आज का हिन्दू पंचांग

हिन्दू पंचांग
दिनांक – 08 जनवरी 2024
दिन – सोमवार
विक्रम संवत् – 2080
अयन – उत्तरायण
ऋतु – शिशिर
मास – पौष
पक्ष – कृष्ण
तिथि – द्वादशी रात्रि 11:58 तक तत्पश्चात त्रयोदशी
नक्षत्र – अनुराधा रात्रि 10:08 तक तत्पश्चात ज्येष्ठा
योग – गण्ड रात्रि 02:56 तक तत्पश्चात वृद्धि
राहु काल – सुबह 08:43 से 10:04 तक
सूर्योदय – 07:22
सूर्यास्त – 06:10
दिशा शूल – पूर्व
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:37 से 06:29 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:20 से 01:13 तक
व्रत पर्व विवरण –
विशेष – द्वादशी को पूतिका (पोई) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
भौम प्रदोष व्रत : 09 जनवरी 2024
कर्ज-निवारक कुंजी
प्रदोष व्रत यदि मंगलवार के दिन पड़े तो उसे ‘भौम प्रदोष व्रत’ कहते हैं । मंगलदेव ऋणहर्ता होने से कर्ज-निवारण के लिए यह व्रत विशेष फलदायी है । भौम प्रदोष व्रत के दिन संध्या के समय यदि भगवान शिव एवं सद्गुरुदेव का पूजन करें तो उनकी कृपा से जल्दी कर्ज से मुक्त हो जाते हैं । पूजा करते समय यह मंत्र बोले :
मृत्युंजय महादेव त्राहि मां शरणागतम ।
जन्ममृत्युजराव्याधिपीडितं कर्मबन्धनै: ।।
इस दैवी सहायता के साथ स्वयं भी थोड़ा पुरुषार्थ करें । -ऋषि प्रसाद : मई २०२० से
सर्दियों में पुष्टिदायी बलप्रद मेथी
मेथी को ताजा, सुखकर या इसके बीजों को अकुंरित करके उपयोग में लाया जाता हैं । इसका पाक सर्दियों में बल तथा पुष्टि वर्धक होता है ।
मेथी की भाजी कडवी, गर्म, पित्तवर्धक, हल्की, रक्तशुद्धिकर, मल-मूत्र साफ़ लानेवाली, ह्रदय के लिए बलप्रद, अफरा, उदर-विकार, संधिवात, शारीरिक दर्द तथा वायुदोष में अत्यंत हितकर हैं । यह माता के दूध को बढ़ाती है ।
प्रमेह में रोज १-२ चम्मच मेथी-दाने पानी में भिगोकर सब्जी बनाकर या मेथी-दाने का चूर्ण पानी के साथ लेने से लाभ होता है । मेथी के पत्तों की सब्जी भी लाभदायी है ।
पाचन-तंत्र की कमजोरी तथा शौचसबंधी तकलीफों में चौथाई कप मेथी के पत्तों के रस में १ चम्मच शहद मिलाकर लेने से अत्यधिक लाभ होता है ।
मेथी के पत्तों का रस बालों में लगाने से रुसी व बालों का झड़ना कम होता है, बाल काले व मुलायम बनते हैं । साबुन का उपयोग न करें । उसके नियमित सेवन से महिलाओं में खून की कमी नहीं होती ।
सावधानी : पित्त-प्रकोप, अम्लपित्त, दाह में मेथी न खायें ।
दंडवत प्रणाम का महत्व
ईश्वर की भक्ति के लिए अपने भीतर के सभी नकारात्मक तत्वों को हमें त्यागना पड़ता है और खुद को ईश्वर के चरणों में समर्पित करना होता है । ऐसा हम तभी कर सकते हैं जब हमारे भीतर मौजूद अभिमान हमारे अंतर्मन से निकल जाए । इसलिए शष्टांग प्रणाम के बढ़ावा दिया गया है ।
दंडवत प्रणाम कैसे करते हैं ?
अपने शरीर को दंडवत मुद्रा में लाते हुए सिर, हाथ, पैर, जाँघे, मन, ह्रदय, नेत्र और वचन को मिलकर लेट कर प्रणाम करें। अष्ट अंगों में दोनों पाँव, दोनों घुटने, छाती, ठुण्डी और दोनों हथेलियाँ शामिल हैं । इस प्रकार के प्रणाम को हम ‘दण्डवत प्रणाम’ इसलिए भी कहते हैं ।
अष्टांग दंडवत नमस्कार करने से लाभ
1. दंडवत प्रणाम करने से व्यक्ति जीवन के असली अर्थ को समझ पाता है और आगे की दिशा में बढ़ पाता है ।
2. व्यक्ति के भीतर समान भाव की प्रवृत्ति जागृत होती है और अभिमान खत्म हो जाता है ।
3. दंडवत प्रणाम करने से अहम नष्ट होता है, ईश्वर के निकट पहुंचने का रास्ता है दंडवत प्रणाम ।
4. मन में दया और विनम्रता जैसे भाव पनपने लगते हैं ।
5. आत्मविश्वास बढ़ाने में सहायक है अष्टाङ्ग नमस्कार ।
6. मसल्स के स्टिम्युलेशन और एक्टिव प्रयोग से पीठ मजबूत होने लगती है ।
7. व्यक्ति अपने शरीर में ऊर्जा महसूस करने लगता है ।
8. पाचन क्रिया में संतुलन बनाये रखने में लाभकारी है ।