जनजातीय नायकों की विरासत का संरक्षण हमारी सामूहिक जिम्मेदारी : मुख्यमंत्री साय

रायपुर। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने आज रायपुर के सिविल लाइन स्थित कन्वेंशन हॉल में आयोजित जनजातीय गौरव दिवस कार्यशाला का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने जोर देकर कहा कि जनजातीय नायकों की गौरवशाली विरासत को संजोना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है।
मुख्यमंत्री श्री साय ने अपने संबोधन में पिछले वर्ष के सफल आयोजन को याद किया। उन्होंने बताया कि पिछली बार की कार्यशाला भी इसी सभागार में हुई थी और इसे पूरे छत्तीसगढ़ में बड़े उत्साह के साथ मनाया गया था। जशपुर में हुई 10 किलोमीटर लंबी पदयात्रा का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि इसमें केंद्रीय मंत्री श्री मनसुख मांडविया भी शामिल हुए थे। इस यात्रा में जनजातीय समाज की पारंपरिक वेशभूषा, स्वादिष्ट व्यंजन, आभूषण और संस्कृति का शानदार प्रदर्शन किया गया था। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इस पहल की प्रशंसा करते हुए सुझाव दिया था कि ऐसे आयोजनों को प्रतिवर्ष पूरे देश में आयोजित किया जाना चाहिए।
जनजातीय गौरव का सम्मान और विकास
मुख्यमंत्री ने भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर जनजातीय गौरव दिवस मनाने के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के फैसले को जनजातीय नायकों की विरासत को सम्मानित करने वाला ऐतिहासिक कदम बताया। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के योगदान की भी सराहना की, जिन्होंने देश में पहली बार आदिवासी कल्याण मंत्रालय का गठन करके जनजातीय समाज के सम्मान और उत्थान की दिशा में महत्वपूर्ण पहल की थी।
मुख्यमंत्री श्री साय ने बताया कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के मार्गदर्शन में, छत्तीसगढ़ में पीएम जनमन योजना और प्रधानमंत्री धरती आबा ग्राम उत्कर्ष योजना के तहत विकास कार्य तेजी से हो रहे हैं। उन्होंने जानकारी दी कि जनमन योजना के अंतर्गत राज्य में 2,500 किलोमीटर सड़कों का निर्माण और 32,000 प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत किए गए हैं।
विरासत का दस्तावेजीकरण और भावी पीढ़ी को प्रेरणा
श्री साय ने नवा रायपुर में निर्मित ट्राइबल म्यूजियम का भी जिक्र किया। यह म्यूजियम छत्तीसगढ़ के 14 जनजातीय विद्रोहों और अमर शहीद वीर नारायण सिंह के जीवन पर केंद्रित है, और यह आदिवासी इतिहास और गौरव की अमूल्य धरोहर को संरक्षित करने की दिशा में सरकार की एक बड़ी पहल है।
मुख्यमंत्री ने शिक्षाविदों और प्रबुद्धजनों से अनुरोध किया कि जनजातीय गौरव और इतिहास को शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में शामिल किया जाए। उनका मानना है कि इससे नई पीढ़ी अपने पूर्वजों की समृद्ध विरासत से प्रेरणा ले सकेगी।
कार्यशाला का उद्देश्य और मंत्रियों के विचार
उच्च शिक्षा मंत्री श्री टंकराम वर्मा ने कहा कि यह कार्यशाला जनजातीय समाज की समृद्ध परंपराओं और इतिहास को उजागर करने के साथ-साथ भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण आधार बनेगी। इसका मुख्य लक्ष्य जनजातीय समाज के उत्थान के लिए ठोस रणनीति बनाना और उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका और रोजगार से जोड़ना है।
आदिम जाति विकास एवं कृषि मंत्री श्री राम विचार नेताम ने कहा कि कार्यशाला की रूपरेखा उपस्थित सभी प्रबुद्धजनों द्वारा तैयार की जाएगी, जिसके आधार पर राज्य सरकार ठोस कदम उठाएगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि पिछले वर्ष की तरह ही इस साल भी जनजातीय गौरव दिवस का आयोजन और अधिक प्रभावी और भव्य होगा।
वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री केदार कश्यप ने बताया कि पिछले वर्ष के कार्यक्रम में 70,000 से अधिक लोगों ने भाग लिया था। उन्होंने कहा कि इस आयोजन ने यह संदेश दिया कि छत्तीसगढ़ जनजातीय समाज के उत्थान के कार्य को जन-जन तक पहुँचा रहा है।
आत्मनिर्भरता और आत्मसम्मान पर जोर
अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के महामंत्री श्री योगेश बापट ने जनजातीय समाज को आत्मनिर्भर बताया। उन्होंने कहा कि इस समाज के गौरव को पुनः स्थापित करना हम सभी का दायित्व है। उन्होंने मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के जनजातीय समाज के प्रति समर्पण की सराहना की और अनुरोध किया कि इस कार्यशाला के माध्यम से ऐसी ठोस योजनाएं बनाई जाएं जो जनजातीय समाज के गौरव और आत्मसम्मान को और भी ऊँचा उठा सकें।
इस अवसर पर उच्च शिक्षा विभाग के सचिव डॉ. एस. भारतीदासन, आयुक्त आदिम जाति विकास विभाग डॉ. सारांश मित्तर, संचालक रोजगार एवं प्रशिक्षण श्री विजय दयाराम के., विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, अग्रणी महाविद्यालयों के प्राचार्य तथा विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।
















