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घर में पूजा के लिए मंदिर किस दिशा में बनाना चाहिए ?

न्यूज डेस्क। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में पूजा का मंदिर बनाने के लिए ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) सबसे उत्तम मानी जाती है। इसे देवताओं का स्थान माना जाता है और इस दिशा में मंदिर होने से घर में सकारात्मक ऊर्जा, सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।

पूजा घर से जुड़ी कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातें:
भगवान का मुख:
पूजा करते समय आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए। देवी-देवताओं या मूर्तियों को मंदिर में इस तरह रखें कि उनका मुख भी पूर्व या उत्तर दिशा की ओर हो। अगर ईशान कोण में मंदिर बनाना संभव न हो तो आप उत्तर या पूर्व दिशा में भी मंदिर बना सकते हैं।

इन दिशाओं में न बनाएं: दक्षिण, दक्षिण-पूर्व (आग्नेय कोण) और दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य कोण) दिशा में मंदिर नहीं बनाना चाहिए, क्योंकि इन्हें अशुभ माना जाता है।

मंदिर की ऊंचाई: मंदिर को सीधे जमीन पर नहीं रखना चाहिए। यह जमीन से कुछ इंच ऊपर होना चाहिए।

स्थान की पवित्रता: पूजा घर शांत, साफ और सकारात्मक ऊर्जा से भरा होना चाहिए। इसके आसपास शौचालय या रसोईघर नहीं होना चाहिए। पूजा स्थान खुला और हवादार होना चाहिए। इन वास्तु नियमों का पालन करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और पूजा का उचित फल प्राप्त होता है।

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