आज का व्रत व त्यौहार : आज है चातुर्मास्य व्रत

न्युज डेस्क (एजेंसी)। 4 पवित्र महीनों की अवधि के लिए मनाया जाता है और यह आषाढ़ महीने (जून-जुलाई) में देव शयन एकादशी के अगले दिन से शुरू होता है और कार्तिक महीने (अक्टूबर-नवंबर) में उत्थान एकादशी पर समाप्त होता है। चातुर्मास व्रत ज्ञानी, योगी और भक्त सभी अपनी-अपनी इच्छाओं की प्राप्ति के लिए करते हैं। मौन व्रत रखना और भगवान विष्णु की पूजा में समय व्यतीत करना फलदायी होता है।
चातुर्मास्य व्रत के पीछे की पौराणिक कथा
गरुड़ पुराण के अनुसार धार्मिक मान्यता है कि चातुर्मास्य व्रत के दौरान भगवान विष्णु क्षीर सागर (दूध का सागर) में शेष नाग (अनंत शेष) पर सो जाते हैं। इसलिए उस दिन को सायन एकादशी कहा जाता है। वह चार पवित्र महीनों के बाद कार्तिक माह में आने वाली उत्थान एकादशी पर अपनी गहरी नींद से जागते हैं।
चातुर्मास्य व्रत के विधान
चातुर्मास व्रत बहुत कठिन नहीं है लेकिन कट्टर भक्त इस व्रत का पालन बहुत सख्ती से करते हैं। भक्त सूर्योदय से पहले उठता है, पवित्र स्नान करता है और भगवान विष्णु की पूजा करता है। चातुर्मास व्रत में दूध, गुड़, दही, तेल, बैंगन, पत्तेदार सब्जियां, नमकीन, मसालेदार भोजन, मीठे व्यंजन, मांस और शराब जैसे किसी भी खाद्य पदार्थ का सेवन नहीं किया जाता है।
कुछ भक्त इस व्रत को महीने के हिसाब से रखते हैं:
श्रावण मास – पत्तेदार सब्जियों से परहेज करें।
भाद्रपद मास – दही का परहेज किया जाता है।
आश्विन मास – दूध से परहेज किया जाता है।
कार्तिक मास – प्याज, लहसुन, उड़द दाल का परहेज रखा जाता है।