ED की फुलफॉर्म क्या है? स्थापना, कार्य, भूमिकाएं और जिम्मेदारियां विस्तार में जानिए ?

न्यूज़ डेस्क। ED की फुलफॉर्म प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) है। यह भारत सरकार की एक बहु-अनुशासनात्मक संगठन है जो आर्थिक कानूनों को लागू करने और आर्थिक अपराधों से लड़ने के लिए जिम्मेदार है। यह वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अधीन कार्य करता है।
आइए इसकी स्थापना, कार्य, भूमिकाएं और जिम्मेदारियों को विस्तार से समझते हैं:
स्थापना (Establishment):
प्रवर्तन निदेशालय की स्थापना 1 मई, 1956 को हुई थी।
शुरुआत: इसकी शुरुआत आर्थिक मामलों के विभाग के तहत एक “प्रवर्तन इकाई” के रूप में हुई थी। इसका प्राथमिक उद्देश्य उस समय के विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1947 (FERA ’47) के तहत विनिमय नियंत्रण कानूनों के उल्लंघन से निपटना था।
नामकरण: 1957 में इस इकाई का नाम बदलकर “प्रवर्तन निदेशालय” कर दिया गया।
प्रशासनिक नियंत्रण: 1960 में, निदेशालय का प्रशासनिक नियंत्रण आर्थिक मामलों के विभाग से राजस्व विभाग को स्थानांतरित कर दिया गया।
कार्य (Functions):
प्रवर्तन निदेशालय मुख्य रूप से तीन प्रमुख अधिनियमों को लागू करने का कार्य करता है:
धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (Prevention of Money Laundering Act, 2002 – PMLA): यह एक आपराधिक कानून है जिसका उद्देश्य धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) को रोकना और अपराध से प्राप्त या उसमें शामिल संपत्ति को जब्त करना है। ED को PMLA के प्रावधानों को लागू करने की जिम्मेदारी दी गई है, जिसमें अपराध की आय से प्राप्त संपत्ति का पता लगाने के लिए जांच करना, संपत्ति को अस्थायी रूप से कुर्क करना, अपराधियों के खिलाफ मुकदमा चलाना और विशेष अदालत द्वारा संपत्ति की जब्ती सुनिश्चित करना शामिल है।
विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (Foreign Exchange Management Act, 1999 – FEMA): यह एक नागरिक कानून है जिसे बाहरी व्यापार और भुगतानों को सुविधाजनक बनाने और भारत में विदेशी मुद्रा बाजार के व्यवस्थित विकास और रखरखाव को बढ़ावा देने के लिए अधिनियमित किया गया था।ED को विदेशी मुद्रा कानूनों और विनियमों के संदिग्ध उल्लंघनों की जांच करने, उल्लंघन का निर्णय लेने और कानून का उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना लगाने की जिम्मेदारी दी गई है।
भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 (Fugitive Economic Offenders Act, 2018 – FEOA): यह कानून आर्थिक अपराधियों को भारतीय अदालतों के अधिकार क्षेत्र से बाहर रहकर भारतीय कानून की प्रक्रिया से बचने से रोकने के लिए बनाया गया था। इस कानून के तहत निदेशालय को उन भगोड़े आर्थिक अपराधियों की संपत्तियों को कुर्क करने का अधिकार है जो गिरफ्तारी वारंट से बचने के लिए भारत से भाग गए हैं, और उनकी संपत्तियों को केंद्र सरकार द्वारा जब्त करने का प्रावधान है।इसके अतिरिक्त, ED कुछ पुराने कानूनों जैसे विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1973 (FERA ’73) के तहत जारी किए गए कारण बताओ नोटिसों का भी निपटारा करता है। यह विदेशी मुद्रा संरक्षण और तस्करी गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम, 1974 (COFEPOSA) के तहत FEMA उल्लंघनों के लिए निवारक निरोध से संबंधित मामलों को भी संभालता है।
भूमिकाएं और जिम्मेदारियां (Roles and Responsibilities):
प्रवर्तन निदेशालय की मुख्य भूमिकाएं और जिम्मेदारियां निम्नलिखित हैं:
जांच करना: मनी लॉन्ड्रिंग, विदेशी मुद्रा उल्लंघनों और आर्थिक धोखाधड़ी से संबंधित मामलों की गहन जांच करना।
संपत्ति की कुर्की: अपराध की आय से प्राप्त संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क करना ताकि अपराधियों को उनका उपयोग करने से रोका जा सके।
अभियोजन: PMLA के तहत अपराधियों के खिलाफ विशेष अदालतों में मुकदमा चलाना।
फैसला सुनाना: FEMA के तहत विदेशी मुद्रा कानूनों के उल्लंघन के मामलों में सुनवाई करना और दोषियों पर जुर्माना लगाना।
संपत्ति की जब्ती: अदालती आदेशों के बाद अपराध से प्राप्त या उसमें शामिल संपत्तियों को जब्त करना।
सूचना का संग्रह और प्रसार: FEMA उल्लंघनों से संबंधित खुफिया जानकारी एकत्र करना, स्थापित करना और उसका प्रसार करना।
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: मनी लॉन्ड्रिंग और संपत्ति की वसूली से संबंधित मामलों में विदेशी राष्ट्रों के साथ सहयोग करना।
कानून प्रवर्तन: भारत में आर्थिक कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू करना और वित्तीय अपराधों का मुकाबला करना।
ED में भारतीय राजस्व सेवा, भारतीय पुलिस सेवा, भारतीय प्रशासनिक सेवा और भारतीय कॉर्पोरेट कानून सेवा के अधिकारी शामिल होते हैं। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है और इसके कई क्षेत्रीय और उप-क्षेत्रीय कार्यालय भी हैं।