राजनांदगांव का मिशन जल रक्षा मॉडल राष्ट्रीय मंच पर प्रशंसा का बना केन्द्र

जल संरक्षण में राजनांदगांव मॉडल को मिली राष्ट्रीय पहचान
राजनांदगांव। भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय द्वारा ‘सुजलाम भारत – जल संचय’ कार्यक्रम के तहत नई दिल्ली के कन्वेंशन हॉल में एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में देश के विभिन्न राज्यों से आए जल संरक्षण, भू-जल प्रबंधन और जल साक्षरता से जुड़े नवाचारों का प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता जल शक्ति मंत्रालय की निदेशक श्रीमती अर्चना वर्मा ने की, जिसमें मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, नीति आयोग के प्रतिनिधि, जल विशेषज्ञ और विभिन्न राज्यों के अधिकारी शामिल हुए।
इस अवसर पर, राजनांदगांव जिले की मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) सुश्री सुरूचि सिंह ने जिले के अभिनव ‘मिशन जल रक्षा मॉडल’ का प्रस्तुतिकरण दिया, जो सम्मेलन का मुख्य आकर्षण रहा।
वैज्ञानिक, तकनीकी और सामुदायिक दृष्टिकोण का समन्वय
जिला पंचायत सीईओ सुश्री सिंह ने अपने प्रस्तुतिकरण में बताया कि मिशन जल रक्षा मॉडल जिले में जल संरक्षण और भू-जल पुनर्भरण के लिए वैज्ञानिक, तकनीकी और सामुदायिक दृष्टिकोण पर आधारित है। उन्होंने जानकारी दी कि राजनांदगांव के चार में से तीन विकासखंड ‘सेमी क्रिटिकल ज़ोन’ (जल स्तर की दृष्टि से गंभीर स्थिति) में हैं। इस समस्या को देखते हुए, जिले में हाइड्रोजियोलॉजिकल मैप और जीआईएस (GIS) आधारित विश्लेषण का उपयोग करके परकोलेशन टैंक, रिचार्ज शाफ्ट और अन्य जल संरचनाओं का निर्माण किया गया है, जिससे वर्षा जल का अधिकतम संचयन संभव हो सका है।
इस मॉडल की एक खास बात यह है कि इसमें स्थानीय सामग्री का इस्तेमाल कर कम लागत वाली जल संरचनाएं तैयार की गई हैं, जिससे निर्माण लागत में प्रभावी कमी आई है।
जल साक्षरता और महिला सशक्तिकरण की पहल
सुश्री सुरूचि सिंह ने बताया कि मिशन जल रक्षा के तहत ‘जल स्वच्छता एवं फसल संगोष्ठी अभियान’ चलाया जा रहा है। इस अभियान के माध्यम से ग्राम स्तर पर जल साक्षरता, वर्षा जल संचयन, सामुदायिक स्वच्छता और फसल चक्र परिवर्तन के प्रति जागरूकता बढ़ाई गई है।
उन्होंने यह भी बताया कि जिले में महिला सशक्तिकरण के माध्यम से जल संचय का कार्य किया जा रहा है, जिसमें डेढ़ लाख से अधिक महिलाओं का एक बड़ा समूह सक्रिय है। इसके साथ ही, पद्मश्री फुलबासन बाई और उनके समूह द्वारा चलाई जा रही ‘नीर और नारी जल यात्रा’ के निरंतर प्रयासों की जानकारी भी साझा की गई। मनरेगा (MNREGA) के अंतर्गत निर्मित की जा रही भू-जल संरक्षण संरचनाओं की कम लागत वाली तकनीक (लो-कॉस्ट तकनीक) के बारे में भी विस्तार से बताया गया।
जीआईएस मैपिंग से प्रभाव का मूल्यांकन और भविष्य की योजना
जिला पंचायत सीईओ ने स्पष्ट किया कि राजनांदगांव में सैटेलाइट जीआईएस इमेजरी और मैप का उपयोग करके जल संरचनाओं के प्रभाव का लगातार मूल्यांकन किया जा रहा है, जिसके सकारात्मक परिणाम अब जिले के विभिन्न क्षेत्रों में दिखाई देने लगे हैं। उन्होंने पॉलिसी गैप्स (नीतिगत कमियाँ) और लो-कॉस्ट स्ट्रक्चर डेवलपमेंट के विषय पर भी विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि स्थानीय ज़रूरतों के अनुसार नीति सुधार करके प्रभावी जल प्रबंधन सुनिश्चित किया गया है और भविष्य में भी राज्य सरकार के समन्वय से अधिक से अधिक जल संरक्षण एवं संवर्धन संरचनाओं का निर्माण किया जाएगा।
राष्ट्रीय मंच पर सराहना और प्रेरणास्रोत बना मॉडल
सम्मेलन के अंत में, जल शक्ति मंत्रालय की निदेशक श्रीमती अर्चना वर्मा ने राजनांदगांव जिले के ‘मिशन जल रक्षा मॉडल’ की सराहना करते हुए कहा कि यह मॉडल जल संरक्षण की दिशा में एक सशक्त उदाहरण प्रस्तुत करता है और अन्य जिलों के लिए प्रेरणास्रोत है।
यह उल्लेखनीय है कि ‘सुजलाम भारत – जल संचय’ कार्यक्रम का उद्देश्य जल संरक्षण, जल निकायों के पुनर्जीवन, अपशिष्ट जल के पुन: उपयोग और सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा देना है। यह भारत सरकार की एक प्रमुख पहल है, जिसका लक्ष्य पानी की हर बूंद का संचित उपयोग सुनिश्चित करना है।
राजनांदगांव जिले में ‘मिशन जल रक्षा’ के दूसरे चरण में अब माइक्रो रिचार्ज मैपिंग, संस्थागत वर्षा जल संचयन प्रणाली और जल गुणवत्ता निगरानी तंत्र पर कार्य शुरू किया जा रहा है। यह मॉडल भविष्य में ‘सुजलाम भारत अभियान’ के तहत अन्य राज्यों के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण के रूप में विकसित हो सकेगा।