दिल के करीब घातक गाँठ का सफ़ल ऑपरेशन : मध्य भारत में दुर्लभ कैंसर सर्जरी

रायपुर। डॉ. भीमराव अम्बेडकर अस्पताल में 5 घंटे की जटिल सर्जरी के बाद 35 वर्षीय युवक को मिला नया जीवन। डॉक्टरों ने हृदय की मुख्य नसों से जुड़े, थाइमस ग्रंथि के आक्रामक कैंसर (Invasive Carcinoma of Thymus) की 11×7 सेंटीमीटर की गाँठ को सुरक्षित रूप से हटा दिया।
पंडित जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय से संबद्ध डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय, रायपुर के डॉक्टरों ने एक बार फिर चिकित्सा के क्षेत्र में बड़ी सफलता हासिल की है। उन्होंने एक 35 वर्षीय मरीज़ के हृदय से सटी हुई 11×7 सेंटीमीटर की गंभीर कैंसरग्रस्त गाँठ को सफलतापूर्वक हटाकर उसे नया जीवन प्रदान किया है। मरीज़ थाइमस ग्रंथि से उत्पन्न होने वाले दुर्लभ और आक्रामक कैंसर – इंवेसिव कार्सिनोमा ऑफ थाइमस से पीड़ित था।
जटिल ऑपरेशन: कैंसर और हृदय सर्जनों का संयुक्त प्रयास
यह जटिल ऑपरेशन लगभग पाँच घंटे तक चला। कैंसर सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. आशुतोष गुप्ता और हार्ट सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्णकांत साहू के नेतृत्व में सर्जनों की टीम ने यह असंभव-सा लगने वाला कार्य संभव कर दिखाया। गाँठ हृदय और फेफड़ों से चिपकी हुई थी, जिसे सफलतापूर्वक हटा दिया गया। डॉक्टरों का मानना है कि यह संभवतः मध्य भारत में इंवेसिव कार्सिनोमा ऑफ थाइमस का पहला ऐसा केस है।
डॉ. आशुतोष गुप्ता के अनुसार, यह गाँठ हृदय की बड़ी रक्त वाहिकाओं, जैसे- एओर्टा (Aorta), जुगुलर वेन (Jugular Vein) और सुपीरियर वेनाकेवा (SVC) से इतनी गहराई से जुड़ी हुई थी कि इसे पूरी तरह से निकाल पाना चिकित्सा विज्ञान की दृष्टि से बहुत ही चुनौतीपूर्ण था। पैथोलॉजी रिपोर्ट ने इसकी पुष्टि इंवेसिव कार्सिनोमा ऑफ थाइमस के रूप में की, जो अत्यंत दुर्लभ प्रकार के कैंसर में से एक है।
कैसे शुरू हुआ उपचार?
ओडिशा के निवासी 35 वर्षीय मरीज़ सीने में दर्द और साँस लेने में तकलीफ की शिकायत लेकर अस्पताल की कैंसर सर्जरी ओपीडी में पहुँचे थे। डॉ. आशुतोष गुप्ता के मार्गदर्शन में खून की जांच, सीटी स्कैन और सोनोग्राफी समेत कई जांचें की गईं। जांचों में छाती के अगले भाग (एंटीरियर मेडियास्टिनम – Anterior Mediastinum), जो हृदय के सामने स्थित होता है, में 11×7 सेंटीमीटर की एक गाँठ मिली, जो हृदय की मुख्य रक्त नलिकाओं से चिपकी हुई थी। शुरुआती बायोप्सी में इसे थाइमोमा (Thymoma) नामक एक दुर्लभ ट्यूमर बताया गया था।
गाँठ की इस जटिल स्थिति को देखते हुए, डॉ. आशुतोष गुप्ता ने तुरंत हार्ट सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. के.के. साहू से परामर्श किया, जिसके बाद विशेषज्ञों की टीम ने मिलकर ऑपरेशन करने का फैसला किया।
सर्जरी की प्रक्रिया
ऑपरेशन के लिए मीडियन स्टर्नोटॉमी (Median Sternotomy) प्रक्रिया का उपयोग किया गया, जिसमें छाती की हड्डी को बीच से काटकर हृदय तक पहुँच बनाई गई। गाँठ हृदय की बाहरी झिल्ली (पेरिकार्डियम – Pericardium) और एओर्टा, जुगुलर वेन व सुपीरियर वेनाकेवा जैसी मुख्य रक्त वाहिकाओं से कसकर चिपकी हुई थी।
लगभग पाँच घंटे तक चले इस ऑपरेशन में, सर्जनों ने रक्त वाहिकाओं को गाँठ से अत्यधिक सावधानी के साथ अलग किया और उनकी मरम्मत की। गाँठ को दाएँ फेफड़े के कुछ चिपके हुए हिस्से के साथ पूरी तरह से हटा दिया गया।
ऑपरेशन पूरी तरह से सफल रहा और मरीज़ की हालत अब स्थिर तथा बेहतर है। पैथोलॉजी की अंतिम जांच में गाँठ को इंवेसिव कार्सिनोमा ऑफ थाइमस के रूप में पहचाना गया।
सर्जरी क्यों है खास?
डॉ. के.के. साहू के अनुसार, यह सर्जरी मध्य भारत के लिए विशेष महत्व रखती है क्योंकि इस प्रकार के कैंसर का पता अक्सर देर से चलता है, जिसके कारण बाद के चरणों में सर्जरी लगभग असंभव हो जाती है। साथ ही, ऐसी जटिल सर्जरी के लिए कैंसर सर्जन (ऑनकोसर्जन) और हार्ट सर्जन की एक बड़ी व विशेषज्ञ टीम की आवश्यकता होती है, जो हर अस्पताल में उपलब्ध नहीं होती।
चिकित्सा महाविद्यालय के डीन डॉ. विवेक चौधरी और अस्पताल के अधीक्षक डॉ. संतोष सोनकर ने इस सफल संयुक्त सर्जरी को अस्पताल की कैंसर सर्जरी (ऑनकोसर्जरी) और कार्डियक सर्जरी टीमों की बेहतरीन दक्षता और आपसी समन्वय का प्रमाण बताया है।