जंगल छोड़कर शहरों में बढ़ रहे नक्सली, एक्शन में गृह मंत्री विजय शर्मा, जनता से की अपील

रायपुर। छत्तीसगढ़ में जवानों के सफल अभियानों के कारण भयभीत नक्सलियों ने अपनी रणनीति बदल दी है। अब नक्सली जंगलों को छोड़कर शहरी क्षेत्रों की ओर रुख कर रहे हैं ताकि अपना ‘लाल आतंक’ फैला सकें। हाल ही में, रायपुर और कोरबा से हुई गिरफ्तारियां इस बात की पुष्टि करती हैं। इस नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए एजेंसियां सक्रिय रूप से काम कर रही हैं, जैसा कि प्रदेश के गृह मंत्री विजय शर्मा ने बताया।
नक्सली, जंगल छोड़ शहरों में क्यों बढ़ रहे?
जंगलों से शहरों की ओर नक्सलियों के बढ़ते कदम पर गृह मंत्री विजय शर्मा ने टिप्पणी की, “पिछले दो सालों से, जब से (सुरक्षा संबंधी) काम शुरू हुआ है, उन्होंने (नक्सलियों ने) नए ठिकाने बनाने की तैयारी की थी।” उन्होंने कहा कि राज्य अन्वेषण एजेंसी (SIA) इस दिशा में “बहुत अच्छा काम” कर रही है। रायपुर और कोरबा जैसे शहरों में इस तरह का नेटवर्क मिला है। गृह मंत्री ने कहा कि एजेंसियां इस नेटवर्क की पूरी प्रोफाइलिंग करके इसे ध्वस्त करने में लगी हुई हैं।
गृह मंत्री की जनता से महत्वपूर्ण अपील
शहरी क्षेत्रों में बढ़ती नक्सली गतिविधियों के संदर्भ में मंत्री विजय शर्मा ने जनता से अपील की। उन्होंने कहा कि नक्सली पिछले 2 सालों से यहां अपनी सक्रियता बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने जनता से पुलिस को सूचित करने का निवेदन किया, खासकर किरायेदारों के संबंध में। “घुसपैठिए के बाद अब नक्सली का मामला सामने आ रहा है,” उन्होंने कहा। गृह मंत्री ने जनता से अपील की कि पुलिस का जो ऐप बना हुआ है, उस पर अपने किरायेदार की जानकारी अवश्य रजिस्टर करें।
नक्सलियों के पास अकूत संपत्ति और धन
नक्सलियों के पास से सोने के बिस्कुट और बड़ी मात्रा में नकद बरामद होने के मुद्दे पर मंत्री विजय शर्मा ने कहा कि नक्सलियों के जितने भी ठिकाने (बेस) हैं, उन सबकी प्रोफाइलिंग की जा रही है और “सब कुछ ठीक किया जाएगा।” उन्होंने दावा किया कि नक्सलियों तक पहुंचने वाला पैसा अब “करीब 80% कम” हो गया है। इसके बावजूद उनके पास इतनी राशि का मिलना यह दर्शाता है कि उनकी कुल संपत्ति कितनी अधिक होगी।
हालिया गिरफ्तारियां
गौरतलब है कि हाल ही में पुलिस ने रायपुर से एक नक्सली दंपति को गिरफ्तार किया था। इसके बाद, कोरबा में भी SIA ने छापा मारा और नक्सली रामा ईचा को पकड़ा। रामा ईचा कोयला खदान में काम करता था और कई मजदूर संगठनों से जुड़ा हुआ था। इसके अलावा, अन्य जिलों में भी नक्सलियों के खिलाफ लगातार छापे मारे जा रहे हैं।
















