दिल्ली (एजेंसी)। एशियन गेम्स में भारतीय एथलीट अपने शानदार प्रदर्शन को जारी रखे हुए हैं। भारत के स्टार शॉटपुट थ्रोअर तजिंदरपाल सिंह तूर ने शॉटपुट इवेंट में गोल्ड मेडल जीत लिया है।
तूर ने इस इवेंट में भारत को दूसरा ट्रैक और फील्ड स्वर्ण पदक दिलाया। तूर (2018 जकार्ता, 2023 हांग्जो) परदुमन सिंह बराड़ (1954 और 1958), जोगिंदर सिंह (1966 और 1970) और बहादुर सिंह चौहान (1978 और 1982) के बाद अपने एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल का बचाव करने वाले चौथे भारतीय शॉट पुटर बन गए हैं।
कैसा रहा तूर का गेम
तूर ने एक शानदार पहली थ्रो के साथ शुरुआत की जो 20 मीटर के निशान के आसपास गिरी, लेकिन इसे नो थ्रो माना गया। उनका दूसरा थ्रो भी खारिज कर दिया गया। तूर ने अपने तीसरे प्रयास में अपना पहला लीगल थ्रो फेंका, जोकि 19.51 मीटर का था, उस समय तक सऊदी अरब के मोहम्मद दाउदा टोलो 19.93 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ पहले स्थान पर चल रहे थे।
इसके बाद तूर ने गोल्ड मेडल की स्थिति में आने के लिए अपने चौथे प्रयास में 20.06 का भारी थ्रो किया, लेकिन टोलो ने 20.18 मीटर थ्रो के साथ फिर से बढ़त हासिल कर ली। जबकि तूर अपने पांचवें थ्रो में चूक गए, उन्होंने अपने छठे प्रयास में 20.36 मीटर के विशाल थ्रो के साथ अपना सर्वश्रेष्ठ थ्रो फेंका यह उनका आखिरी थ्रो भी था। सऊदी के टोलो भारतीय के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन से आगे नहीं निकल सके और उन्हें सिल्वर मेडल से संतोष करना पड़ा।
इंजरी ने किया परेशान
28 वर्षीय तूर ने 2018 में जीते गए गोल्ड मेडल का बचाव करने के प्रबल दावेदार थे। वह व्यक्तिगत इवेंटों में एकमात्र भारतीय एशियाई रिकॉर्ड धारक हैं। तूर की एकमात्र चिंता यह है कि वह पिछले कुछ सालों में चोटिल होते रहे हैं। पंजाब के इस हट्टे-कट्टे एथलीट ने जून में राष्ट्रीय अंतर-राज्य चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर 21.77 मीटर की दूरी तक लोहे की गेंद फेंककर अपना ही एशियाई रिकॉर्ड फिर से लिखा था। जुलाई में बैंकॉक में एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने के दौरान उन्हें कमर में चोट लग गई थी, जहां उनका 20.23 मीटर का पहला राउंड थ्रो उन्हें पहला स्थान दिलाने के लिए पर्याप्त था। तूर ने विश्व चैंपियनशिप के लिए भी क्वालीफाई किया लेकिन कमर की चोट से उबरने के कारण उन्हें बाहर होना पड़ा। तूर ने टोक्यो ओलंपिक के ठीक बाद अपने फेंकने वाले हाथ की बाईं कलाई की सर्जरी कराई थी और कहा था कि उनकी कलाई ठीक है। आपको बता दें कि एशियाई खेलों के पहले 18 संस्करणों में भारतीयों ने नौ बार पुरुषों के शॉटपुट में स्वर्ण पदक जीता है।