जनहित में कोई लापरवाही नहीं : मुख्यमंत्री साय की कलेक्टर्स कॉन्फ्रेंस में सख्त हिदायत

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में रविवार को मंत्रालय (महानदी भवन) में आयोजित कलेक्टर्स कॉन्फ्रेंस 2025 में सुशासन, पारदर्शिता और जनहित के नए मानदंड स्थापित किए गए। यह बैठक निर्धारित समय से पहले शुरू हुई, जिसने मुख्यमंत्री की कार्य-अनुशासन (वर्क-डिसिप्लिन) और परिणाम केंद्रित कार्यशैली का सीधा संदेश पूरे प्रशासन को दिया। बैठक में मुख्य सचिव श्री विकास शील, सभी विभागीय सचिव, संभागायुक्त और कलेक्टर उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि शासन की योजनाओं का लाभ जनता तक समय पर और पारदर्शी तरीके से पहुँचना ही वास्तविक सुशासन है, और इस दिशा में किसी भी स्तर पर लापरवाही या ढिलाई स्वीकार्य नहीं होगी। उन्होंने कहा कि यह कॉन्फ्रेंस केवल समीक्षा बैठक नहीं, बल्कि जनहित के नए मानक निर्धारित करने का अवसर है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को चेताया कि योजनाओं का क्रियान्वयन केवल रिपोर्टों में नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर परिणामों में दिखाई देना चाहिए।
मुख्यमंत्री श्री साय ने जोर देकर कहा कि आम जनता तक योजनाओं का लाभ पहुँचाना ही नीतियों का अंतिम उद्देश्य है। उन्होंने कलेक्टरों से कहा, “जनता के बीच आपकी उपस्थिति और संवेदनशीलता ही आपकी पहचान है।”
धान खरीदी और किसान सम्मान निधि पर मुख्य फोकस
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि 15 नवंबर से शुरू होने वाली धान खरीदी की सभी तैयारियाँ समय पर पूरी कर ली जाएं। उन्होंने स्पष्ट किया कि धान खरीदी में किसी भी प्रकार की अनियमितता पाए जाने पर सीधे कलेक्टर जिम्मेदार होंगे। उन्होंने सभी धान खरीदी केंद्रों की सख्त निगरानी के निर्देश दिए और कहा कि प्रभारी सचिव जिलों में लगातार निगरानी रखें और संवेदनशील केंद्रों पर विशेष ध्यान दें।
पारदर्शिता और सुगमता: धान खरीदी की पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता और सुगमता सुनिश्चित करने को कहा गया।
टेक्नोलॉजी का उपयोग: खरीदी की निगरानी बढ़ाने के लिए अब इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर का उपयोग किया जाएगा, जिससे गड़बड़ी पर तत्काल कार्रवाई हो सके।
अवैध आवाजाही पर रोक: अंतरराज्यीय सीमावर्ती जिलों में विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए ताकि बाहर से धान की अवैध आवाजाही रोकी जा सके।
विशेष जनजातियों पर ध्यान: विशेष पिछड़ी जनजातियों के किसानों के 100 प्रतिशत पंजीयन के लिए विशेष शिविर आयोजित करने का निर्देश दिया गया।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि एक भी पात्र किसान वंचित न रहे, यह प्रशासन की जिम्मेदारी है। उन्होंने कमिश्नरों को निर्देश दिया कि बस्तर और सरगुजा सम्भाग में विशेष रूप से योजना की प्रगति की सतत समीक्षा करें।
ऊर्जा, स्वास्थ्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में प्राथमिकता
ऊर्जा और स्वास्थ्य
मुख्यमंत्री श्री साय ने प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना का लाभ अधिकतम लोगों तक पहुँचाने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में हितग्राहियों को बैंक फाइनेंस की सुविधा आसानी से उपलब्ध कराई जाए।
स्वास्थ्य सेवाओं पर जोर देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
संस्थागत प्रसव और टीकाकरण: शत प्रतिशत प्रसव सभी अस्पतालों में सुनिश्चित हो और टीकाकरण की वास्तविक स्थिति की फील्ड वेरिफिकेशन द्वारा पुष्टि की जाए।
मातृ मृत्यु लेखा-परीक्षा: मैटरनल डेथ ऑडिट प्रत्येक मामले में अनिवार्य रूप से करने का निर्देश दिया गया ताकि रोकथाम की रणनीति बनाई जा सके।
पोषण एवं रोग नियंत्रण: एनआरसी सेंटरों का संचालन नियमित और प्रभावी करने, माताओं और बच्चों के पोषण पर विशेष ध्यान देने तथा वेलनेस सेंटरों को सक्रिय कर गैर-संचारी रोगों के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाने का निर्देश दिया गया।
मलेरिया उन्मूलन: बस्तर संभाग में मलेरिया उन्मूलन पर विशेष जोर दिया गया और हॉटस्पॉट क्षेत्रों में विशेष अभियान चलाकर छत्तीसगढ़ को “मलेरिया-मुक्त राज्य” बनाने का लक्ष्य शीघ्र पूरा करने को कहा गया।
शिक्षा और नवाचार
शिक्षा विभाग की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने ड्रॉपआउट शून्य करने और सकल नामांकन अनुपात को 100 प्रतिशत करने का लक्ष्य हर हाल में पूरा करने पर जोर दिया।
संसाधनों का उपयोग: मुख्यमंत्री ने कहा कि “शिक्षण सामग्री अलमारियों में नहीं, कक्षाओं में दिखनी चाहिए।” उन्होंने कलेक्टरों को संसाधनों का उपयोग सुनिश्चित करने और नियमित मॉनिटरिंग के निर्देश दिए।
स्थानीय नवाचार: उन्होंने बीजापुर जिले की सराहना की, जहाँ स्थानीय युवाओं की मदद से गोंडी भाषा में शिक्षण से बच्चों की उपस्थिति बढ़ी और ड्रॉपआउट घटा। उन्होंने अन्य जिलों को भी ऐसे नवाचार अपनाने की सलाह दी।
डिजिटल पारदर्शिता: 31 दिसंबर तक सभी विद्यार्थियों की आधार-बेस्ड APAR ID बनाकर रजिस्ट्रेशन पूरा करने का निर्देश दिया गया। इसी आधार पर छात्रों को गणवेश, किताबें और छात्रवृत्ति दी जाएगी।
मुख्यमंत्री शिक्षा गुणवत्ता अभियान: राज्य में “मुख्यमंत्री शिक्षा गुणवत्ता अभियान” चलाया जाएगा, जिसमें स्कूलों का सामाजिक अंकेक्षण (सोशल ऑडिट) कर ग्रेडिंग की जाएगी। उन्होंने जिलों में परीक्षा परिणाम सुधार की ठोस योजना बनाने और सफल मॉडलों को अन्य जिलों में लागू करने को कहा।
















