धरती को सींचकर जीवनदायिनी बनाती हैं। हमारी संस्कृति, सभ्यता और अस्तित्व की पहचान इन्हीं नदियों से जुड़ी हुई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ की जीवनरेखाएँ— महानदी, इंद्रावती, शिवनाथ, केलो और अन्य — न केवल धरती को उर्वर बनाती हैं, बल्कि कृषि, उद्योग और जीवन के हर क्षेत्र को संजीवनी प्रदान करती हैं। उन्होंने बताया कि पृथ्वी रूपी कलश में केलो नदी का जल अर्पण यह दर्शाता है कि हमें जल की हर बूँद का सम्मान करना चाहिए और आने वाली पीढ़ियों के लिए इसे सहेजकर रखना चाहिए।

मुख्यमंत्री श्री साय ने उपस्थित जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों और नागरिकों से जल संरक्षण के संकल्प को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाने का आह्वान किया, जिससे छत्तीसगढ़ की धरती हमेशा हरियाली और समृद्धि से लहलहाती रहे।

जल संरक्षण में उल्लेखनीय प्रगति

जल संसाधन विभाग के सचिव श्री राजेश सुकुमार टोप्पो ने कार्यक्रम की जानकारी देते हुए बताया कि यह कार्यशाला प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में आयोजित की गई है। विभिन्न विभागों को अलग-अलग थीम पर संगोष्ठी आयोजित करने के निर्देश दिए गए हैं, जिसके तहत जलशक्ति मंत्रालय द्वारा जल संचयन विषय पर इस कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है। उन्होंने बताया कि जल संरक्षण के क्षेत्र में कार्यरत 300 से अधिक लोगों ने पंजीयन कराया है। सरकार ने जल संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखा है। पिछले एक वर्ष में कलेक्टरों और संबंधित विभागों के प्रयासों से साढ़े तीन लाख से अधिक जल संचयन संरचनाओं का निर्माण किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप भू-जल स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है।

कार्यक्रम में पद्मश्री श्रीमती फूलबासन बाई यादव, नगरीय प्रशासन विभाग के सचिव डॉ. बसवराजु एस., लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के सचिव मोहम्मद कैसर अब्दुल हक सहित कई गणमान्यजन उपस्थित थे।

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button