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आज का व्रत व त्यौहार : आज है धनतेरस

न्युज डेस्क (एजेंसी)। कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान धन्वन्तरि का जन्म हुआ था, इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। भारत सरकार ने धनतेरस को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। धन्वन्तरि देवताओं के चिकित्सक हैं और चिकित्सा के देवता माने जाते हैं, इसलिए चिकित्सकों के लिए धनतेरस का दिन बहुत ही महत्व पूर्ण होता है।

हिंदू वैष्णव सम्प्रदाय श्री धनवन्तरी को भगवान विष्णु का 17वें अवतार तथा देवों के वैध व प्राचीन उपचार पद्दति आयुर्वेद के जनक मानते हैं। भगवान धनवन्तरि अमृत कलश के साथ सागर मंथन से उत्पन्न हुए हैं।

जैन आगम में धनतेरस को धन्य तेरस या ध्यान तेरस भी कहते हैं, भगवान महावीर इस दिन तीसरे और चौथे ध्यान में जाने के लिये योग निरोध के लिये चले गये थे और तीन दिन के ध्यान के बाद योग निरोध करते हुए दीपावली के दिन निर्वाण को प्राप्त हुए तभी से यह दिन धन्य तेरस के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

धनतेरस के दिन की पूजा विधि

धनतेरस के दिन शाम के वक्त शुभ मुहूर्त में उत्तर की ओर कुबेर और धन्वंतरि की स्थापना करें।

साथ ही मां लक्ष्मी, गणेश की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। इसके बाद दीप जलाकर पूजा करें।

तिलक करने के बाद पुष्प, फल आदि का भोग लगाएं।

कुबेर देवता को सफेद मिठाई और धन्वंतरि देव को पीली मिठाई का भोग लगाएं।

पूजा के दौरान ‘ऊँ ह्रीं कुबेराय नमः’ इस मंत्र का जाप करते रहें।

भगवान धन्वंतरि को प्रसन्न करने के लिए इस दिन धन्वंतरि स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।

धनतेरस के दिन से दिवाली मनाई जाती है और देवी लक्ष्मी के स्वागत की तैयारी की जाती है। लक्ष्मी के चरणों की निशानी के रूप में रंगोली से लेकर घर के अंदर तक छोटे-छोटे पैरों के निशान बनाए जाते हैं। शाम को 13 दीये जलाकर लक्ष्मी की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन लक्ष्मी पूजा से समृद्धि, सुख और सफलता मिलती है।

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