RBI की अहम बैठक आज से, ब्याज दरों में कटौती के आसार, त्योहारों से घट सकती है EMI

नई दिल्ली (एजेंसी)। भारतीय रिजर्व बैंक की एक महत्वपूर्ण बैठक सोमवार से शुरू हो गई है। इस बैठक में गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में मौद्रिक नीति समिति चर्चा कर रही है। बुधवार, 6 अगस्त को आरबीआई (RBI) अपनी नई द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करेगा। विशेषज्ञों और बाजार के संकेतों के मुताबिक, इस बार आरबीआई रेपो रेट (वह दर जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है) में एक बार फिर कटौती कर सकता है। इसकी संभावना 0.25 प्रतिशत तक की कटौती की जा रही है। इसके पीछे दो मुख्य कारण हैं।
1. महंगाई काबू में: पिछले कई महीनों से खुदरा महंगाई दर आरबीआई के 4% के लक्ष्य से नीचे बनी हुई है। सब्जियों समेत खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट ने महंगाई को और कम रखा है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि महंगाई दर आरबीआई के मौजूदा अनुमान (3.7%) से भी काफी नीचे, 3% के आसपास रह सकती है।
2. आर्थिक चुनौतियों से निपटना: वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं (खासकर अमेरिका से) और देश के भीतर कर्ज वृद्धि की रफ्तार सुस्त पड़ने की चिंताओं के
बीच, आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए ब्याज दरों में कटौती को जरूरी माना जा रहा है।
पहले भी मिल चुकी है राहत
इस साल आरबीआई पहले ही रेपो दर में तीन बार कटौती कर चुका है, जिससे यह दर 6.5% से घटकर 5.5% पर आ गई है। अगर इस बैठक में फिर कटौती
होती है, तो यह इस साल की चौथी कटौती होगी।
त्योहारी सीजन पर असर
इस कटौती का सबसे बड़ा फायदा त्योहारी सीजन से ठीक पहले आम लोगों को मिल सकता है। कम ब्याज दरों का मतलब है कार लोन, होम लोन और अन्य तरह के कर्ज पर ईएमआई में कमी। विशेषज्ञों का मानना है कि त्योहारों के दौरान कर्ज की मांग पहले से ही बढ़ जाती है और अगर उससे पहले ब्याज दरें कम होती हैं, तो यह मांग और भी तेजी से बढ़ सकती है।
सरकार और गवर्नर के संकेत
वित्त मंत्रालय ने भी हाल ही में अपनी समीक्षा रिपोर्ट में कहा था कि महंगाई कम होने से ब्याज दरों में और कटौती की गुंजाइश बनी हुई है। आरबीआई गवर्नर मल्होत्रा ने भी पहले संकेत दिया था कि अगर महंगाई कम रहती है या आर्थिक वृद्धि दर कमजोर होती है, तो नीतिगत दर (रेपो रेट) में कटौती की जा सकती है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा था कि आरबीआई कोई भी फैसला लेने से पहले स्थिति पर बारीकी से नजर रखेगा।
















