धर्म कर्म

आज का हिन्दू पंचांग 

हिन्दू पंचांग
दिनांक – 02 जुलाई 2023
दिन – रविवार
विक्रम संवत् – 2080
शक संवत् – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – वर्षा
मास – आषाढ़
पक्ष – शुक्ल
तिथि – चतुर्दशी रात्रि 08:21 तक तत्पश्चात पूर्णिमा
नक्षत्र – ज्येष्ठा दोपहर 01:18 तक तत्पश्चात मूल
योग – शुक्ल शाम 07:26 तक तत्पश्चात ब्रह्म
राहु काल – शाम 05:48 से 11:02 तक
सूर्योदय – 05:58
सूर्यास्त – 07:29
दिशा शूल – पश्चिम दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:34 से 07:29 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:23 से 01:05 तक

व्रत पर्व विवरण – कोकिला व्रत, पूर्णिमा, जैन चौमासी चतुर्दशी
विशेष – चतुर्दशी के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)

 शास्त्रों में गुरुपूजा का महत्त्व 

शास्त्रों के रहस्य के ज्ञाता एवं सत्यवक्ता पितामह भीष्मजी धर्मराज युधिष्ठिर को कहते हैं: “गुरु की पूजा करने से मनुष्य के यश, आयु और श्री की वृद्धि होती है ।” (महाभारत, अनुशासन पर्व : १६२.४४)

लिंग पुराण में भगवान शिवजी पार्वतीजी से कहते हैं: “अपना हित चाहनेवाले को तीनों संध्याओं में गुरु की पूजा करनी चाहिए । जो कल्याण का इच्छुक है उसे मन से भी गुरु की आज्ञा का उल्लंघन नहीं करना चाहिए ।”

भगवान श्रीरामजी कहते हैं :

अभेद बिप्र गुर पूजा ।
एहि सम बिजय उपाय न दूजा ॥

‘ब्राह्मणों (ब्रह्मवेत्ताओं) और सद्गुरु का अभेद्य कवच है । इसके समान का दूसरा उपाय नहीं है।’ (श्री रामचरित. लं.कां. : ७९.५)

 चतुर्मास में लेने जैसे नियम 

बीता हुआ समय लौटकर नहीं आता, ऐसा विवेक दृढ कर जीवन के एक-एक क्षण को आत्मोपलब्धि में, भगवत्प्राप्ति में तथा मुक्ति के साधनों में लगाओ । – पूज्य बापूजी

अपने मिले हुए गुरुसेवारूपी कर्तव्य का तत्परता से पालन करूँगा ।

रोज गुरुदेव की मानस-पूजा करूँगा ।

रोज प्रातः व शाम की संध्या का सत्संग नियमित रूप से सुनूँगा ।

ॐकार का गुंजन करते हुए गुरुदेव के श्रीचित्र पर १०-१५ मिनट रोज त्राटक करूँगा ।

दिनभर में श्वासोच्छ्वास की 1 से ३ माला रोज करूँगा (अजपाजप)।

पूज्यश्री के उत्तम स्वास्थ्य और शीघ्र रिहाई के लिए होनेवाले सुबह-शाम के संकल्प में अवश्य भाग लूंगा ।

नियमितरूप से कम-से-कम १५ मिनट से आधा घंटा ध्यान करूँगा ।

रोज गुरुमंत्र की ५४ या १०८ माला अधवा ॐकार की १२० माला करूँगा ।

प्रतिदिन श्री योगवासिष्ठ महारामायण पढूंगा अथवा मंडप में चलनेवारने श्री योगवासिष्ठ पाठ का ध्यानपूर्वक श्रवण करूँगा ।

अशुद्ध व नीच विचारों से बचकर शुद्ध चिंतन, परमात्म-चिंतन करूँगा । (चिंतन बिगड़ा तो साधना बिगड़ेगी)

गुरुजी से दूर ले जायें ऐसे चलचित्र, नाटिका, धारावाहिक आदि नहीं देखूँगा ,ऐसा कोई संगीत, धुन या आवाज नहीं सुनूँगा और ऐसा साहित्य या नॉवेल, पत्रिका, अखबार आदि नहीं पढूँगा ।

पूरे चतुर्मास में दिव्य प्रेरणा प्रकाश पुस्तक के कम-से-कम ३ पृष्ठ रोज ध्यानपूर्वक पढूँगा या मंडप में पढे जानेवाले पाठ का श्रवण करूँगा और उसमें दिये गये ब्रह्मचर्य के नियमों का दृढ़ता से पालन करूँगा ।

किसीकी भी निंदा नहीं करूँगा और न ही निंदा सुनूँगा । (पर निंदा सम अघ न गरीसा ।)

राग व द्वेष का त्याग करूँगा । प्रतिदिन त्रिबंधयुक्त प्राणायाम करूँगा ।

मौनपूर्वक भोजन प्रसाद ग्रहण करूँगा ।

एन्ड्रोइड मोबाइल (इंटरनेटबाले) का इस्तेमाल सेवा व आवश्यक कार्य हेतु ही करूँगा ।

रोज 2 घंटे मौन रखूँगा तथा व्यर्थ की बातचीत से परहेज करूँगा और दिन में सोना त्याग दूँगा ।

ब्राह्ममुहूत में ही उठूँगा या सिर्फ ६ घंटे की नींद लूँगा ।

कम-से-कम कोई एक अपनी प्रिय खाद्य वस्तु पूरे चतुर्मास में न खाने का व्रत ।

ध्यान दें : उपरोक्त नियमों में से जिनको जो नियम अनुकूल लगें (१ या अधिक) उन्हें लिखकर अपनी नियम की पुस्तक ‘गुरुगीता’ में रख लें एवं प्रतिदिन सुबह एक बार देख ले जिससे अपना संकल्प याद रहे ।

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