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शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा, जानें विधि व महत्व

न्युज डेस्क (एजेंसी)। शारदीय नवरात्रि के 9 दिनों में नवदुर्गा यानी मां दुर्गा अलग-अलग 9 रूपों की पूजा होती है.  चौथे दिन की अधिष्ठात्री देवी कूष्मांडा हैं. इनकी आठ भुजाएं हैं, जिनमें इन्होंने कमण्डल, धनुष–बाण, कमल अमृत कलश चक्र और गदा धारण कर रखा है, इन अष्टभुजा माता के आठवें हाथ में सिद्धियों और निधियों की जप माला है और इनकी सवारी भी सिंह है.

मां कूष्मांडा सृष्टि का निर्माण करने वाली देवी हैं. जब किसी भी वस्तु का अस्तित्व नहीं था तब कूष्मांडा देवी ने अपनी हंसी से इस सृष्टि का निर्माण किया था. कुष्मांडा कुम्हड़े को भी कहते हैं. इसलिए देवी को कुम्हड़े की बलि अति प्रिय है.

शारदीय नवरात्रि चौथा दिन 2024

दृक पंचांग के आधार पर अश्विन शुक्ल चतुर्थी तिथि 6 अक्टूबर को सुबह 07:49 बजे से प्रारंभ हो रही है और यह 7 अक्टूबर को सुबह 09:47 बजे तक है.

मां कूष्मांडा पूजा मंत्र

1. ऐं ह्री देव्यै नम:
2. या देवी सर्वभू‍तेषु मां कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
3. सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

भोग

नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा को दही, मालपुआ और हलवा का भोग लगाना अच्छा होता है. इसके अलावा देवी को सफेद कुम्हड़े की बलि भी देनी की परंपरा है.

मां कूष्मांडा की पूजा विधि

व्रत वाले दिन आपको ब्रह्म मुहूर्त में दैनिक क्रियाओं से निवृत होकर मां कूष्मांडा की पूजा करनी चाहिए. सबसे पहले मां कूष्मांडा का गंगाजल से अभिषेक करें. फिर उनको लाल गुड़हल, गुलाब आदि का फूल चढ़ाएं. उनको अक्षत्, सिंदूर, फल, धूप, दीप, गंध, नैवेद्य, श्रृंगार सामग्री आदि चढ़ाएं. इस दौरान मंत्र का उच्चारण करें. फिर मां कूष्मांडा को दही, हलवा और मालपुआ का भोग लगाएं. इसके बाद दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती का पाठ करें. पूजा का समापन मां दुर्गा और देवी कूष्मांडा की आरती से करें.

पूजा के फायदे

1. मां कूष्मांडा की पूजा करने से व्यक्ति को आरोग्य का वरदान प्राप्त होता है. उसे रोग और दोष से मुक्ति मिलती है.
2. यदि आपको यश और कीर्ति की चाह है तो आप मां कूष्मांडा की पूजा करें.
3. संकट में घिरे लोगों को भी देवी कूष्मांडा की पूजा करनी चाहिए. इस देवी की कृपा से जीवन के संकट दूर हो सकते हैं.
4. मां कूष्मांडा की कृपा से व्यक्ति को शक्ति और दीर्घायु की प्राप्ति होती है.

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