किसान हित में धान खरीदी : नई पहल और सुदृढ़ व्यवस्था

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार ने खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 के लिए समर्थन मूल्य पर धान उपार्जन की विस्तृत और पारदर्शी नीति की घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया है कि प्रदेश के हर अन्नदाता को उसके परिश्रम का पूरा मूल्य दिलाना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। इस नीति का मुख्य उद्देश्य किसानों के हितों की सुरक्षा करना और तकनीकी रूप से सुदृढ़ तथा जवाबदेह व्यवस्था सुनिश्चित करना है।
मुख्य घोषणाएँ और खरीदी कार्यक्रम
खाद्य विभाग की सचिव श्रीमती रीना कंगाले के अनुसार, धान की खरीदी ₹3100 प्रति क्विंटल की दर से की जाएगी।
अवधि: धान खरीदी 15 नवंबर 2025 से 31 जनवरी 2026 तक चलेगी।
खरीदी सीमा: इस वर्ष भी प्रति एकड़ अधिकतम 21 क्विंटल धान खरीदा जाएगा।
नोडल एजेंसियाँ: धान उपार्जन का कार्य छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी विपणन संघ (MARKFED) के माध्यम से होगा, जबकि छत्तीसगढ़ स्टेट सिविल सप्लाईज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CSCSC) सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) हेतु चावल की उपलब्धता सुनिश्चित करने की नोडल एजेंसी होगी।
केन्द्र: विगत वर्ष के 2739 और नए स्वीकृत केन्द्रों के अलावा, 55 मंडियों और 78 उपमंडियों को भी खरीदी केन्द्र के रूप में उपयोग किया जाएगा।
भुगतान: किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए मार्कफेड द्वारा राज्य शासन के निर्देशानुसार आवश्यक साख-सीमा की व्यवस्था की जाएगी। भुगतान सीधे PFMS सिस्टम के माध्यम से केवल किसान के खाते में ही होगा।
तकनीकी पारदर्शिता और किसान पंजीकरण
धान खरीदी प्रक्रिया को पूरी तरह कम्प्यूटरीकृत और पारदर्शी बनाया गया है।
पंजीकरण: किसान अपने निकटस्थ समितियों में एग्रीस्टेक पोर्टल के माध्यम से पंजीकरण कर धान विक्रय कर सकेंगे। खरीदी की अनुमति ऋण पुस्तिका आधारित फार्म आईडी से दी जाएगी।
बायोमेट्रिक: पारदर्शिता और वास्तविक किसान की पहचान सुनिश्चित करने के लिए बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण जारी रहेगा।
विक्रेता: धान केवल किसान स्वयं, उनके माता-पिता, पति/पत्नी, या पुत्र/पुत्री ही विक्रय कर सकेंगे। विशेष परिस्थितियों में एसडीएम द्वारा प्रमाणित “विश्वसनीय व्यक्ति” को अधिकृत किया जा सकेगा।
टोकन व्यवस्था: खरीदी को नियंत्रित और व्यवस्थित करने के लिए टोकन जारी किए जाएंगे। सीमांत व लघु किसानों को दो टोकन और दीर्घ किसानों को तीन टोकन दिए जाएंगे।
गुणवत्ता, भंडारण और बारदाना प्रबंधन
बारदाना: धान की खरीदी 50:50 अनुपात में नए और पुराने जूट बोरे (Gunny Bags) में की जाएगी। पुराने बारदानों को उपयोग योग्य बनाकर उन पर नीले रंग में “Used Bag allowed for KMS 2025-26” का स्टेंसिल लगाया जाएगा।
गुणवत्ता: सभी उपार्जन केन्द्रों में कांटे-बांट का विधिक सत्यापन अनिवार्य है और नमी 17% से अधिक नहीं होनी चाहिए। हर केंद्र पर आर्द्रतामापी यंत्र उपलब्ध रहेगा।
भंडारण: संग्रहण केन्द्र ऊँचे और जलभराव-रहित होंगे। बारिश से धान की सुरक्षा के लिए पॉलिथीन कवर, सीमेंट ब्लॉक, और ड्रेनेज सुविधा अनिवार्य होगी।
तैयारी, प्रशिक्षण और निगरानी प्रोटोकॉल
समग्र प्रक्रिया को तकनीकी और जवाबदेह बनाने हेतु मार्कफेड के नेतृत्व में सघन व्यवस्थाएँ लागू की गई हैं।
कम्प्यूटरीकरण: सभी खरीदी केन्द्रों का निरीक्षण, उपकरणों की जांच, और सॉफ्टवेयर ट्रायल रन 31 अक्तूबर तक पूरा किया जाएगा।
प्रशिक्षण: धान उपार्जन से जुड़े सभी अधिकारियों/कर्मचारियों को खरीदी सॉफ्टवेयर, भुगतान प्रविष्टि और PFMS प्रक्रियाओं का अनिवार्य प्रशिक्षण दिया जाएगा। अनुविभाग-स्तरीय प्रशिक्षण 25 अक्तूबर 2025 तक पूर्ण होगा।
ट्रायल-रन: प्रत्येक धान उपार्जन और संग्रहण केन्द्र में 3 से 6 नवंबर 2025 तक ट्रायल-रन होगा।
गुणवत्ता नियंत्रण: संग्रहण केन्द्र स्तर पर तहसीलदार की अध्यक्षता में और समिति स्तर पर अध्यक्ष/प्राधिकृत अधिकारी, कलेक्टर नामित प्रतिनिधि व 02 जनप्रतिनिधियों की दो-स्तरीय समितियाँ गुणवत्ता निगरानी करेंगी। केवल FAQ अनुरूप धान ही खरीदा जाएगा।
शिकायत निवारण: राज्य व जिला-स्तर पर नियंत्रण कक्ष स्थापित होंगे। शिकायतों के लिए कॉल सेंटर: 1800-233-3663 प्रदर्शित रहेगा, जिसका निवारण 3 दिवस में सुनिश्चित किया जाएगा।
कस्टम मिलिंग: पंजीकृत मिलों द्वारा समर्थन मूल्य पर उपार्जित धान की कस्टम मिलिंग पूरी तरह कम्प्यूटरीकृत प्रक्रिया से होगी।
इंटीग्रेटेड कंट्रोल सेंटर: एंड-टू-एंड निगरानी और रिसाइक्लिंग रोकथाम हेतु मार्कफेड मुख्यालय में एक इंटीग्रेटेड कमांड-एंड-कंट्रोल सेंटर स्थापित होगा।
सुरक्षा और बीमा
सीमाई निगरानी: पड़ोसी राज्यों से धान की अनधिकृत आमद रोकने के लिए सीमाई चेकिंग दल तैनात होंगे।
बीमा: धान और उपार्जन केन्द्रों में कार्यरत समस्त व्यक्तियों का बीमा मार्कफेड द्वारा कराया जाएगा।
मुख्यमंत्री श्री साय ने आश्वस्त किया है कि इस बार भी खरीदी प्रक्रिया पूर्णतः पारदर्शी, बायोमेट्रिक-आधारित और तकनीकी रूप से मजबूत हो ताकि किसानों को समय पर भुगतान और निष्पक्ष अवसर मिल सके।
















