अधर्म के विरुद्ध आवाज़ उठाना ही सबसे बड़ा धर्म है : पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री

रायपुर। बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने स्पष्ट किया है कि केवल मंदिर जाना, पूजा-पाठ करना, या कथा-भागवत करना-कराना ही धर्म नहीं है। उनके अनुसार, अधर्म के विरुद्ध आवाज़ उठाना ही सबसे बड़ा धर्म है। उन्होंने कहा कि वह हमेशा अधर्म के खिलाफ आवाज़ उठाते हैं, चाहे घटना राज्य में हो या देश में, और इस पर अपनी टिप्पणी करते हैं।
विरोधियों को जवाब और सनातन धर्म का समर्थन
पंडित शास्त्री ने कहा कि उनकी यह मुखरता कुछ विधर्मियों को रास नहीं आती है, जिसके कारण वे उनके खिलाफ तरह-तरह की अफवाहें फैलाते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह किसी भी धर्म का विरोध नहीं करते, बल्कि केवल सनातन धर्म का समर्थन करते हैं।
भारत में जन्म और कथा का महत्व
ये बातें पं. शास्त्री ने गुढ़ियारी स्थित अवधपुरी मैदान में शनिवार से शुरू हुई पांच दिवसीय हनुमंत कथा के मंगलाचरण के बाद कही। उन्होंने श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा कि मनुष्य जीवन बड़े सौभाग्य से मिलता है, और उससे भी बड़ा सौभाग्य है कि हमें भारत जैसा वतन और सनातन जैसा धर्म मिला।
उन्होंने तुलना करते हुए कहा कि यदि उनका जन्म पाकिस्तान में होता, तो शायद उन्हें बम बनाने पड़ते, और कथा सुनने का अवसर नहीं मिलता। चीन के लोगों को देखकर उन्हें लगता है, जैसे ब्रह्माजी ने सबको फोटोकॉपी बना दिया हो।
जीवन को सार्थक बनाने का संदेश
पं. शास्त्री ने कहा कि 84 लाख योनियों के बाद यह मनुष्य का तन प्राप्त होता है, इसलिए इसे सार्थक बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में जन्म लेकर भी यदि कथा सुनने का अवसर न मिले, तो यह सबसे बड़ा दुर्भाग्य है।
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि राम जी की कृपा के बिना कोई सत्संग में नहीं आ सकता। हालांकि, केवल कथा सुनने आना ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि इससे भी अधिक महत्वपूर्ण है कि कथा के उपदेशों को आत्मा में उतारा जाए। जीवन को सही दिशा देनी है तो कथा अवश्य सुननी चाहिए। इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह और आयोजक बसंत अग्रवाल जैसे कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
















